श्रीमती पटेरिया के बयान से बौखलाई गोंडवाना

विधायिका श्रीमती नीता पटेरिया यह भी कह रही हैं कि कौन से मुझे इस क्षेत्र से वोट मिले थे। वहीं कौन आदिवासियों ने मुझे वोट दिया है आदिवासियों ने वोट तो गोंगपा, मुनमुन राय, व कांग्रेस को दिया था। वहंीं हमारे नेता डॉ. बिसेन भी आदिवासियों के वोट नहीं मिल पाने के कारण हार गये और तो और भाजपा में जो भी आदिवासी नेता आये हेैं वे सभी किसी दूसरी पार्टी से आये हैं या फिर स्वार्थ वस पार्टी में आये हैं ।

सिवनी सिवनी विधानसभा क्षेत्र की विधायक श्रीमती नीता पटेरिया ने बैठे-बिठाये गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भारतीय जनता पार्टी सरकार के विरोध में बोलने के लिए एक जबरदस्त मुद्दा दे दिया है। उन्होने पिछले दिनों मृतक राकेश बरकड़े की आत्महत्या के पश्चात जो बयानबाजी कर बरैया के छत्ते में मानो पत्थर मार दिया है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने श्रीमती पटेरिया के बयान के विरोध में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन का माहौल तैयार कर लिया है। आदिवासी समाज के व्यक्ति श्रीमती पटेरिया के बयान को सारी जाति का अपमान मान रहे हैं। पूरे जिले मेें आदिवासियों के बीच श्रीमती पटेरिया का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है,जब श्रीमती पटेरिया अपनी ऊलजलूल बयानबाजी से पूरी पार्टी को परेशानी में डाला हो। इसके पूर्व भी वे या उनके वरदहस्तों द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए परेशानियां खड़ी करते रहे हैं। सांसद रहते हुए एक सिवनी जिले के आदिवासी की लाश तत्कालीन सांसद रहीं श्रीमती पटेरिया द्वारा कोई मदद आश्वासन देने के पश्चात भी न करने के कारण सड़ते रही और मृतक के परिजनों ने मजबूरन उसे दिल्ली में ही दफन किया था। वह घटना भी फिर से ताजा हो गई है। अभी हाल ही में सिवनी विधानसभा क्षेत्र के थांवरी नामक गांव में एक आदिवासी कृषक द्वारा आत्महत्या कर ली गई है। इस कृषक आत्महत्या को घाटे की कृषि के कारण आत्महत्या न होना बताने का सत्ताधारी दल की विधायक और प्रशासन द्वारा भरसक प्रयास किया जा रहा है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी श्रीमती नीता पटेरिया के व्यवहार को और बर्ताव को आदिवासी विरोधी मान रहे हैं। गोंडवाना का आरोप है कि नीता पटेरिया ने यहां तक कहा है कि भाजपा को आदिवासियों का कौन सा वोट मिलता है। आदिवासियों ने गोंडवाना, मुनमुन राय और कांग्रेस को वोट दिया था,हमें तो कोई वोट मिले ही नहीं। आदिवासियों का वोट अगर भाजपा को मिल जाता तो डॉक्टर ढालसिंह बिसेन जी जीत जाते गोंगपा का ऐंसा आरोप है कि यह बात श्रीमती नीता पटेरिया ने कही है। हालांकि यह बात नीता पटेरिया ने अवश्य कही है और विज्ञप्ति भी जारी हुई है कि आत्महत्या करने वाला किसान महत्वकांक्षी था उसने आत्महत्या कृषि में हुई नुकसानी के कारण नहीं अन्य कारणों से की है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा इन्ही सब मुद्दों पर विशाल सम्मेलन 04 मार्च को केवलारी के रायखेड़ा में आयोजित किया गया है। जारी विज्ञप्ति में गोंगपा के मीडिया प्रभारी विवेक डहेरिया ने बताया है कि इस सम्मेलन में गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम मौजूद रहेंगे। इस सम्मेलन में जिले में किसानों के साथ मुआवजा वितरण में की जा रही लापरवाही आमजनता के साथ अन्याय अत्याचार,शोषण और शासकीय योजनाओं में किये जा रहे भ्रष्टाचारों एवं भाजपा विधायक की आदिवासी विरोधी टिप्पणियों का विरोध किया जायेगा। मीडिया प्रभारी के अनुसार जिले में कई गा्रामों में अभी भी किसानों की पाला से प्रभावित हुई फसलों का सर्वे नहीं हो पाया है ओैर जहां पर सर्वे हुआ है तो अनेक स्थानों पर मुआवजा वितरण नहीं हो पाया है। वहीं राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कागजी आंकड़े बनाकर तैयार कर लिये हैं। जिसका प्रचार-प्रसार भाजपा व उनके जनप्रतिनिधियो के द्वारा किया जा रहा है परंतु किसानों को किसी भी तरह से राहत नहंीं मिल पा रही है मुआवजा वितरण कार्य में सिवनी जिला प्रशासन पूरी तरह विफल रहा है। वहीं ग्राम थांवरी का आदिवासी युवा किसान के द्वारा खेती किसानी में हो रहे लगातार घाटे व बढ़ते कर्ज के कारण आत्महत्या कर लिया गया , परंतु उसकी आत्महत्या के कारण को जैसा कि अन्य किसानों की आत्महत्या के मामले में म.प्र. की सरकार विधानसभा में शराबी व पागल बनाकर प्रस्तुत कर रही है उसी तरह सिवनी में भी प्रशासन और भाजपा की विधायिका समझ से परे बताकर कोई नया कारण बनाने का प्रयास कर रहें है। साथ में वोट के आंकड़ों का हवाला देकर एवं मुआवजे को राजनैतिक रंग देकर मुआवजा के मामले में भाजपा पार्टी की विधायिका श्रीमती नीता पटेरिया यह भी कह रही हैं कि कौन से मुझे इस क्षेत्र से वोट मिले थे। वहीं कौन आदिवासियों ने मुझे वोट दिया है आदिवासियों ने वोट तो गोंगपा, मुनमुन राय, व कांग्रेस को दिया था। वहंीं हमारे नेता डॉ. ढालङ्क्षसह बिसेन भी आदिवासियों के वोट नहीं मिल पाने के कारण हार गये और तो और भाजपा में जो भी आदिवासी नेता आये हेैं वे सभी किसी दूसरी पार्टी से आये हैं या फिर स्वार्थ वस पार्टी में आये हैं । इस तरह की बयान बाजी करके म.प्र. में सत्तारूढ़ दल भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासी सम्मान यात्रा के दौरान आदिवासी मेरे लिए भगवान है जैसी बातों को कहने पर प्रश्र चिन्ह लगा रहीं हैं। आज जनता के साथ बढ़ृ रहे अन्याय, अत्याचार शोषण एवं किसानों का मुआवजा भी भाजपा को वोट देने वाले क्षेत्र के आधार पर ही बनाया जा रहा है। ऐसी जनविरोधी नीतियों के विरोध एवं अन्य समस्याओं को लेकर गोंगपा का विशाल सम्मलेन का आयोजन कल ४ मार्च को किया गया है। सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय महासचिव श्यामसिंह मरकाम, व अन्य राष्ट्रीय व प्रांतीय पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।

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  1. नीता पटेरिया को यदि राजनीती में रहना है तो ब्राह्मणत्व को घर में ही छोड़ कर सार्वजनिक जीवन में आना चाहिए.हालाँकि वे निहायत ही ईमान दार और साफ़ सुथरी छवि कि विद्वान् भाजपाई नेत्री हैं .उन्हें विवादस्पद मुद्दों पर भले ही वो नितांत सत्य ही क्यों न हो ,अपनी प्रतिक्रिया संभलकर व्यक्त करनी चाहिए. भाजपा जैसी बनिया पार्टी में वही ज्यादा दिन टिक सकेगा जो वणिकों जैसी पाखंडपूर्ण विनम्रता का आचरण करता हो,भले ही वह परदे के पीछे तमाम तरह के कदाचार में लिप्त हो.नीता जी को नेताजी बनना है तो इस दोमुहे चरित्र को स्वीकार करना होगा .यदि अपनी उज्जवल धवल पारिवारिक आनुवंशिक अस्मिता से लगाव है तो राजनीती से तौबा करना होगा ….

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