सुमित्रा के ‘सौम्य’ मार्गदर्शन की जरूरत

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-रमेश पाण्डेय-
SUMITRA MAHAJAN

लोकसभा में वर्षों से मध्य प्रदेश के इंदौर का प्रतिनिधित्व कर रहीं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन का सर्वसम्मति से 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना जाना स्वागतयोग्य है। सदन के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब एक महिला को इस अहम पद की जिम्मेवारी मिली है। मीरा कुमार पिछली लोकसभा की अध्यक्ष थीं। लोकसभा देश की सबसे बड़ी पंचायत है, जहां देशभर से निर्वाचित सांसद जनता की आशाओं व अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा उन्हें पूरा करने की कोशिश करते हैं। सुमित्रा महाजन लगातार आठवीं बार चुन कर आयी हैं और उनके पास सार्वजनिक जीवन का लंबा व सक्रिय अनुभव है। 1982 में इंदौर नगर निगम के सदस्य के रूप में राजनीतिक यात्रा प्रारंभ करनेवाली महाजन वाजपेयी सरकार में बतौर राज्यमंत्री महत्वपूर्ण मंत्रालयों में काम कर चुकी हैं। ऐसा नहीं है कि लोकसभा अध्यक्ष बनने तक का उनका राजनीतिक सफर बहुत आसान रहा है। वे विधानसभा के तीन चुनाव हार चुकी हैं और उन्हें वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्रियों की उपेक्षा के विरुद्ध आवाज भी उठानी पड़ी थी। अब उनसे यह अपेक्षा है कि वे सदन में कमजोर विपक्ष का ख्याल रखेंगी और उसे समुचित संरक्षण प्रदान करेंगी। 16वीं लोकसभा में तीन सौ से अधिक सदस्य पहली बार चुन कर आये हैं। इन सदस्यों को महाजन के वृहद् अनुभव और सौम्य मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी। उनके अध्यक्ष बनने से महिलाओं की उम्मीदों को भी बड़ा सहारा मिला है। देश की आधी आबादी कई समस्याओं से जूझ रही है और उसके खिलाफ अपराधों में बेतहाशा वृद्धि बड़ी चिंता की बात है। उम्मीद है कि वे सदन में महिलाओं के हितों की प्राथमिकता सुनिश्चित करेंगी। पिछली लोकसभा का अधिकांश समय शोरगुल और हंगामे की बलि चढ़ गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वर्तमान लोकसभा इस सदन की बेहतरीन परंपराओं के अनुरूप कार्य व व्यवहार की नए मानदंड स्थापित करेगी। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने पहले संबोधन में महाजन ने भी भरोसा दिलाया है कि वे लोकतांत्रिक मयार्दाओं व कर्तव्यों का निर्वाह करेंगी। उम्मीद है कि सुमित्रा महाजन को उनके कार्य-निष्पादन में सरकार, सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष का पूर्ण सहयोग मिलेगा।

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