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व्यंग्य-तो कोतवाल जी कहिन-अशोक गौतम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सरकार के घर तो दिन रात डाके पड़ते रहते हैं, कोर्इ पूछने वाला नहीं। कोर्इ सारा दिन दफतर की कुर्सी पर ऊंघने के बाद शाम को दफतर से चुन्नू को रफ काम के लिए सरकारी रजिस्टर बगल में दबाए, जेब में चार पैन डाले शान से घर आ रहा है…