pravakta.com
गीत/ विजयी निश्‍चय बन जाओगे - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कुछ आगजनी, कुछ राहजनी अब दिन में ये होते आएं यदि चमन बचाना है भाई, उल्‍लू न बसेरा कर पाएं कुछ शाखों की कच्‍ची कलियां- मंहगाई ने हैं कस डाली मासूम हंसी, आचारहीन नागिन ने ऐसी डस डालीं उनकी बीती का मैं श्रोता, बीते तो ऑंखें पथराएं है डाल डाल…