व्यंग्य/हे नेता, नेता, नेतायणम्!!

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लोमश जी कहते हैं- जो सुजान नागरिक नेता के आंगन में अपनी चारपाई केनीचे के गंद की अनदेखी कर झाड़ू लगाता है वह निश्‍चय ही एक दिन संसद में पहुंच संपूर्ण देश के लिए वंदनीय हो जाता है। जो नेता के जलसों के लिए भीड़ इकट्ठी करता है वह आगे चलकर संसद में सबसे आगे बैठ गाली गलौज, जूतम पैजार करने का अधिकार पाता है। जो सुजान नेता की पालकी उठाने के लिए नंगे पांव दिन रात दौड़ भाग करता है वह तीनों लोकों में कहीं भी जन्म ले हमेशा औरों की पीठ पर ही चलता है। जो नेता की प्रसन्नता के लिए अपनों का उल्लू बनाता है वह पिता और अपने नाना दोनों के कुलों को भव सागर पार करता है तथा बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में शामिल होने का गौरव प्राप्त करता है। जो भगवान से भी महान नेता के आगे हर दम दोंनों हाथ जोड़ किराए की पूंछें अपने चारों ओर लगाए उसके आगे चंवर की तरह हिलाता रहता है वह आने वाले कल में करोड़ों का मालिक होता है। बेनामी सौदे उसके चरित्र में चार चांद लगाते हैं। जो सुजान नेता की रसोई की शान बनता है, वहां पर नेता के लिए दाल बनाता है, चटनी कूटता है, चावल बनाता है, चपातियां बना अपने हाथ जलाता है वह एक एक चपाती में लाखों कमाता है। जो हारे हुए नेता का साथ देते हैं, वे निस्संदेह उसके सत्ता में आने पर सौ गुणा फल के भागी होते हैं।

जो अपने इलाके में नेता द्वारा किसी ठेके का पत्थर रखवाते हैं वे जब तक इस लोक में रहते हैं स्वर्ग लोक का आनन्द पाते हैं। जो महान् बुद्धिमान नेता के लिए आगे बढ़ने हेतू सीढ़ी का काम करता है वह अवसर मिलने पर पूरे परिवार को उत्तम गति प्रदान करता है। जो अपने और केवल अपने पैसों से नेता के घर की सफाई करवाता है बाद में वह बिल्डर हो जाता है। जो स्त्रियां नेता जी की सेवा में हाजिर रहती हैं वे कालांतर में बहुत नाम कमाती हैं। मीडिया की कलम ज्यों ही उनकी ओर घूमती है कि देखते ही देखते वे नायिकाएं हो जाती हैं। जो पुण्यात्मा नेता जी को चुनाव लड़ने के लिए चंदे में अपना सबकुछ दे देते हैं नेता के जीत जाने के बाद वे स्वयं तो डटकर खाते ही हैं, अपने रिश्‍तेदारों को भी डटकर खिलाते हैं। वे जिस वस्तु की इच्छा करते हैं सरकार उसे निस्संकोच उपलब्ध करवाती है। तब वे अपनी अगली पिछली सारी गरीबी से मुक्ति पा लेते हैं।

जो गला फाड़ फाड़कर नेता के जलसे में सबसे आगे नारे लगाते हैं वे नेता के जीत जाने पर राज्य सभा के मानद सदस्य हो जाते हैं। आम हो या खास, जो सारे काम छोड़ नेता के द्वार पर जा पूरी मस्ती में नेता जी की आरती गाता है वह सपने में भी सुखी रहता है और समस्त व्यवस्थागत दुखों से छुटकारा पा जाता है।

‘हे नेता! त्राहिमाम् शरणागतम्!!’ इस प्रकार किसी भी स्तर के नेता का नाम स्मरण करने वाले बहुतों का नेता ने दुख दूर किया है। उनके अनके लाड़ले कइयों की आबरू पर हाथ साफ कर चुके हैं, पर भगवान ने भी उनको क्षमा कर दिया। इसलिए इस देश के हर नागरिक को सारे काम छोड़ नेता की तन मन धन से आराधना करनी चाहिए। झूठ, अनैतिक, मूल्यहीन हो भी सुजान उनका प्रतिरूप हो जाता है। किसी नेता की पूजा के लिए किसी स्त्री का दान दानों में सहस्त्र गुणा श्रेश्ठ माना गया है। इस दान के लिए बिना आंत वाला नेता भी दोनों हाथ आगे बढ़ाए दानी का इंतजार करता रहता है। भले ही बाद में उसे स्वास्थ्य खराब होने का बहाना बना इस्तीफा देना पड़े।

जिस मुख से ‘नेता जी, नेता जी’ का चतुराखर मंत्र का सोते सोते भर भी उच्चारण होता रहता है वह साधारण नागरिक न हो नेता जी के स्वरूप का ही अंश होता है। लोकतंत्र में मौज करने वाले को प्रात:काल, मध्याह्नकाल और तथा सांध्यकाल समय किसी भी नेता के दर्शन अवश्‍य करने चाहिए। ऐसा करने से सुजान के समस्त पातकों का नाश होता है। नेता जी का गुणगान करने वाला सुजान नेता को अपने से भी प्रिय होता है। नेता ही समस्त चराचर देश के आधार हैं। यहां पर सबकुछ नेता स्वरूप है। सुजान काम हो या बदनाम, सबकी नैया बिन नेता के पार नहीं होती। अत: इस व्यवस्था से पार होने के लिए सभी को नेता की पूजा करनी चाहिए। हरे नेता,हरे नेता ,हरे नेता रे! हे नेता, नेता, नेतायणम्!!

-अशोक गौतम

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