डा. राधेश्याम द्विवेदी
बहुचर्चित और विवादित कॉरिडोर फिर से चर्चा में:- आगरा का बहुचर्चित और विवादित ताज हेरिटेज कॉरिडोर एक बार फिर से चर्चा में आ गया है । ताजमहल और आगरा किला के बीच बने ताज हेरिटेज कारीडोर स्थल को संरक्षित स्मारक मुगल गार्डन में तब्दील करने और हरियाली विकसित करने के लिए एएसआई ने काम शुरू करा दिया है । एएसआई ने जून में ही 1.10 करोड़ रुपये का कारीडोर की सफाई और मलबा हटाने का टेंडर जारी किया था, लेकिन चिन्हांकन का काम अटकने से सफाई शुरू नहीं हो सकी थी। वन विभाग, उद्यान विभाग और आगरा प्रशासन के साथ एएसआई को सौंपी जाने वाली 20 हेक्टेयर जमीन का चिन्हांकन होने के बाद मलबा हटाने का काम शुरू किया गया है। 13 सालों में यह जगह कूड़ा और मलबा डालने में उपयोग की जा रही थी। झाड़ियां और बबूल उगने के अलावा बड़ी तादात में यहां पत्थर और बोल्डर पड़े हुए हैं, जिससे कारीडोर पर सफाई में मुश्किल हो रही है। पूरे क्षेत्र को समतल कर यहां हरियाली विकसित करने का प्लान है। फिलहाल उजाड़ पड़े हेरिटेज कॉरिडोर की सफाई और समतलीकरण करने के बाद यहां खूबसूरत गार्डन बनाया जायगा।
यमुना की तलहटी पत्थरों से पटी थी :- आगरा के किले से ताजमहल तक यमुना की तलहटी के पूरे इलाके में 13 साल पहले इसी तरह बुलडोजरों और जेसीबी मशीनों की गड़गड़ाहट की गूंज ने यूपी की मायावती सरकार की चूलें हिला कर रख दी थीं। योजना थी कि इस पूरे इलाके को ‘ताज हेरिटेज कॉरिडोर’ का नाम देकर यहां बड़े-बड़े बिजनेस कॉम्प्लेक्स डिवलप कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाय। लगभग छह महीने तक यहां बड़े-बडे बुलडोजर और जेसीबी मशीनों से यमुना की तलहटी को पत्थरों से पाट दिया गया। जब मीडिया की नजर में यह मामला आया तो मालुम हुआ कि बिना एएसआई और सुप्रीम कोर्ट को विश्वास में लिए राज्य सरकार ने गुपचुप योजना तैयार कर काम शुरू करा दिया था। इस मामले को लेकर जमकर बवाल हुआ। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में ताज हेरिटेज कॉरिडोर योजना पर रोक लगा दी थी।
एएसआई ने सफाई का काम शुरू कराया:- रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में यहां हरियाली विकसित करने के आदेश दिए थे लेकिन उस आदेश के दस साल बाद अब जाकर एएसआई ने 20 हेक्टेयर जमीन की सफाई का काम शुरू कराया है। 13 साल बाद ‘ताज हेरिटेज कॉरीडोर’ पर बुलडोजर चलने शुरू हुए। वर्ष 2003 में ताज हेरिटेज कारीडोर योजना पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में यहां हरियाली विकसित करने के आदेश दिए थे। इसके भी 10 साल बाद अब जाकर एएसआई ने यहां की सफाई और समतलीकरण का काम शुरू किया है। अभी तीन जेसीबी और दर्जन भर ट्रैक्टर 20 हेक्टेयर क्षेत्र को समतल करने में लगे हुए हैं। एएसआई अधीक्षक डॉ भुवन विक्रम ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एएसआई ने काम शुरू कर दिया है। पहले इसे समतल और साफ करना है। इसके बाद देखेंगे कि यहां सिर्फ हरियाली रहे अथवा इसे खूबसूरत पार्क में तब्दील किया जाए। सूत्र बताते हैं कि 1 करोड़ 10 लाख रुपये इस काम के लिए मंजूर हुए हैं। सिर्फ कॉरिडोर की सफाई में ही छह महीने से एक साल तक का वक्त लग सकता है।
उद्यान शैलियों का मुग़ल उद्यान एक समूह हैं:- इनका उद्गम इस्लामी मुगल साम्राज्य में है। यह शैली फारसी बाग एवं तैमूरी बागों से प्रभावित है। आयताकार खाकों के बाग एक चारदीवारी से घिरे होते हैं। इसके खास लक्षण हैं, फव्वारे, झील, सरोवर, इत्यादि। मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर या तैमूर ने इसे चारबाग कहा था। इस शब्द को भारत में नया अर्थ मिला, क्योंकि बाबर ने कहा था, कि भारत में, इन बागों हेतु तेज बहते स्त्रोत नहीं हैं, जो कि अधिकतर पर्वतों से उतरी नदियों में मिलते हैं। जब नदी दूर होती जाती है, धारा धीमी पड़ती जाती है। आगरा का रामबाग इसका प्रथम उदाहरण माना जाता है। भारत एवं पाकिस्तान (तत्कालीन भारत) में मुगल उद्यानों के अनेकों उदाहरण हैं। इनमें मध्य एशिया बागों से काफी भिन्नता है, क्योंकि यह बाग ज्यामिति की उच्च माप का नमूना हैं। आगरा में मुगलकालीन महत्व के 26 उद्यानों का जीर्णोद्धार किया जाना है। इन चिह्नित उद्यानों के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। आस्ट्रिया की एक लेखिका ने यहां के उद्यानों पर शोध किया है। इसमें इनके जीर्णोद्धार पर कार्य किया जा रहा है। आगरा में मुगल गार्डन के रेस्टोरेशन को लेकर लगभग पूर्व में होटल जेपी पैलेस में सेमिनार आयोजित किया गया था। इसमें आस्ट्रियन लेडी ईबा कोक ने प्रजेंटेशन देकर बताया था कि यमुना किनारे मुगल गार्डन को पुनर्जीवित किया जा सकता है।