जो भूलती है ,पर भुलने नहीं देती है।
दिल की छुअन में इस तरह से रहती है।
क़ि गुमनाम का भी इशारा होती है।
और एहसास में भी तरोताजा होती है।
एक पहलू जब इस कहानी का
हमसे भी मेल खाती है।
तब न जाने क्यों एक छाप सी छोड़ जाती है।
हम उस कहानी में या वो हम में।
ऐसे गुत्थियों को भी निचोड़ जाती है।
आता है एक भाव ह्रदय के अपनेपन से।
फिर न जाने कौन सी , दुनिया में मुड जाती है
जिंदगी की हकीकत कहानियाँ
जब कोरे पन्नो पे सज जाती है
तो न जाने कितनो की कहानियाँ
हकीकत में लिखी जाती है
कहानी ऐसी भी होती है जो हसांती है,
और रुलाती है
जिंदगी भी मुस्कुराती और सहलाती है
कभी छुपके दर्द का तमाशा दिखला पाती है
तो कभी हँस के ज़माने का अभिवादन कर जाती है
दुःख में लोगो को कहते सुना है क़ि “जिंदगी की परिभाषा क्या है”
सुख में कहते वाह रे जिंदगी तेरा ये अजब तमाशा क्या है
ये संवाद या विवाद कभी सुलझे शायद
पर कहानिया तो जिंदगी से होती है
और जिंदगी कहानियो के अतिरिक्त कुछ और नहीं होती है
होती है इनमे हर बातें ,जीने की रिती नयी होती है
इसलिए तो कहानिया धडकनों में बसी होती है।