सोनिया गान्धी फिर विवादों के घेरे में —-

कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

सोनिया गान्धी अपनी पार्टी की अध्यक्षा हैं । भारत पर उन्हीं की पार्टी राज कर रही है । स्वाभाविक है कि देश के लोग उनके बारे में , उनके क्रियाकलापों के बारे में जानने में रुचि रखते हैं । जिन दिनों वे केवल राजीव गान्धी की पत्नी थीं, उन दिनों उन के बारे में जानने की रुचि भारत के लोगों में नहीं थी । होनी भी नहीं चाहिये थी । क्येंकि यह उनके व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप होता ।लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है । क्योंकि अब वे भारत के सार्वजनिक जीवन का अंग हैं । जिन दिनों हिन्दुस्तान में अंग्रेजों का राज्य था उन दिनों भी लंदन से दिल्ली में कोई वायसराय आ ता था तो उसकी पृष्ठभूमि और क्रियाकलापों को लेकर समाचार पत्रों में छपता रहता था । अंग्रेज सरकार भी जानकारियां दे देती थी, उसे छिपाने का प्रयास नहीं करती थी । गुजरात के मुख्यमंत्री ने तो सोनिया गान्धी के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं माँगी । उन्होंने तो केवल इतना ही जानना चाहा था कि वे जब विदेशों में जाती हैं तो उन पर सरकार का कितना खर्च होता है ? फिर विदेश जाने का सबव अपनी बीमार माँ को मिलने का हो या कोई और । सोनिया गान्धी की बीमारी को लेकर को कोई भी प्रश्न नहीं उठा रहा है । नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी होने के कारण देश की सरकार का कर्तव्य बनता है कि उनकी सेहत का ध्यान रक्खा जाये और इस मामले में यदि उन्हें किसी सहायता की ज़रूरत हो तो वह उन्हें मुहैया करवाई जानी चाहिये । परन्तु प्रश्न यह है कि सोनिया की पार्टी स्वयं और भारत सरकार भी इन साधारण सी जानकारियों को इतना गोपनीय क्यों बना रही है ?

दरअसल सोनिया गान्धी अपने परिवार को लेकर एक रहस्य का वातावरण बनाये रखतीं हैं । यह उनकी भारत में अपनी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है । रहस्य के कारण हो सकता है आम कांग्रेसी के मन में उनको लेकर भय का वातावरण पैदा होता हो,जिसके चलते पार्टी में विद्रोह की संभावना दबी रहती है । सोनिया के इर्द गिर्द कुछ लोगों ने अपने आप को कांग्रेसी कहते हुये घेरा बनाया हुआ है , या फिर सोनिया गान्धी स्वयं ही अपना तिलस्म बनाये रखने के लिये इन लोगों को आऊटर सर्कल के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं । यह घेरा या सर्कल सोनिया के लिये लाभदायक हो सकता है लेकिन देश के लिये यकीनन घातक है । यदि सोनिया गान्धी अपने लाभ और सुविधा के लिये , स्वयं के बारे में और अपने परिवार के बारे में ऐसा तिलस्म और संदेहास्पद वातावरण बनाये रखेंगी तो जाहिर है ,वे सभी प्रश्न उठेंगे ही जिन्हें नरेन्द्र मोदी या अन्य लोग उठा रहे हैं । कम से कम सोनिया। गान्धी को इस बात का तो खुलासा करना ही चाहिये कि उनके और उनके परिवार की आय का साधन क्या है? जब परिवार प्रत्यक्ष: कोई काम नहीं करता तो परिवार के पास अरबों की यह सम्पत्ति कहाँ से आ रही है ? और यह सम्पत्ति दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है । इस देश के लोगों में स्वभाविक ही उस इतालवी फार्मूला जानने की इच्छा है, जिसके चलते बिना कोई काम धाम किये केवल राजनीति करने से ही अरबों की सम्पत्ति बननी शुरु हो जाती है ।

सोनिया गान्धी के दामाद राबर्ट बढ़ेरा ने तो इस क्षेत्र में सभी को धूल चटा दी । चर्चा है कि उन्होंने पचास लाख रुपये से तीन सौ करोड़ की सम्पत्ति अर्जित कर ली है । अब उनमें कोई न कोई जादू तो होगा ही कि बड़ी बड़ी कम्पनियाँ उन्हे पैंसठ करोड़ रुपये का कर्ज़ा बिना ब्याज दे देतीं हैं ।सोनिया गान्धी का आऊटर सर्कल तो उनके दामाद की रक्षा के लिये गोलबन्द ही नहीं हुआ बल्कि घंटे भर में अपनी अपनी पोजीशन संभाल ली । मनीष तिवारी ,कपिल सिब्बल ,खुर्शीद आलम,राशिद अल्बी सबने अपने अपने मोर्चे संभाल लिये हैं । उनकी यह चुस्त समझ में आती है । वे अपना फर्ज निभा रहे हैं । नमक का फर्ज अदा कर रहे हैं । इसलिये उनकी तो प्रशंसा की जानी चाहिये । लेकिन सोनिया गान्धी से उत्तर की आशा भारत कर रहा था । यक़ीनन उन्होंने उत्तर दिया भी । लेकिन यह उत्तर छिपाता ज्यादा है, बताता कम है । उन्होंने कहा कि उनके दामाद राबर्ट बढ़ेरा एक िबजनसमैन हैं,इसलिये वे व्यवसाय में पैसा कमा रहे हैं । दुर्भाग्य से वे हिन्दोस्तान के लोगों को व्यवसाय का ऐसा इतालवी फार्मूला नहीं बता रहीं हैं, जिससे पचास लाख से तीन करोड़ बनाये जा सकते हों । पैसे को दुगना करने वाले ठगों के बारे में तो सुना था, लेकिन यह छह गुना करने का नया केस सामने आया है । फ़र्क केवल इतना ही है कि पैसा दुगना करने वाले ठगों को तो पुलिस तलाश करती रहती है , पैसा छह गुना करने वालों को बचाने में ही सारी सरकार लग गई है । भारत के लोग तो आखिर सरकार की हरकतें देख कर हैरान होंगे ही । कभी सरकार क्वात्रोची को बचाने की कोिशश करती है, और अब पैसा छह गुना करने वालों को बचाने में लगी हुई है ।

सोनिया गान्धी क्योंकि अप्रत्यक्ष रुप से इस सरकार की मुखिया हैं,अब यदि उन पर और उनके परिवार पर ही इस प्रकार के आरोप लगते हैं और वह इन का उत्तर देना भी जरुरी नहीं समझतीं,तो जाहिर है वह मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्यों को घोटाले करने से रोक नहीं सकतीं । यही कारण है कि आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल ,मंत्रिमंडल कम और घोटालेबाजों का जमावड़ा ज्यादा लगता है । कुछ मंत्री जेल में जा चुके हैं, कुछ दूसरे जाने की तैयारी में हैं । प्रधानमंत्री खुद ही कोयला आवंटन मामले में घिरते जा रहे हैं । केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जायसवाल का नाम इसी कोयला घोटाले में आने लगता है तो वे सार्वजनिक रूप से बताना शुरु कर देते हैं कि जैसे जैसे पत्नी पुरानी होती जाती है, वैसे वैसे मजा कम आने लगता है ।

बेहतर यही होगा कि सरकार सोनिया गान्धी पर किये जा रहे खर्चों पर एक श्वेत पत्र जारी करे उन की सुरक्षा को लेकर किये जाने वाले खर्च पर कोई सवाल नहीं उठा रहा, लेकिन सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिये की यदि वह विदेश में भी उनकी सुरक्षा पर पैसा खर्च कर सकती है तो उसे जनरल के़ एस बराड़ को भी लंदन में सुरक्षा प्रदान करवानी चाहिये थी, जिसके अभाव में आतंकवादी उन पर आक्रमण करने में कामयाब हो गये ।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here