क्रिकेट की पिच पर भावनाओ से खेले सरकार!

शादाब जफर ‘‘शादाब’’

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा ही बहुत नाजुक रहते है। यू तो हम दोनो पडौसी है पर दोनो देशो के बीच एक से ज्यादा मुद्दे एक दूसरे के दरमियान हमेशा ही जुड़े रहते है। बात अगर क्रिकेट की करे तो पूरी दुनिया की किसी भी क्रिकेट टीम, उन के बीच क्रिकेट मैच में इतना रोमांच इतना मजा नही होता जितना भारत और पाकिस्तान की टीमो के बीच होने वाले मुकाबलो में होता है। सिर चढकर बोलता है दोनो टीमो के बीच खेल का रोमांच, जब जब इन दोनो टीमो के बीच क्रिकेट मैच होता है जीत के लिये जुनून की हद तक दीवानगी, माहौल में जोश के साथ हावी तनाव और सांस रोके दर्शक और खिलाड़ी, हिंदुस्तान और पाकिस्तान के दिग्गज राजनीतिक लोगो की इन मैचो में शिरकत क्रिकेट के मैदान के साथ ही मैदान से बाहर दोनो देशो के राजनेताओ और खेल प्रेमियो की रगो में 440 वाल्ट का करंट दौड़ने लगता है। भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमे सिर्फ हिंद पाक ही नही बल्कि पुरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियो को गर्मा कर रख देती है।

ये ही कारण है कि जब पिछले दिनो बीसीसीआई ने दिसंबर जनवरी 2012-2013 में भारत पाकिस्तान के बीच तीन वनडे और दो ट्वंटी-20 मैच होने का ऐलान किया तो क्रिकेट पेमी तो गदगद हो गये पर कुछ सियासी लोगो के चेहरे लाल हो गये। वजह पाकिस्तान का बार बार भारत की एकता अख्ंड़ता पर हमला। पाकिस्तान को भारत ने हमेशा अपना पडोसी माना है और पडौसी के सारे फर्ज पूरे भी किये है। जब जब पाकिस्तान पर कोई आपदा आई भारत ने हमेशा एक बडे भाई कि तरह उस की मदद की है पर पाकिस्तान ने हमेशा हम भारतवासियो को कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर लडवाया है। सही मायनो में देखा जाये तो भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल कर एक तरह से फिर से पाकिस्तान औा पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की मदद ही कर रहा है। हम सब जानते है कि इस वक्त पाकिस्तान की क्रिकेट और क्रिकेट खिलाड़ियो की हालत बहुत ही खस्ता है इस वक्त पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड़ बहुत ही खराब स्थिति से गुज़र रहा है वज़ह पाकिस्तानी क्रिकेट्रो पर जिस प्रकार से पिछले दिनो मैच फिंक्सिग के आरोप लगे और कुछ पाकिस्तानी नामी क्रिकेटर इस में लिप्त भी पाये गये उस से पाकिस्तानी क्रिकेट की दुनिया में जो बदनामी हुई। इस के अलावा पिछले दिनो श्री लंका टीम पर पाकिस्तान में जो आतंकी हमला हुआ उस के बाद किसी टीम ने पाकिस्तान जाने की हिम्मत नही की। भारत के साथ भी 2007 के बाद से पाकिस्तन की कोई क्रिकेट सीरीज नही हुई।

दोनो देशो के बीच क्रिकेट षुरू हो रहा है अच्छा है। दोनो देशों के बीच क्रिकेट रिश्ते शुरू करने का फैसला भारतीय क्रिकेट बोर्ड का है। पाकिस्तान को एक संक्षिप्त सीरीज के लिये ही सही भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आमंत्रित किया है पर ये फैसला लेने से पहले बोर्ड को दोनो देशों के हालात पर गम्भीरता से सोचना चाहिये था। भले ही मुम्बई हमले को पांच साल हो चुके है पर अभी तक इन के आरोपियो को भारत सजा नही दे पाया है। अपने मां, बाप, भाई, बेटे, पति को इन हमलो में खोने वाले लोगो के वो घाव अभी तक हरे है जो हमले में पाकिस्तान ने हम सब देशवासियो को दिये थे। दोनो देशों के बीच क्रिकेट खेलने से भारत या पाकिस्तान में सद्वभाव पैदा नही होगी क्यो कि पाकिस्तानी खिलाड़ियो बिल्कुल कुत्ते की पूंछ की तरह है जो नलकी में बारह बरस बाद रखने के बाद भी टेढी ही निकलते है। ये हम सब जानते है और हम लोगो ने देखा भी है कि इन लोगो का रवैया हमेशा ही भारतीय खिलाड़ियो के साथ बुरा ही रहा है उन में चाहे पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियादाद हो, वकार युनुस हो या फिर शाहिद आफरीदी या कोई और इन लोगो ने जब जब इन्हे मौका मिला क्रिकेट के मैदान पर ही भारतीय खिलाड़ियो की खिल्ली उड़ाई है। ऐसे में सही ये होता कि बीसीसीआई फिलहाल अन्य देशो में ही भारत पाकिस्तान क्रिकेट खेलने कि नीति को कायम रखता। इस से पाकिस्तान के बीच भारत के क्रिकेट के रिश्ते भी कायम रहते और क्रिकेट प्रेमियो को इन दोनो का रोमांच से भरा क्रिकेट भी देखने को मिलता रहता।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर का ये कहना उचित लगता है कि ‘‘ जब दूसरे (पाकिस्तान) पक्ष की ओर से कोई सयोग नही दिया जा रहा तो हमे इस तरह का फैसला लेने की क्या जरूरत थी’’ गावस्कर का सीधा इशारा पाकिस्तान द्वारा भारत में फैलाए जा रहे आतंकवाद की तरफ है। यहा सवाल ये उठता है कि जब इस मुद्दे पर देश का एक गैर राजनीतिक आम व्यक्ति गम्भीरता से सोच सकता है तो आखिर सरकार क्यो नही सोच रही। सुनील गावस्कर के साथ ही आज देष जनता के मन में भी ये सवाल उठ रहा है कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि जिससे भारत सरकार और बीसीसीआई ने दोनो देशों के बीच आतंकवाद के बढते मुद्दे पर खटास के बावजूद पाकिस्तान क्रिकेट टीम को भारत में क्रिकेट खेलने की अनुमति प्रदान कर दी।जब कि चंद दिनो पहले सऊदी अरब से पकड़ कर भारत लाये गये लश्कर के कुख्यात आतंकी अबु जिंदाल की ओर से ये सार्वजनिक किया गया था कि मुम्बई हमले में पाकिस्तानी की सरकारी एजेंसियो की पूर्ण रूप से शामिल थी। वही कई बार भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकी गतिविधिया साबित होने के बावजूद पाकिस्तान हमेशा मुकरा है पाकिस्तान आज भी ये मानने को तैयार नही की वो भारत में आतंवाद फैला रहा है। जब की अबू जिंदाल की गिरफ्तारी पाकिस्तान को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करती है।

पिछले दिनो भारत पाक क्रिकेट का एक बड़ा सच ये भी सामने आया था कि जब जब हिंदुस्तान में भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हुए पाकिस्तान ने क्रिक्रेट प्रेमियो की आड़ में भारत में आतंकियो को प्रवेश कराया। ऐसे में पाकिस्तान क्रिकेट टीम को भारत आने की हरी झंड़ी देने के पीछे भारत सरकार की सोच कुछ भी हो पर इस भारत पाक क्रिकेट का सच सरकार को देश के सामने रखना होगा कि आखिर पाकिस्तान से द्विपक्षीय क्र्रिकेट संबंध क्यो बहाल किये जा रहे है। आज पूरा देष ये जानने के लिये बड़ा उत्सुक है कि आखिर पांच साल से बाधित द्विपक्षीय क्रिकेट बहाल करने के पीछे सरकार की क्या मंशा है, आखिर देश को इस क्रिकेट सीरीज से क्या फायदा होने वाला है। जब कि अब तक भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैचो की हकीकत यह भी है कि जब जब इन दोनो टीमो के बीच मैच होते है हमारे देश की हिंदू मुस्लिम एकता इन मैचो से प्रभावित होती है। वही हमारी राष्ट्रीय एकता, अखंड़ता, सद्वभवना पर इन मैचो का बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में सरकार को पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को भारत बुला कर क्रिकेट की पिच पर देशवासियो की भावनाओ से नही खेलना चाहिये।

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  1. शादाब साहब सच आज हमारी केंद्र सरकार सिर्फ गठबंधन का फर्ज ही सही सही ढंग से निभा पा रही है। देश में दिन प्रतिदिन बढती मंहगाई से उसे कोई वास्ता नही, काले धन की समस्या पर इसे जरा भी चिंता नही, देश में फैले भ्रष्टाचार से इस का कोई लेना देना नही। उसे तो सिर्फ सत्ता से प्यार है अपनी सत्ता बचाने के लिये वो कुछ भी कर सकती है। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का फैसला वास्तव में बहुत ही चौकाने वाला है, आखिर क्यो ये फैसला लिया गया बात समझ से परे की है। क्यो कि जिस पाकिस्तान ने आतंक के जरिये हमारी हिंदू मुस्लिम एकता, संसद, देश दिल के मुम्बई पर हमले कर के हमारा सीना छलनी कर रखा हो आखिर हम उन लोगो से क्रिकेट कैसे खेल सकते है।

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