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व्यंग्य / चक्कर करोड़पति बनने का - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-गिरीश पंकज हम अपने मित्र लतखोरीलाल के घर पहुँचे। देखा तो वे सामान्य ज्ञान की किताबों से घिरे हुए हैं। मैं चकराया। इस प्रौढ़ावस्था में ये पट्ठा कौन-सी परीक्षा की तैयारी में भिड़ा हैं। पूछने पर शरमाते हुए बोले - ''हे...हे...बस, ऐसे ही...'' ''अरे, शरमाओ मत, बता भी दो। कहीं…