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व्यंग्य/ हे गण, न उदास कर मन!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अशोक गौतम गण उठ, महंगाई का रोना छोड़। महंगाई का रोना बहुत रो लिया। पहले मां बच्चे को रोने से पहले खुद दूध देती थी। तब देश में लोकतंत्र नहीं था। अब समय बदल गया है। बच्चा रोता है तो भी मां उसे दूध देने के लिए सौ नखरे करती…