व्यंग्य/ नंगे पैर

2
187

-अखिलेश शुक्ल

विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश में पहले यह अनहोनी घटना घटित नही हुई थी। बहुत खोजने पर किसी भी देश के इतिहास में इस बात का उल्लेख नही मिला की कोई मंत्रीजी सदन में नंगे पैर आ गये हों। उस दिन सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही खुसुर पुसुर होने लगी। सम्माननीय विपक्षी सदस्यगण सरकार पर धारदार आक्रमण की योजना बनाने लगे। सरकारी पक्ष के सदस्यों ने बचाव के सभी वैकल्पिक प्रश्न छांटकर उनके उत्तर रट लिये। सदन के अध्यक्ष महोदय द्वारा आसन ग्रहण करते ही प्रश्नकाल प्रारंभ किया गया।

एक विपक्षी सदस्य ने प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा, अध्यक्ष महोदय आज मंत्री जी सदन में नंगे पैर चले आये हैं। समूचा विपक्ष यह जानना चाहता है कि वह कौनसा कारण है, जिसकी वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ा। अभी न तो नवरात्रि के उपवास प्रारंभ हुए है और न ही देश में चप्पल जूतों का अकाल है। देश इस समय हम लोगों की कृपा से चरण पादुकाओं के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। उन्होंने अपना वक्तव्य जारी रखते हुए कहा, जहां तक मुझें ज्ञात है, मंत्री महोदय जी के घर पिछले चौबीस घंटे के अंदर किसी सदस्य की मृत्यु कोई समाचार भी नही है। अत: इस बात का प्रश्न ही पैदा नहीं होता कि वे सीधे श्मशान घाट से क्रियाकर्म सम्पन्न कर आ रहे हों। यदि ऐसा होता तो विपक्ष को अवश्य ज्ञात होता। यदि कोई अनहोनी हुई हो तो समूचे विपक्ष की गहरी संवेदनाएं मंत्री जी के साथ है। अत: अध्यक्ष महोदय से निवेदन है कि तुरंत प्रश्नकाल स्थगित कर इस गंभीर विषय पर चर्चा की जाये। मंत्री महोदय ‘नंगे पैर’ सदन में क्यों उपस्थित हैं?

सत्तापक्ष के सदस्यों की ओर से भी शोरगुल होने लगा। अपने आप को सम्माननीय समझने वाले एक सदस्य ने कहा अध्यक्ष महोदय, विपक्ष अनावश्यक विषय पर बहस करवा कर सदन का कीमती समय नष्ट करना चाहता है। यह मंत्री महोदय का निजी मामला है। वे चाहे नंगे पैर आये अथवा कीमती जूते पहने, इस पर किसी को आपत्ति नही होना चाहिए। अत: विपक्ष को इस विषय पर चर्चा कराने का कोई नैतिक अधिकार नही है। विपक्ष की ओर से शर्म शर्म की आवाजे आने लगी। भारी शोरगुल और टोका टोकी के बीच किसी विपक्षी सदस्य ने कहा कि यदि कल कोई मंत्री सदन में नि:वस्त्र आ जाये तो क्या यह सदन की गरिमा के खिलाफ नही होगा? सदन के आचरण तथा मर्यादा से हम सब बंधे हुए है। यह सदन की अवमानना का मामला है। इस पर विस्तृत चर्चा होना ही चाहिए। इस बात पर सभी सदस्य अध्यक्ष महोदय की आसन के करीब आ गये। अध्यक्ष महोदय को विवश होकर सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ी।

कुछ समय बाद सदन की कार्यवाही पुन: प्रारंभ की गई। विपक्षी सदस्यों के भारी दवाब के बीच अध्यक्ष महोदय ने मंत्रीजी से निवेदन किया की वे अपना वक्तव्य दें। नंगे पैर सदन मे आने का औचित्य सिद्ध करे।

मंत्री महोदय मुस्कुराते हुए खडे हुए, उन्होंने सदन में चारों ओर नजर डालते हुए कहा कौन कहता है हम सदन में नंगे पैर आये हैं। विपक्ष गैर रचनात्मक भूमिका निभा रहा है। उसे ऐसे औचित्यहीन प्रश्न नहीं पूछना चाहिए। इस तरह के प्रश्नों के उत्तर देना सरकार के लिए आवश्यक नही है। विपक्षी सदस्यों ने भारी शोरगुल के बीच कहा, मंत्री महोदय एक बार नजर भरकर अपने पैरो की ओर देख लें। तत्काल स्पष्ट हो जायेगा वे नंगे पैर है अथवा नहीं। सदन के सामने सच को नकारना घोर आपत्तिजनक है। अत: मंत्री महोदय को तत्काल अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।

मंत्री महोदय ने अध्यक्ष जी को संबोधित करते हुए कहा। समूचा विपक्ष हमें अपने पैरों की ओर देखने के लिए विवश कर सरकार को नीचा दिखाना चाहता है। लेकिन सरकार विपक्ष के ओछे मंसूबो को कामयाब नहीं होने देगी। सरकार विकास के लिए कार्य करती है। विकास के लिए ऊपर देखना आवश्यक है। ऊपर देखने से ही प्रगति संभव है। विपक्षी सदस्यगण हर हाल में सरकार को नीचा दिखाना चाहते है। इस कारण वे हमें अपने पैरो की ओर देखने के लिए विवश कर रहे है। इस उत्तर से असंतुष्ट होकर विपक्ष पुन: अध्यक्ष महोदय की आसंदी के पास पहुंचकर नारेबाजी करने लगा। किसी प्रकार मान मनौवल के बाद सभी सदस्यों को पुन: अपने अपने स्थान पर भेजा गया। विपक्ष की ओर से कहा गया कि मंत्री महोदय गोलमाल उत्तर देकर सदन को गुमराह कर रहे हैं। वे यह मानने को ही तैयार ही नही है कि वे नंगे पैर आये है। पूरा विपक्ष सरकार से यह मांग करता है कि मंत्री महोदय तत्काल त्यागपत्र दें। अन्यथा सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जायेगी। इस बात पर उत्साहित होकर पूरे विपक्ष ने इतनी जोर से मेजे थपथपाई की पांच टेबिलें, सात कुर्सी तथा दस माईक टूट कर सदन से बाहर जा गिरे।

अध्यक्ष महोदय के अनुरोध पर सत्तापक्ष की ओर से कहा गया कि विपक्ष यह जानना चाहता है कि सरकार के उक्त मंत्री महोदय नंगे पैर हैं। लेकिन वह इसे सि द्ध नहीं कर पा रहा है। फिर भी सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। इसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है कि पांच सदस्यों की एक समिति गठित की जाये। जिसमे विपक्ष की ओर से तीन सदस्य रखे जा सकते है। यह समिति इस बात का फैसला करेगी की मंत्री महोदय नंगे पैर है अथवा नहीं? यदि नंगे पैर है तो उसका कारण क्या है? सरकार समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम निर्णय लेगी। विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर घोर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि क्या भरोसा कल मंत्री महोदय आयातित जूते पहनकर आ जाये। इसलिए इस बात का फैसला आज ही होना चाहिए। सत्ता पक्ष की ओर से इस आपत्ति के उत्तर मे कहा गया कि सदन नियमों के तहत चलता है। सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करेगी। अत: समूचे विपक्ष को सरकार के कामकाज में रचनात्मक सहयोग देते हुए समिति गठन के प्रस्ताव को मान लेना चाहिए।

इसके बाद पांच सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया। उस समिति ने महिनों जांच कार्य किया। तब तक सदन की कार्यवाही डोलते हुए चलती रही।

लगभग छ: माह बाद सरकार की ओर से समिति की रिपोर्ट के आधार पर एक वक्तव्य दिया गया। जिसमे स्पष्ट किया गया की आज तक ऐसा नहीं हुआ की कोई भी सदस्य इस सदन मे नंगे पैर आया हो। अत: विपक्ष के सारे आरोप झूठे हैं। सरकार उन्हें एक सिरे से खारिज करती है। आज भी सभी सदस्य कीमती आयातित जूते पहने हुए है। अत: विपक्ष का यह कहना की मंत्री जी नंगे पैर आए थे अपने आप गलत सिद्ध हो जाता हैं। लोकतंत्र में जूते उतारने की परम्परा ही नहीं है। इसमें जूतो का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। अन्यथा अपना जूता अपने ही सिर पड़ने की संभावना रहती है। विपक्षी साथियों को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए।

उक्त उत्तर के बाद समूचा सदन फिर किसी गंभीर विषय की चर्चा में खो गया।

Previous articleफिर तो घुंसू का भी छूट जाएगा स्कूल
Next articleकविता/नई कोंपल
अखिलेश शुक्‍ल
शिक्षा-एम.एससी.(भौतिकी), एम.ए.(हिंदी), बी.एड., बीजे, डिप्‍लोमा इन उर्दू। फीचर्स, कहानी, व्‍यंग, आलेख, लघुकथा, कविता, डायरी, संस्‍मरण, रेखाचित्र एवं अन्‍य समसामयिक गैर राजनीतिक विषय पर लेखन। देश-विदेश के प्रमुख समाचार प‍त्र-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाएं व वेबसाइट पर लगभग 450 से अधिक रचनाएं प्रकाशित। 'यक्ष प्रश्‍न और तालाब' तथा अन्‍य व्‍यंग (व्‍यंग संग्रह), '21 वीं शताब्‍दी की कहानियां'(कहानी संग्रह) प्रकाशित, 'पेड़ पर टंगी तस्‍वीर', 'चुनी हुई लघुकथाएं'(लघुकथा संग्रह) शीघ्र प्रकाश्‍य। देश भर में ख्‍याति प्राप्‍त साहित्यिक त्रैमासिकी 'कथा चक्र' का 5 वर्ष से लगातार संपादन।

2 COMMENTS

  1. विषय: सदस्य / मंत्री का सदन मे नंगे पैर आना.
    – बड़े खेद की बात है कि सरकार का निराधार वक्तव्य एक महत्पूर्ण विषय पर एक ही सदन की समिति की रिपोर्ट के आधार पर दे दिया गया है ।
    – विषय गंभीर और अद्वितीय है. इस लिए एक सात सदस्यों की एक joint committee गठित की जाये।
    – निम्न विषय पर पुन: गंभीर विचार कर ३ मास में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाये :
    “लोकतंत्र में जूते उतारने की परम्परा ही नहीं है। इसमें जूतो का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। अन्यथा अपना जूता अपने ही सिर पड़ने की संभावना रहती है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here