में हुए आतंकी हमले से सबसे बड़ा सबक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और सेनापति राहील शरीफ को लेना चाहिए। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत का सवाल है, पाकिस्तानी सरकार और वहां के आतंकियों को अब यह बात तो समझ में आ गई होगी कि बड़े से बड़ा आतंकी हमला भी निरर्थक सिद्ध होता है। सारे आतंकवादी मार गिराए जाते हैं। भारतीय जान-माल का नुकसान तो होता है लेकिन कुछ घंटों बाद पूरा भारत सीना तानकर खड़ा हो जाता है लेकिन पाकिस्तान का भयंकर नुकसान हो जाता है।
सारी दुनिया में उसकी बदनामी होने लगती है। दुनिया के लोग उसे ‘गुंडा राष्ट्र’ (रोग़ नेशन) की उपाधि देने लगते हैं। पूरे भारत की जनता क्रोधित होकर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने लगतr हैं। भारत में जो लोग भी पाकिस्तान से अच्छे संबंध बनाने की वकालत करते हैं, उनकी मज़ाक उड़ने लगती हैं। नरेंद्र मोदी ने मियां नवाज़ के जन्म दिन पर लाहौर पहुंचकर जो चमत्कार पैदा किया था, वैसे काम फीके पड़ने लगते हैं। विदेश सचिवों के बीच टूटी हुई बातचीत का तार, जो दुबारा जुड़ गया था, अब फिर तनाव में आ गया है। यदि इस बीच एकाध और आतंकी घटना घट गई तो इस तार के फिर टूटने में देर नहीं लगेगी।
आतंकी लोग किसी के नहीं होते। वे भारत के जितने दुश्मन हैं, उससे बड़े दुश्मन वे पाकिस्तान के हैं। उन आतंकियों के खिलाफ यदि पाकिस्तान की फौज कमर नहीं कसेगी तो एक दिन ऐसा मौका भी आ सकता है कि भारत को सीधी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़े, जो बिगड़कर युद्ध का रुप भी ले सकती है। यदि ऐसा होता है तो इससे अधिक खतरनाक और शर्मनाक बात क्या होगी? पाकिस्तान की फौज ने गत वर्ष आतंकियों के विरुद्ध जबर्दस्त अभियान चलाया था, जिसकी सराहना सारी दुनिया में हुई थी लेकिन खेद का विषय है कि वह अभियान सिर्फ उन आतंकवादियों तक सीमित रहा, जो पाकिस्तान के विरुद्ध थे। वह अभियान उन आतंकियों के विरुद्ध कभी नहीं चला, जो भारत में हिंसा फैलाते हैं।
अमेरिकियों की भी पहली चिंता यह है कि जो आतंकी उसके विरुद्ध हैं, पाकिस्तान उनकी मरम्मत करे। उसे भी इस बात की परवाह नहीं है कि वे आतंकी भारत में भी हिंसा फैला रहे हैं। इसी कारण सारी मीठी-मीठी बातों के बावजूद आतंकवाद जिंदा है।
जरुरी यह है कि आतंकियों और उनके संरक्षकों से भी कोई सीधी बात करे। उनसे पूछे कि चार-चार युद्ध करके भी पाकिस्तान जो कुछ हासिल नहीं कर सका, वह तुम यह आतंक फैलाकर कैसे हासिल करोगे? मैं समझता हूं कि कई बार जहां गोली फुस्स हो जाती है, वहां बोली काम कर जाती है। क्या हमारे दोनों देश इन मुद्दों पर कुछ काम करेंगे? यदि मियां नवाज़ अपनी इज्जत बचाना चाहते हैं और उससे ज्यादा मोदी की, तो उन्हें इस आतंकी घटना से तुरंत गहरा सबक लेना होगा।