मंत्री जी, छॅ लाख लिजिए और देश के लिये जरा शहीद होके दिखाइए

डा. अरविन्द कुमार सिंह

मंत्री जी कृपया बताईये, भारतीय संविधान की किस धारा और अनुच्छेद में यह लिखा है कि देश के लिये सिर्फ वेतन पाने वाले ही मरेगें। कहॉ लिखा है कि राजनेता देश के लिये नही मरेगें? फिर आप के द्वारा यह कहना कि ‘‘ वो वेतन पाते है मरने के लिये ही ’’ यह कहॉतक औचित्यपूर्ण है। मंत्री जी याद रखे, देश में तत्काल पैदा हुए बच्चे और 95 वे वर्ष के बूढे व्यक्ति को देश पर मरने का बराबर का हक है। देश पर मरने के लिये कोई आरक्षण का कानून लागू नही है। और न ही मंत्री से लेकर संतरी तक इससे बरी है।

 बिहार के मंत्री, भीम सिंह जी ने पुछ सेक्टर में 21 बिहार रेजिमेंट के शहीद सैनिको के सन्दर्भ में बहुत ही शर्मनाक बयान दिया। कहा सेना और पुलिस में लोग मरने के लिये ही जाते है। वो नही मरेगें तो क्या आप मरेगें ? मंत्री जी आप से अनुरोध है कृपया छॅ लाख लिजिए और देश के लिये जरा शहीद होके दिखाइए। दरअसल हम सभी की याद्दाश्त थोडी कम है जरूरत सबकुछ याद रखने की है। आइये कुछ पुरानी यादो के साथ अपनी बात कहने की कोशिश करता हूॅ।

सच तो ये है, आज देश का शिर्ष नेतृत्व, अपनी साख एवं प्रतिष्ठा खो चुका है। बेशर्मीपूर्ण बयान और दोषारोपण, उसकी कार्यशैली की पहचान है। संवेदना, उसके व्यवहार एवं ऑखो में खोजना, रेगिस्तान में पानी खोजने के बराबर है। अभी हाल में देश के महत्वपूर्ण समस्याओं पर राजनेताओं का बयान काफी चौकाने वाला रहा है। शायद, शर्म भी आपने आप से शर्मसार हो जाये, कुछ ऐसा। कुछ बानगी देखिये –

  •   हर आंतकी हमला रोका नही जा सकता है – गृहमंत्री चिदम्बरम
  •   दाउद पकडा नही जा सकता है – गृहमंत्री चिदम्बरम
  •   लोकपाल से भ्रष्टाचार दूर नही हो सकता है – यह बयान संसद में उस व्यक्ति ने दिया था, जो देश के प्रधानमंत्री बनने का        सपना  देखते हैं।
  •  अन्ना हजारे सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में लिप्त है – काग्रेस प्रवक्ता   मनीष तिवारी

उपर जो कुछ है वह किसी व्यक्ति का बयान भर नही है वरन सरकार के जिम्मेदार व्यक्तियों का गैर जिम्मेदारीपूर्ण हताशा में डूबा हुआ बयान है, जो देश का मनोबल तोडता है। थोडा सरकार की कार्यशैली भी देखते चले –

 

  • काले धन जमा करने वालो का नाम बताना सम्भव नही है।
  • किसी आंतकी को आज तक फॉसी नहीं।
  • रामदेव के सर्मथको पर आधी रात को लाठी चार्ज की पुलिसियॉ कार्यवाही। क्यो कि वो विदेशो में जमा काले धन को देश में लाना चाहते हैं।
  • अन्ना हजारे को तिहाड जेल में डाला क्यो कि वो भ्रष्टाचार समाप्त करने हेतु जनलोक पाल बील की बात कर रहे थे।

 

अब जरा राज्य सरकारो की बानगी देखे – राष्ट्र के कर्णधार कर क्या रहे है?

 

  •  उडीसा विधान सभा में राजीव गॉधी के हत्यारो की फॉसी की सजा  माफ करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गये थे।
  •  दूसरी तरफ जम्मू काश्मीर विधान सभा में संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरू की फॉसी माफ करने का प्रस्ताव लाया गया था।
  •  पंजाब सरकार आखिर कार पीछे क्यो रहती। उसने भुल्लर की फॉसी  की सजा मॉफ करने का प्रस्ताव रख दिया था।

 

राजनेताओं का यह व्यवहार जनता को स्तम्भीत एवं चाैंकाने वाला है। किस श्रेणी में रखा जाय इन व्यवहारो को –

 

  •             देश भक्ति
  •             कर्तव्यपरायणता
  •             कायरता या फिर
  •             देश के प्रति गद्दारी

 

जनता ( फिल्म अभिनेता – ओमपुरी ) यदि कुछ कहे तो संसद का विशेषाधिकार का हनन – और बिहार के मंत्री, भीम सिंह जी शहादत को अपमानित करने वाला बयान दे तो देश सेवा? सत्ता में रहकर आतंकवाद के खिलाफ बोलेगें और सत्ता से बाहर रहने पर आतंकवादीयों का मुकद्मा लडेगें? यह चरित्र हैं हमारे राजनेता चिदम्बरम का। यह आप का कौन सा पेशा है जो आप प्रोफेशन की आड में छिपाते हैं?

जनता सर कटॉती है सीमाओं पर, और आप पूरी बेशर्मी से विधान सभाओं में फॉसी की सजा पाये आतंकवादीयों की सजा मॉफ कराने में लगे है। क्या यह सुप्रीम र्कोट की अवमानना और देश के प्रति गद्दारी नही है।

एक भी राजनेता दिल्ली की गद्दी पर बैठ कर यह नही बता रहा है कि देश से भ्रष्टाचार दूर कैसे होगा? काला धन कैसे वापस आयेगा? हॉ, जो ये आवाजे उठा रहे है उनकी जुबान कैसे बन्द की जाय, इसके रास्ते जरूर तलाशे जा रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट राजनैतिक पार्टियो को जनसूचना के अधिकार के अर्न्तगत लाने की बात करती है तो ये चम्तकारिक रूप से इसके विरोध में लामबन्द हो जाते है। इससे बडी इनकी देश सेवा का प्रमाणपत्र और क्या होगा। लेकिन है ना, इससे बडा भी प्रमाणपत्र है। दो साल की सजा पाये व्यक्ति को कोर्ट ने जब चुनाव लडने से प्रतिबन्धीत किया तो भी ये सारी लो लाज तथा हया छोडकर , इसके बरखिलाफ लामबन्द हो गये।

मंत्री सुप्रीम र्कोट के आदेश पर लगातार जेल जा रहे हैं फिर भी सरकार की हेकडी नही जा रही है। प्रधानमंत्री जी की ईमानदारी की इससे बडी मिसाल और क्या मिलेगी कि उनके मंत्री जेल में है और वो बडे गर्व से कह रहे है – इस सन्दर्भ में मुझे कुछ नही मालूम है। बडी छोटी सोच है, इन सोचो से राष्ट्र बडा नही हुआ करता।

राजनेताओं के नजरिये से देखा जाये तो पंजाब विधान सभा भुल्लर को, उडीसा विधान सभा राजीव गॉधी के हत्यारो को और जम्मू कश्मीर विधान सभा अफजल गुरू को फॉसी की सजा से बरी करना चाहती थी। इस बेशर्मी पूर्ण आचरण से तो बेहतर है, राज्यों से पुलिस व्यवस्था और सीमाओ से सेना को हॅटा दिजीये। राजनेता जी एक तरफ एक आतंकवादी की मॉ खुश होगी तो दूसरी तरफ वो मायें भी खुश होगी जिनके बेटे देश के लिये शहीद होते है।

राष्ट्र के लिये कुर्बान होने वालो के लिये तो आपको एयरर्पोट जाने तक का वक्त नही है, चलिये आतंकवादीयों को माफी दिलाकर ही सही, इतिहास में मीरजाफरो की जमात मे ही खडे हो ले। राष्ट कैसे जिन्दा रहता है? ये आप को कैसे पता चलेगा? कभी आपने, अपने जवान बेटे की लाश, अपने, दरवाजे पे देखी है। आप क्या जानो उस मॉ का दर्द, जिसका बेटा देश के लिये शहीद होता है-

जब बेटे की अर्थी आई होगी, सूने आगॅन में

bhim singhशायद दूध उतर आया होगा, बूढी मॉ के दामन में।

 

शायद आपने कभी किसी सुहागन का मगंल सूत्र ध्यान से नही देखा –

 

तब ऑखों की एक बूॅद से, सातो सागर हारे होगें

जब मेहॅदी वाले हाथों ने, मगंल सूत्र उतारे होगें।

 

विधान सभाओं में पारित ये सारे प्रस्ताव ( आतंकवादीयों की सजा मॉफी का ) राष्ट्र को गाली है, राजनेताओं द्वारा। शहीदो को गाली है, राजनेताओं द्वारा। सुप्रीम र्कोट की वैद्यता को चुनौती है, राजनेताओं द्वारा तथा राष्ट्र के पौरूष का अपमान है, राजनेताओं द्वारा। यह एक ऐसा कृत्य है, जिससे शर्म भी शर्मसार हो जाये अपने आप से। हम उनके पक्ष मे खडे है, जिन्होने हमारे देश को चुनौती दी? देश के गद्दारो के साथ खडे होकर आप देशभक्ति का तराना नही गा सकते है। अजीब विडम्बना है, चमडे की रखवाली पर, कुत्तो की पहरेदारी है। याद रखे, नफरत और मुहब्बत एक ही तराजू पर नही तुलते। राष्ट्र जिन्दा रहेगा तो हमारा वजूद जिन्दा रहेगा। अब पूरे राष्ट्र को सोचना है कि इस तरह का कृत्य, क्या राष्ट्र को जिन्दा रखता है?

 

7 COMMENTS

  1. आदरणीय,
    आर सिंह जी
    हमारे और आप के बीच इतना ही फर्क है। आप मोदी जी के उपर देख नहीं पा रहे है और मैं देश से नीचे सोच नही पा रहा हूॅ। पाला बदल देने से गद्दार देश भक्त नहीं हो जाया करता। मेरे विचार आज भी वही कायम है जब मैने वो लेख लिखा था। देश हित में जो भी काम करेगा मेै उसी के साथ खडा हूॅ। ऐसे ही हौसिला बढाते रहे,
    आप का
    अरविन्द

  2. आज समीकरण बदल गया है.आज उनके पाप धूल गएँ हैं,क्योंकि उन्होंने नमो का पल्ला थाम लिया है.

    • मैंने निम्नलिखित टिप्पणी 1 day 21 hours ago “कृषकों की आत्महत्त्याएं कैसे रुकेगी?” के संदर्भ में आपकी टिप्पणी के प्रतिउत्तर में लिखी थी, आपके ध्यान में नहीं आई| पढ़िए|

      “आपकी सरकार?” नहीं, क्यों न राष्ट्रद्रोहियों के लिए मन का बोझ ही हो, है तो यह सब की सरकार| मैं अवश्य ख़ुशी ख़ुशी गाय गाय चिल्लाता हूँ और चिल्लाता रहूँगा क्योंकि कृषक का बेटा रहते जब से होश संभाला है और दिल्ली में आने पर जब तक सरकार की ओर से मवेशियों को बाहर गौ शाला में रखने का कानून नहीं बना, हमने घर में गाय रखी है| कृषि हो अथवा गृहस्थ जीवन, गाय का महत्व आर्थिक व सामाजिक सुख से जुड़ा हुआ है| जब हम दोनों के इतने विचार मिलते हैं तो गंगा जमुना को लेकर क्यों झगड़ा करें? गंगा पिछले कई दशकों से कितनी मैली और दूषित है आप और मैं उतना ही जानते हैं जितना भारतीय मीडिया हमें बताता है| सच कहूँ कि यदि हरिद्वार में सामर्थ आश्रम के पिछवाड़े में बहती गंगा घाट से शीशे के गिलास में भर गंगाजल को Bisleri जल से मिलाएं तो आपको कोई अंतर नहीं दिखाई देगा| काम हो रहा है तो हम क्यों अपनी टांग अड़ाएँ? मोदी सरकार, जो हम सब की सरकार है, को जिन्हें पीटना है उन्हें पीटने के और कई कारण ढूंढे मिलें गे|

  3. भारतवासियों की भावनाओं को बड़े चुटीले व संवेदनशील रूप में विकृत व नस्ट किया गया है इस चुटीले पन का कमाल देखिये जी आज हर आम वा ख़ास के सर से चोटी गायब हो गयी, है ना कमाल इस चुटीले पन का . ‘प्रवक्ता’ पर लिखने वाले सभी रस्त्रावादी लेखको (नपुंशक वा सेकुलरलेखको को छोड़ कर ) से इसी प्रकार के लेखो की श्रंखला की उम्मीद के साथ लेखक को बहुत बहुत बधाई .

    रास्ट्र धर्म सर्वोपरि

  4. ये मुर्दों का देश है, इंसान तो यहाँ रहते ही नहीं है, यहाँ कोई कुछ करे किसी को कोई परवाह नहीं है…. हम आप सिर्फ अपनी छाती पीट सकते हैं कुछ दिन तक, फिर नई टीस का इन्तजार करेंगे…..

  5. भारतवासियों की भावनाओं को बड़े चुटीले व संवेदनशील रूप में प्रस्तुत किया है, साधुवाद. आशा है आगे भी ‘प्रवक्ता’ पर लिखते रहेंगे.

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