जन्मा जिस कोख से उसको भी लजाया हूँ ,
ना जाने कितने मासूमो का खून में बहाया हैं ,
ना कोई आशा हैं मुझसे ना मैं आशावादी ,
मैं तो बस एक जेहाद का मारा, नाम आतंकवादी |
कर धमाका मार सबको ये मेरा गुरु ज्ञान हैं ,
जेहाद के खातिर मरे तो सबसे बड़ा सम्मान हैं ,
ना कोई जाती हैं तेरी ना कोई परिवार हैं ,
बस यही शिक्षा मुझे सिखलाई जाती हर बार हैं,
ना कोई आशा हैं मुझसे ना मैं आशावादी ,
मैं तो बस एक जेहाद का मारा, नाम आतंकवादी |
हो वो हिन्दू या मुसलमा, ईद हो या दीवालीयां ,
धर्म ना मजहब मैं पूछू चला रहा हूँ गोलियां ,
खून जो बहता हैं तो होली के जैसा लगता हैं ,
कर दूँ अगर धमाका मन दीवाली मानाने लगता हैं ,
ना कोई आशा हैं मुझसे ना मैं आशावादी ,
मैं तो बस एक जेहाद का मारा, नाम आतंकवादी |
मंदिर कभी मस्जिद कभी बाजार चुनता हूँ ,
विश्व की शक्ति ट्रेड या ताज चुनता हूँ,
मातम भरी चीखे मुझे खुशहाल करी हैं ,
बुझादु गर दीपक घरो के ख़ुशी बेमिशाल मिलती हैं ,
ना कोई आशा हैं मुझसे ना मैं आशावादी ,
मैं तो बस एक जिहाद का मारा, नाम आतंकवादी |
कुलदीप प्रजापति