दृश्यपटल पर तेजी से
अंक बनते है और बिगड़ते है.
समीकरणों की
दायीं और बायीं इबारते
लिखी/मिटायी जा रही है
यह नीलामी /मोलभाव
मान मनौव्वल/ ब्लैकमेलिंग
धमकी और प्रलोभनो का दौर है.
चारा डालने और
जाल फेंकने का इम्तिहान है.
कितने रंग बदल पायेगा गिरगिट भी
ये बेशर्मी और बेईमानी के रंग है.
पुराने हिसाबों को
चुकाने का वक्त है
मुद्दों की नहीं
खोये अवसरों से सबक
और सम्भावनाओं की तलाश है.
सत्ता का कुरुक्षेत्र
अटा पड़ा है
कभी भी पाला बदल सकने वाले
दुधर्ष योद्धाओं से.
तम्बू और शिविर
हताहतों की चिकित्सा के लिये.
भूख/बेहाली और बदनसीबी के बीच
अवसरवाद का जश्न है
यह गिद्धों का पर्व है.
विश्व के विराटतम मंच पर
जनतंत्र का धारावाहिक
खेल तमाशा/ नाच नौटंकी
फिल्मी ट्रेजेडी और कॉमेडी
कौन नहीं कुटिल खल कामी.
गिरवी रखे सरोकारों
और बिकती प्रतिबद्धताओं का दौर है.
शर्म से गडे़ जा रहे
हम जैसे दर्शकों की
खामोशी पर धिक्कार है.