ये गया कि वो गया!!

0
195

सारी रात रजाई में दुबक टमाटर की आरती गाते रहने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में प्याज चालीसा पढ़ रहा था कि एकाएक दरवाजे पर ठक्- ठक् हुई। पड़ोसी ही होगा! आ गया होगा नए साल की मुबारकबाद देने के बहाने खाली कटोरी बजाता। इसे तो बस मांगने का कोई बहाना चाहिए। प्याज चालीसा पढ़ना बंद कर डरते- डरते हनुमान चालीसे का पाठ करते दरवाजे तक गया पर उस वक्त दरवाजा खोलने की हिम्मत मेरी नहीं हो रही थी। जैसे कैसे दिल पर हाथ रख दरवाजा खोला तो सामने एक अजनबी की मुस्कुराहट देख आधा डर हवा हो गया। सच कहूं! बड़े दिनों बाद इस देश में किसीको हंसते देखा तो हंसने को बड़ा मन किया पर एकाएक पत्नी की याद आते ही हंसने के लिए खुला मुंह अपने आप ही बंद हो गया। इससे पहले कि मैं कुछ कह पाता , अजनबी ने ही मुस्कुराते कहा,‘ मेरे आगमन पर आपको, आपकी पत्नी को, आपके बच्चों को, आपकी प्रेमिका को ढेर सारी शुभकामनाएं!’यार! बड़ा अजीब बंदा है? अतिथि के आने पर इस लोक में आज की डेट में कौन मेजबान खुश होता है? गए दिन साहब वे जब अतिथि को भगवान का रूप माना जाता था। अब तो वह यमदूत का रूप लगता है। मान न मान, मैं तेरा मेहमान! देने के लिए पास कुछ था नहीं सो मैंने निसंकोच शुभकामनाएं लेने के बाद उससे पूछा,‘ पर आप कौन?’ तो वह झुंझलाते बोला,‘ हद है यार! जिंदगी की भाग दौड़ में मुझे भी पहचानना भूल गए!’‘ क्या करूं साहब! नून तेल के फेर में पड़ अपनी हचान भी भूल गया हूं। कई बार तो दोस्तों से पूछना पड़ता है कि यारो! बताना मैं कौन हूं! तो वे बड़ी संजीदगी के साथ यह कह मुंह फेर लेते हैं कि जब हम अपने आप को ही नहीं पहचानते तो तुझे क्या पहचाने।उसने ठहाका लगाया,‘ गुड यार! आदमी हो बड़े मजाकिया,’ असल में मेरे साथ होता यही आया है कि जब- जब मैंने लोगों से अपने बारे सच कहा तो सबने इसे मजाक समझा। जबकि सच यह है कि मजाक करना मुझे आता ही नहीं! वो तो तब किया करता था जब कुंआरा था,‘ मैं दो हजार बारह हूं,’ उसने वैसे ही मुस्कुराते कहा तो मैं फिर सोचने लगा, यार! इस बंदे को और भी कोई काम होगा कि नहीं? पर चलो, नए साल में किसीका तो हंसता चेहरा देखा ,सो उसे सहता रहा । तभी पता नहीं क्यों उससे मैंने यों ही पूछ लिया,‘ दो हजार बारह! ये क्या नाम रख लिया तुमने यार! इस देश में हर चीज का तो टोटा तो चल ही रहा है क्या अब नामों का भी टोटा शुरू हो गया?’‘नहीं मेरे बाप! मैं नया साल हूं! कह उसने मेरा माथा ठोंका तो बात समझ में आई। देखा न! ऐसा ही होता है निनानवे के फेर में फंस कर,‘ सॉरी यार! माफ करना! आओ, भीतर चलो!’ देखा जाएगा, अब पत्नी जो कहेगी सह लूंगा। चाय की प्याली उसके आगे रख बातों ही बातों में उससे कहा,‘ आ ही गए हो तो एक फरियाद करनी थी!’‘करो! बेागेंबो तुम्हारी चाय से प्रसन्न हुआ!!’ उसने शहँशाह की तरह चाय की लंबी घूंट ली तो मैंने कहा,‘ अबके देश में, विश्व में अमन, चैन रखना। बेरोजगारों को रोजगार देना! इस देश को बिना बिके नेताओं की सरकार देना! मंहगाई को नकेल डाल देना ताकि देश में गरीब को भी दो जून की रोटी मिल सके। कहीं भी अकाल न डालना! कहीं भी बाढ़ न लाना! किसानों के खेतों में फसलें लहलहाना!! ईमानदारों का सितारा भी बुलंद करना!! घोटाले बाजों को घर में ही कैद रखना!! सभी को बताना कि अपने हितों से बढ़कर देशहित हैं। सभी के दिमागों से नफरत के बीज निकालना ताकि आने वाले युगों- युगों तक इस देश में कोई खून के रंग को अलग- अलग न माने। चोरों को भी अक्ल देना और पुलिस को भी!! जनता में सरकार के प्रति विश्वास जगाना… और… और…’, उसने चाय बीच में पीनी छोड़ कहा,‘ सुनो यार! तुम निवेदन कर रहे हो या जोक! ऐसा निवेदन अगर भगवान से भी करोगे न तो वह भी इसे मजाक ही समझेगा। एक बात कहूं! तुम जोकिए हो काफी अच्छे। पर ऐसे जोक मुझे कतई पसंद नहीं। तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा। गुड लक!!!’ उसने मेरी पीठ थपथपाई ,ये गया कि वो गया।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here