भारत में वित्तीय समावेश को लेकर केंद्र सरकार जो कार्य कर रही है, आज उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम ही कहलाऐगी। वस्तुत: ऐसा कहने के पीछे कई वाजिब तर्क हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में बैठने के बाद से लगातार देश में वैसे तो कई क्षेत्रों में अच्छा काम हो रहा है लेकिन देश विनिर्माण के लिए अहम माने जाने वाले जिन क्षेत्रों पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है, उनमें से एक है बैकिंग सेक्टर। इन दिनों भारतीय रिजर्व बैंक जिस तरह निर्णय ले रहा है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि अब देश अपने आर्थिक निर्णयों के कारण सरपट दौड़ पड़ेगा।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमें पहले देश में आमजन से आग्रह करते नजर आए कि हर व्यक्ति अपना किसी भी बैंक में खाता जरूर खुलवाए। जनधन योजना के जरिए एक ही दिन में लाखों नए खाते खोल दिए गए। इसकी शुरुआती प्रगति से उत्साहित होकर सरकार द्वारा पीएमजेडीवाय खाते खोलने का लक्ष्य 7.5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया। देश में अभी तक इस प्रमुख वित्तीय समावेश योजना में 8 करोड़ से ज्यादा खोले जा चुके हैं। सरकार देश की जनता और अपने बीच कोई बचौलिया नहीं रखना चाहती, तभी तो वह अधिक भुगतान व्यवस्था में पारदर्शिता लाते हुए अधिकतम ई-पेमेंट की दिशा में आगे बढ़ रही है और आधार कार्ड नंबर को बैंक खातों से जोड़ा जा रहा है। इससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना से समाज के सुनिश्चित वर्ग के लोगों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी पहुंचाने में आसानी होगी। आगे सरकार की योजना है कि वह जनधन खाता योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ इसमें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और मनरेगा योजना को भी जोड़े, जिससे कि अधिक से अधिक लोगों तक सीधे राशि पहुंचाई जा सके ।
सरकार ने अब इससे एक कदम आगे होकर लघु वित्त बैंकों के गठन से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक के जरिए जो निर्णय लिया है उसे लेकर निश्चित ही कहा जा सकता है कि वह देश की जनता से धन्यवाद की पात्र है। भले ही सरकार को यह निर्णय लेने में बारह वर्ष का दीर्घ कालीक समय लगा हो लेकिन इतना तय है कि इससे देश आर्थिक दृष्टि से सरपट दौड़ता नजर आएगा। क्यों कि आरबीआई ने पहली बार भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंकों के गठन की खातिर अंतिम मानक जारी कर दिए हैं। जिन्हें भी बैंकिंग व फाइनेंस के क्षेत्र में दस साल का अनुभव होगा वे और इनके नियंत्रण व स्वामित्व वाली कंपनियां तथा सोसाइटियां जो अलग से अपना बैंक खोलने में सक्षम है उन सभी को रिजर्व बैंक ने यह सुविधा दे दी है कि वह अपने स्वतंत्र बैंक खोल सकें। जिसे लेकर आज कहा जा सकता है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) व माइक्रोफाइनेंस लेंडर्स को लघु वित्त बैंक खोलने का मौका मिलेगा। रिजर्व बैंक ने दो नए बुनियादी क्षेत्र के वित्तीय संस्थान आईडीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनी बंधन को बैंकिंग का लाइसेंस जारी किया था। लाइसेंस जारी करने के कुछ महीनों के भीतर ही लघु वित्त बैंकों के गठन का भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाना आज बताता है कि सरकार की नीति स्पष्ट है। वह देश में अधिकांश नए रोजगार सृजित करना चाहती है। अब इस फैसले से मोबाइल ऑपरेटर, सुपर मार्केट चेन और रीयल एस्टेट कोऑपरेटिव जैसी यूनिटें भुगतान या पेमेंट बैंक खोल पाएंगी जिसकी वजह से भारत में लाखों बेरोजगारों के लिए नए रास्ते खुल जायेंगे।
वस्तुत: देश में इस निर्णय से लघु वित्त बैंक छोटी व्यावसायिक इकाइयों, किसानों, सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के अन्य संस्थानों को बैंकिंग तथा वित्त की सुविधा उपलब्ध करा सकेंगे। इस नई व्यवस्था में भारत के निवासियों के नियंत्रण व स्वामित्व वाले मौजूदा एनबीएफसी, माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं (एमएफआई) और स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों के पास भी लघु वित्त बैंकों में बदलने का विकल्प होगा। साथ में सरकारी संस्थान भी भुगतान बैंक खोलने के लिए पात्र होंगे। इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा के अनुसार विदेशी होल्डिंग की अनुमति भी सरकार की ओर से दी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के इस निर्णय से देश के आम आदमी को यह फायदा होगा कि इसके जरिये ग्रामीण क्षेत्रों एवं कस्बाई इलाकों में रहने वाले लोगों का बैंकिंग सहूलियतों में इजाफा हो जाएगा, क्यों कि उसके पास पर्याप्त विकल्प मौजूद रहेंगे । गांवों से आने वाले मजदूर वर्ग के लोगों को अपने घर पैसे भेजने में काफी सुविधा होगी। एनबीएफसी के अलावा मोबाइल कंपनियां और सुपर मार्केट्स भी छोटे बैंक के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे। देश में छोटे बैंक लो-कॉस्ट डिपॉजिट का कारोबार कर पाएंगे और लोगों को बैंकिंग की जटिल प्रणाली की बजाए आसानी से लोन मिल पाना संभव हो सकेगा। इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के इस नीतिगत फैसले को लेकर आज कहा जा सकता है कि छोटे बैंकों के लिए यह अच्छा बिजनेस देनेवाला साबित होगा तथा इससे अधिकतम लोगों को आसानी से रोजगार मुहैया कराया जाना संभव है । अंतत: इसे लेकर हम आज यह भी कह सकते हैं कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वित्तीय समावेश की जड़ों को देश में फैलाने के उद्देश्य से उठाया गया एक कारगर कदम है, जिसके सार्थक परिणाम देशभर में कुछ माह बाद से आना शुरू हो जायेंगे।