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व्यंग्य/बिल्लू चले संसद!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
वे अपने आप ही अपने चमचों से मालाएं छीन-छीन कर गले में डाले जा रहे थे, धड़ाधड़-धड़धड़। यह दूसरी बात थी कि अभी भी उन्हें अपनी जीत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। मुझे भी नहीं हो रहा था कि अपना बिल्लू, बिल्लू राम से बी आर हो गये।