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कहानी/ चकाचौंध से परे - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आर. सिंह "चा ऽ चा ऽ".यह आवाज कानों में पडते हीं मैं थोडा ठीठका.फिर सोचा यह आवाज यहाँ कहाँ से आ सकती है?यह तो मेरे गाँव,मेरे इलाके की आवाज थी और मैं तो गुजर रहा था,कोलकाता में चौरंगी से. आवाज फिर कानों में टकराई,"चा ऽ चा ऽ". वही खींची हुई…