अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार

प्रो. हरिओम

दुनिया ने लेखक सलमान रुश्दी की सराहना की है, जो मुम्बई के रहने वाले हैं और उन्हें एनआरआई पासपोर्ट मिला हुआ है। पहले कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार और बाद में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने उनके भारत दौरे पर प्रतिबंध लगाया ताकि वह जयपुर साहित्यिक सम्मेलन (जेएलएफ) में भाग न ले सकें। इसके बाद रुश्दी के वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये साहित्यिक सम्मेलन को संबोधित करने की योजना रद्द कर दी गई। 20 जनवरी को रुश्दी जयपुर पहुंचने वाले थे, लेकिन कांग्रेस ने षड्यंत्र रचकर उनको लंदन न छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

राजस्थान सरकार का कहना था कि यहां उनकी जान को खतरा है, क्योंकि कुछ अंडरव‌र्ल्ड डॉन ने उनकी हत्या के लिए तीन हत्यारों को सुपारी दी हुई है। महाराष्ट्र खुफिया एजेंसी ने राजस्थान सरकार को यह जानकारी दी है, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने इससे इंकार किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी निर्लज्जता से कहा कि उनकी सरकार ने रुश्दी को सही जानकारी उपलब्ध करवाई है। अशोक गहलोत ने पहले केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात कर उनसे रुश्दी को साहित्यिक सम्मेलन में भाग लेने से रोकने के लिए कहा।

यह षड्यंत्र सफल रहा और रुश्दी ने अपनी जयपुर यात्रा रद कर दी। उन्होंने कहा कि वह साहित्यिक सम्मेलन में भाग लेने वालों की सुरक्षा को देखते हुए अपना दौरा रद्द कर रहे हैं। बाद में साहित्यिक सम्मेलन के आयोजकों ने रुश्दी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये समारोह को संबोधित करने की याचना की। वह अपराह्न पौने चार बजे सम्मेलन को संबोधित करने के लिए राजी हो गए। इस पर राजस्थान सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई और आयोजक दिनभर तरह-तरह के कयास लगाते रहे। न्यूज चैनल वाले कभी रुश्दी के निर्धारित समय पर सम्मेलन को संबोधित करने तो कभी वीडियो कांफ्रेंसिंग रद्द होने की बात कहते रहे। लगभग दो बजे दिन में राजस्थान के गृह सचिव ने यह घोषणा की कि वीडियो कांफ्रेंसिंग होगा, थोड़ी ही देर बाद वह इससे इंकार कर गए।

यह सब उस समय हो रहा था जब मिल्ली काउंसिल के मुट्ठीभर चरमपंथियों ने साहित्यिक सम्मेलन स्थल के बाहर हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया। रिपोर्ट से साफ है कि राजस्थान पुलिस मिल्ली चरमपंथियों की गतिविधियों को मूकदर्शक बन देखती रही। इतना ही नहीं, चरमपंथियों ने त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया और साहित्यिक सम्मेलन हॉल में कार्यक्रम को भंग करने और आयोजकों को धमकाने के लिए पहुंच गए। मिल्ली चरमपंथियों ने वह सब किया जो वह चाहते थे और कांग्रेस सरकार ने भी वह सब कुछ किया ताकि कट्टरपंथी मुस्लिमों को यह संदेश दे सकें कि उसने उनके विचारों पर गौर किया है कि रुश्दी का साहित्यिक सम्मेलन में उपस्थित होने या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधन से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचेगा और उनकी धार्मिक संवेदनशीलता आहत होगी, इसलिए पार्टी उनके साथ खड़ी है।

इस तथ्य के बावजूद कि रुश्दी और आयोजक इस बात पर सहमत हो चुके थे कि रुश्दी अपनी प्रतिबंधित किताब सैटेनिक वर्सेस के बारे में नहीं बल्कि सिर्फ मिडनाइट चिल्ड्रेन की बात करेंगे। इस बारे में कांग्रेस सरकार का कहना कि रुश्दी सुरक्षा कारणों से साहित्यिक सम्मेलन में भाग नहीं ले सकते और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लोगों को संबोधित भी नहीं कर सकते। कारण, संपत्ति (दिग्गी पैलेस) जहां सम्मेलन का आयोजन हुआ था, के मालिक (राम प्रताप सिंह) ने वीडियो कांफ्रेंसिंग की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। यह सब सुनियोजित चाल थी।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी का यह तर्क कि केंद्र सरकार ने रुश्दी के दौरे को नहीं रोका है और देश के लोकतंत्र और विशुद्ध धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करने वाले हिंदुओं पर प्रहार करने वाले दिग्विजय सिंह के इस बयान से शायद ही कोई सहमत हो कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए मुस्लिमों को तुष्ट करने और उन्हें फुसलाने के लिए जयपुर में ऐसा कुछ नहीं किया। पूरी दुनिया में किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कट्टरपंथी मुस्लिमों को शांत करने और उत्तर प्रदेश के निर्णायक विधानसभा चुनावों पर नजरें टिकाकर इतना झुक जाएगी। लेकिन केन्द्र की यूपीए सरकार व राजस्थान की कांग्रेसी सरकार बहुत नीचे झुक गई और अपने गंदे विचारों को प्रदर्शित कर देश की राजनीतिक पद्धति को शर्मसार कर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरों में देश की स्थिति को कमजोर बना दिया।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारतीय लोकतंत्र के ढोंग पर हँस रहा है। राजस्थान में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार और केंद्र सरकार पर कई भारतीय साहित्यिक वर्ग थू-थू कर रहा है। इससे क्रोध एवं दु:ख की तीव्रता अच्छी तरह महसूस की जा सकती है। केंद्र और राजस्थान सरकार ने देश के संविधान के खिलाफ षड्यंत्र रचा ताकि कट्टरपंथी मुस्लिमों और असहनीय संगठनों को तुष्ट कर उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम वोट हासिल किया जा सके। उन्होंने देश के संवैधानिक व्यवस्था को भंग करने की कोशिश की और आयोजकों को अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया।

लोकतंत्र की हत्या से मायूस और क्रुद्ध रुश्दी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग का स्थगन भयावह है। मुस्लिम समूहों द्वारा हिंसा की धमकी से अभिव्यक्ति की आजादी का आज दम घूंट गया। भारत ने भले ही आर्थिक क्षेत्र में प्रगति किया हो, लेकिन लोकतंत्र में विश्वास करने वालों के लिए यहां रहना कठिन हो गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। चीन की तरह भारत भी एकाधिकारवादी देश बन गया है। जबकि मुस्लिम देशों मिस्र, लीबिया और तुर्की उदार बन चुके हैं।

कांग्रेस और इसी प्रकार के दूसरे संगठनों ने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट के लिए उनका दौरा रद्द कर दिया। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली का कहना है कि केंद्र सरकार कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दी है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले भी शाहबानो मामले में कांग्रेस सरकार (राजीव गांधी की) कट्टरपंथियों के आगे नतमस्तक हो चुकी है और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है।

(लेखक जम्मू विवि के सामाजिक विभाग के पूर्व डीन हैं।)

11 COMMENTS

  1. समय आ गया है इसलाम की जो कुरितुया जिनसे सु=इधे हम प्रभावित होते है जैसे जेहाद काफिर व जनसंख्या का भानकर बोझ उसके बारे मे बहस प्रारम्भ हो मुसलमनों से निवेदन किया जाए की वो इनको भूल जाए जैसे हिन्दू मनु के शूद्रो के प्रति अन्याय को भूल गए है बाकी जिसे जैसा रहना हो वैसा रहे जैसे उयपासना करनी हो करे पर हम ये कटीई स्वीकार नहीं कर सकते की मीनाक्षी पुरम मे तो पैसे देकर हजारो हिन्दुओ को मुसलमान बना दिया जाए पर स्वेच्छा से बने 8 ईसाइयो मुस्लिम से को डराया या धमकाया जाए ,राम के गंदे चित्र बनाए जाए हमारे उयाप्सी देवताओ को सर्वजिनक जलील किया जाए पर सती लिखने वाले शर्मा तसलीमा या सलमान रुशदी को बेन किया जाए

  2. 1 लोग कहते है की पढ़ा लिखा मुसलमान उदरवादी होता है बहुत अच्छा होता आदि आदि पर ये बात व्यक्ति व्यक्ति पर निर्भर करती है शिक्षा निश्चित रूप से व्यक्ति को उदार बनाती है पर सलमान रुशदी का विरोध करने वाले जयपुर मे सभी बहुत ही ज्यादा पढे लिखे थे ये बात मुझे पक्का पता है और ये भी सुनिए जब एक व्यकती ने कोन्फ्रेंस के बारे मे पूछ तो उच्च शिक्षा प्रपट ये मुस्लिम सज्जन उससे ही लड़ने लगे हम सलमान के ट्राफ़दारों को भी बर्दाश्त नहीं करेंगे
    2 राजस्थान मे सरकार चेंज होते ही मुस्लिम कट्टरपंथियों के होसले बुलंद हो गए थे करीब करीब 10 जघ इनहोने दंगे किए हिन्दुओ की जान माल को नुकसान पाहुचाया जिसमे प्रशासन मुक बना रहा फिर योजना से गोपालगड़ मे भी गोधरा की तरह हथियार बंद हजारो मुसलमान इकट्ठे होकर आ गए ताकि वह के सारे हिन्दुओ को मार सके समझने गए थानेदार व एस पी को भी मार कर भागा दिया जेहाद का फतवा वह के मौलाना ने दिया जो था तो मजबूरी मे प्रसशन को गोली चलनी पड़ी ओर 10 दंगाई मारे गए अब सरकार के हाथ पाँव फूल गए उस कांड को भुला कर मुसलमानो के थोक वोट न छिटक जाए इस लिए इस सलमान प्रकरण को बड़ा बनाया गया है

  3. जिस अयोध्या मे है कोर्ट के तीन माननीय जजो ने माना की वो एक हिन्दू सटेक्चर था यानि की एक हिन्दू इमारत उसे मस्जिद कहना अभिवक्ती की स्व्तंरता है??अरे भाई ये इमारत कब से हिन्दू मुस्लिम होने लगी??साफ है वो मंदिर था जिसे बाबर ने अपने पशु बल से तोड़ दिया उस पर ढ़ाचा नुमा कोई एमरत बना दी जिसे हम लोगो ने तोड़ दिया अब तो मंदिर है उसे भावी रूप देना है जब भी समय आयेगा हो जाएगा हम कोई काबे मे गए थे क्या??हम हमारी अयोध्या मे ही गए थे जिसका कण कण राम राम करता है जो बाबर के चाहने वाले है उनको कभी भी इस देश मे जमीननहीं मिलेगी ये तय है फिर न्यायालय का निर्णय है की किसी भी सूरत मे रामल्ल नहीं हिलेंगे ओर कभी हिलाने की कोशिश भी की गयी तो हम हिलाने देंगे नहीं ये हमारी अभिवक्ती का अधिकार है

  4. कहते है की अंधे देख नहीं पाते पर सुन सकते है पर आँख वाले देख कर भी नहीं समझते सुनकर भी नहीं सुनना चाहते है जरा गौर से सुनिए
    1 हुसैन पर भारत मे करीब 22 जगह पर केस दर्ज हौवे थे जीनामे से कुछ दिल्ली मे स्थंत्रित कर दिये गए अंत मे तीन केस बचे जिन पर उसे सजा हो सकती थी क्योकी वो केस वैमनसी फैलाने के नगनता के केस थे जीनामे निश्चित उसको सजा मिलती पर वो एक नागरिक की तरह केस लड़ने की जगह भाग गया देश छोड़ कर जानते है क्यो???ताकि उसको टैक्स न भरना पड़े |
    2 उसकी अभिवक्ती से बहुतों को बहुत ही प्यार है तो उस डेनिश कार्टून ने क्या गुनाह किया था??उसने भी तो अपनी कला को ही प्रदर्शित किया फिर भी किसी हिन्दू ने उसका समर्थन नहीं किया पर सेक्युलरमुल्ले लगे हुसैन के पक्ष मे ,अगर हुसैन की कला है तो डेनिश कार्टूनिस्ट की भी कला है फिर वो हुसैन अपने मुहमद की तशवीर क्यो नहीं बना देता था??
    2 सलमान रुशदी एक मुसलमान है ओर उसके लिए मुझे नहीं लगता किसी मुल्ले को प्रमाण पत्र देने की जरूरत है और वो अगर अप्रत्यश रूप से अपने मजहब की बुराइयों पर कमेन्ट करता है तो ये उसका अधिकार है वैसे भी वो सब बड़े ही मज़ाकिया अंदाज मे लिखता है सो उसे जरूर पढ़ना चाहिए
    3 लोग कहेंगे फिर तो रामानुजन के लेख को क्यो बेन किया ???तो भाइयो हमने भी रुशदी को पाठयक्रम बनाने का थोड़ी कहा है एसी कपोल कहानिया जो किसी भी रामायण नहीं है तो वीभत्स रूप से पेश कर उसे जबर्दस्ती पाठयक्रम मे शामिल करना अभिवक्ती की आजादी नहीं है अभी भी वो उपल्ब्द है जिसे पढ़ना हो पढ़ ले ।
    4 अभी कुछ महीनो पहले एक ब्लॉग भन्दा फोड़ को मुल्लों ने बेन करावा दिया।क्यो???क्योकि उसमे भाई शरमा जी कुरान हदीस आदि मुस्लिम ग्रंथो की वरसेस को हिन्दी अरबी एङ्ग्रेजी मे देते थे इस्लाम की कुरुतियों को छपते थे आगरा उसमे फर्जी कंटेन्ट थे तो केस करते मुकदमा कराते पर सभी सच्छे थे हिम्मत नहीं थी इस लिए बेन करा दिया फिर भी चाहते है की हिन्दू इन्हे अभिवक्ती से हिन्दुओ को गालिया निकालने दे ??

  5. आर सिंह जी ने सही बात कही है अभिव्यक्ति और कट्टरता के दो पैमाने नहीं हो सकते. हिन्दू कट्टर पंथियों ने अयोध्या विवाद में जो किया वेह क्या था?

    • इकबाल जी जब आप पीछे ही जा रहे हो तो थोडा और पीछे चलो पाकिस्तान या भारत माँ का बंटवारा आखिर क्या था और क्यों था???? जब मुस्लिमो ने अपने लिए अलग जमीन ले ली तो फिर हिन्दुवों के लिए बची भूमि पर मुस्लिम पर्सनल ला क्या है???? कश्मीर से मार मार कर भगाए गए हिन्दुवों का दोष क्या था??? और रहा सवाल अयोध्या का तो सालों से जिस जगह नमाज ना पढ़ी गयी हो उसे मस्जिद कहना भी सायद इस्लाम में भी स्वीकार्य नहीं है…..इसतरह हिन्दुवों ने एक ढांचा ही तो तोडा था पर उसकी प्रतिक्रिया में क्या क्या हुआ???? वो भी ऐसी जगह जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं……

  6. मकबूल फ़िदा हुसैन कोर्ट के फंदे से बचने और अपने धंधे को बढाने के चक्कर में करत गए थे. उन्हें किसी ने देश ने नहीं निकाला. बल्कि कोंग्रेस और सेकुलर तो उनको लाल कालीन बिछाकर भारत लाने को आतुर थे. लेकिन रश्दी और तसलीमा के साथ सेकुलरो और कोंग्रेस का बर्ताव हमेशा कठोर रहता है. इसे कहते हैं सेकुलरी दोगलापन.

  7. मुकेश मिश्र जी मैंने अपनी टिप्पणी के आरम्भ में ही लिखा है”ऐसे अपना अपना विचार है “इसके बाबत इससे अधिक मैं कुछ नहीं कहना चाहता.

  8. ऐसे अपना अपना विचार है.पर यह सही है की भारत सरकार कट्टर पंथियों के आगे हमेशा झुकी है .फ़िदा हुसैन का देश निकाला भी इसी कट्टर पंथ के आगे झुकने का दूसरा उदाहरण है.है.अभी अभी एक अन्य नाम भी इसमे जुड़ गया है .तसलीमा नसरीन को कोलकाता में उनके पुस्तक के विमोचन की इजाजत नहीं मिली.

    • आर सिंह जी मुझे लगता है आप भी इन्ही विवादित लोगों की तरह कुछ अलग करते हुए दिखना चाहते हैं या अपने आपको हद से ज्यादा ही सेकुलर दिखाना चाहते हैं…सायद आपको पता होगा की फ़िदा हुसैन जैसे नीच इन्शान का किस्सा सलमान या तसलीमा से बिलकुल अलग था वो खुद देश छोड़कर भाग गया था और वो भी कट्टरपंथियों की वजह से नहीं कोर्ट की वजह से वो कोर्ट का सामना नहीं कर सका क्योंकि उसकी (चोर) की दाढ़ी में तिनका था… जबकि सलमान को इस देश की सेकुलर कही जाने वाली सरकार नहीं आने दे रही है और तसलीमा को भी सरकार ने ही इजाजत नहीं दी…….क्योंकि भावनाएं तो सिर्फ मुस्लिमो की ही आहत होती हैं हिन्दू तो भावना विहीन होता हैं ना???

  9. Congress es bat koi achhi tarah se samagh gae hai ki aab desh par raj Angrejon ki DIVIDE & RULE ki policy apna kar hi kiya ja sakta hai, aur wo wahi kar rahi hai.Aab desh ke tukde toi nahi karenge parlongo ko ladate bhi rahenge.

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