-वसंत ॠतु पर विशेष-
वसंत हमारा है त्योहार, वैलेंटाइन नहीं स्वीकार
1- पश्चिम का यह मकड़ जाल है,
जिसमें डूबा भारत विशाल है।
वैदिक संस्कृति पर यह प्रहार, वैलेंटाइन नहीं स्वीकार॥
2- दो देहों का है यह घर्षण,
नहीं दिलों का है आकर्षण।
युवा वर्ग की भटकी कार, वैलेंटाइन नहीं स्वीकार ॥
3- एक दिवस की झूठी शान है,
लुटती इज़्ज़त आन बान है।
भारत माता शर्मसार, वैलेंटाइन नहीं स्वीकार॥
4- आओ सभी वसंत मनायें,
ॠषि मुनियों की शान बढ़ायें।
विमल प्रेममय हो संसार, वैलेंटाइन नहीं स्वीकार॥