एक नए मोदी का जन्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में जो कई बातें एक साथ कहीं, उनसे यह निष्कर्ष निकलता है कि उनकी रेलगाड़ी अब पटरी पर आ रही है। पिछले डेढ़ साल से वह पटरी पर चढ़ी ही नहीं थी। वह चुनाव-अभियान की मुद्रा में ही खड़ी थी। खड़े-खड़े ही वह बस जोर-जोर से सीटियां बजा रही थी, कोरी भाप छोड़ रही थी और छुक-छुक कर रही थी। मोदी की रेलगाड़ी में सवार कई यात्री ऐसी-ऐसी आवाजें निकाल रहे थे कि प्लेटफार्म पर खड़ी जनता भौंचक हो रही थी।
मोदी अभी तक प्रधानमंत्री-पद के उम्मीदवार की तरह सभाएं कर रहे थे। पहली बार लगा कि उन्होंने अब समझा कि वे भारत के प्रधानमंत्री बन गए हैं। एक जिम्मेदार प्रधानमंत्री की तरह उन्होंने कहा कि सरकार का एक ही धर्म है– भारत प्रथम और उसका एक ही धर्मग्रंथ है- संविधान! मोदी ने पहली बार नेहरु समेत सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को सराहा। उन्होंने यह भी कहा कि
सरकार बहुमत से चुनी गई है लेकिन वह चले सर्वमत से!
उन्होंने राजनीति को ‘मेरे’ और ‘तेरे’ में बांटने की बजाय ‘हम’ की भावना से चलाने की बात कही। अभी तो उनकी पार्टी ही सिर्फ ‘मेरे’ से चल रही है। उसमें से ‘हम’ की बात ही उड़ गई है। यदि वे देश को ‘हम’ के द्वारा चलाना चाहते हैं तो कहना पड़ेगा कि ‘देर आयद्, दुरस्त आयद’! मोदी के गले में बंधा अहंकार और हीनता-ग्रंथि का पत्थर उन्हें दिनों दिन डुबोए चला जा रहा था। अब आशा बंधी है कि वे तैर पाएंगे। सोनिया और मनमोहनसिंह को दिया गया बुलावा इस आशा को बलवती बनाता है।
यही नीति पड़ौसी राष्ट्रों के प्रति भी चले तो पिछले डेढ़ साल में भारत का जो खेल बनते-बनते बिगड़ गया,वह भी सुधर जाएगा। संविधान के नाम पर फिजूल की नौटंकी रची गई, संसद और देश के दो दिन व्यर्थ हुए लेकिन उनमें से एक नए मोदी का जन्म हुआ, यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसका श्रेय आप बिहार को दें या झाबुआ-रतलाम की संसदीय सीट को दें या मोदी की अपनी चतुराई को दें- यह बहुत ही स्वागत योग्य घटना है। यदि मोदी की गाड़ी इस पटरी पर चलती रही तो वे निश्चित रुप से पांच साल पूरे करेंगे,अपनी प्रतिष्ठा कायम करेंगे, भाजपा मजबूत होगी
और शायद वे देश के उत्तम प्रधानमंत्रियों में गिने जाएंगे।

10 COMMENTS

  1. मोदी ने बार बार कहा है, सबका साथ सबका विकास. अब लोग चाहते है की मोदी भी तुष्टिकरण करें यह ठीक नहीं होगा. मोदी चाहते है कि भेदभाव रहित ढंग से देश को आगे ले जाए. लेकिन अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग मोदी के बारे में दुष्प्रचार कर रहे है. जबकी उनमे थोड़ी भी कट्टरता नहीं है.

  2. जी हाँ – यह बात मोदी अनेक बार कह चुके हैं – संसद में अपने सबसे पहले भाषण में यही कहा कि मैं अपने सभी पूर्वगामी प्रधान मंत्रियों, विरोधी पक्ष के नेताओं, सभी सांसदों आदि को प्रणाम करते हुए संसद में सभी के योगदान की सराहना करता हूँ – यही विनम्रता मोदी का ब्रह्मास्त्र है . लगता है वैदिक जी उतना ही पढ़ते हैं जितना उन को एक समय पर चाहिए .

  3. यह मौलिक व्यक्तित्व की पहचान है; वैदिक जी।लिखके रखिए।
    (१) जो मौलिक मार्ग खोजता है; मौलिक रूपसे अपनी योजनाओं का क्रियान्वयन करनेकी सामर्थ्य रखता है; मौलिक चिन्तन करता है।
    (२) आप मोदी जी को किसी नियम से बाँध नहीं सकते। भारत का ऐसा भक्त कभी पहले नहीं हुआ।
    (३) सोनिया और मनमोहन को बुलाकर उनसे मिलना। क्या कहता है?
    (४) भारत भाग्यवान है; भारत के पास मोदी है।
    (५) मोदी पर भष्टाचार, भाईभतिजावाद, दुश्चरित्र का आरोप, इत्यादि कुछ भी लग नहीं सकता। अपने आप को सुरक्षित बना कर रखा है। पहचानिए इस दृष्टि को। कौनसा हमला आप उनपर करोगे? सूट पर, परदेश प्रवासपर, सेल्फिपर, …..ऐसे नगण्य विषयों पर …कुछ भी कहे।
    (६) मौलिक Original नेतृत्व है मोदी। लिख के रखिए।

    • हो सकता है कि आपका प्रशस्ति गायन सही हो,पर अभी तक इसको प्रमाणित होना बाकी है.अभी तक तो केवल जुमला और बड़बोलापन सामने आया है और यही कारण है कि २०१४ में नमो के पीछे पागल जनता २०१५ में उनसे अलग हटती नजर आ रही है.दिल्ली और बिहार का चुनाव और मध्य प्रदेश के लोकसभा सीट का उपचुनाव यही संकेत दे रहा है,तुर्रा यह कि अंतिम वाला परिणाम तो उस राज्य का है,जहाँ बीजेपी दस वर्षों से शासन कर रही है.

    • “भारत का ऐसा भक्त कभी पहले नहीं हुआ। ” पर मेरी आपत्ति है.

      • आ. डॉ. ठाकुर —आप की टिप्पणी की उपस्थिति से हर्षित हूँ। बहुत समय हुआ, आप की टिप्पणी भी दिखती नहीं थी।
        (१) आज ही कश्मिर के मु. मंत्री मुफ़्ती जी ने भी मोदी को कश्मिर के लिए, सारे प्रधान मंत्रियों की अपेक्षा अच्छे बताया है—उनका अपना मत है।
        (२) ओबामा का भी कल आया हुआ विधान पढ लिजिए— उनका अपना मत है।

        (३)===>लिखके रखिए, भारत भाग्यवान है। मोदी जी मौलिक नेतृत्ववाले प्रधान मंत्री हैं; ऐसे, मौलिक नेतृत्व को आप किसी नियम से बाँध नहीं सकते– ऐसा भारत भक्त प्रधान मंत्री पहले(१९४७ से -२०१३ तक) कभी नहीं हुआ। <===यह मेरा स्पष्टीकरण है।
        "Originality- को, मौलिकता को बांध नहीं सकते"
        (४) आप की आपत्ति का कारण? क्या आप बताना चाहेंगे? कोई विवशता नहीं।
        टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

  4. लगता हैं आप गहरी नींद में थे, अबतक। मोदी ने लालकिले से अपने पहले भाषण में और लोकसभा में भी यही बातें कही थी और सभी सरकारों के योगदान को स्तुत्य बताया था।
    मोदी इससे पहले भी “सर्वमत” का आव्हान कर चुके हैं।

    ​”​सरकार का एक ही धर्म है– भारत प्रथम और उसका एक ही धर्मग्रंथ है- संविधान!​”​ ​ ये सूक्ति वे प्रारम्भ से ही उच्चारित करते आएं हैं।
    **************​

    • पर उनके आका यानि आर.एस.एस के गुर्गे तो इसको कमजोर करने पर लगे हुए हैं.यही कारण है कि उनका संसद में यह दुहराना एक विशेष अर्थ रखता है.

    • मैं अमित शर्मा के टिप्पणी पर टिप्पणी कर चूका हूँ,पे लगता है कि वह कहीं खो गया.

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