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सू्र्यदेव का स्वागत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सू्र्यदेव का स्वागत मै बाँहें फैला कर करता हूँ, आग़ोश मे लेलूँ सूरज को, महसूस कभी ये करता हूँ। उदित भास्कर की किरणे, जब मेरे तन पर पड़ती हैं, स्फूर्ति सी तन मे आती है, जब सूर्य नमन मै करता हूँ। स्वर्णिम आरुषि मे नहाकर मै, भानु को…