इंसानी रोबोट के खतरे

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robotप्रमोद भार्गव

अपने आप में रोबोट का आविष्कार और उसका विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता इस्तेमाल एक बड़ी उपलब्धि है,लेकिन अब रोबोट की कृत्रिम बुद्धि जहां उसे खुंखार हत्यारा बना रही है,वहीं वह बेरोजगारी का बड़ा सबब भी बन रहा है। साथ ही भारत में ‘सेतु‘ नाम से कंप्युटर इंजीनियर एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित करने में लगे हैं,जो लेख एवं कई विधाओं में रचनाएं लिखने का काम करेगा। मसलन लेखकों और पत्रकारों को चुनौती बनने जा रहा यह रोबोट,कालांतर में रचनाधर्मियों की आजीविका छीनने का काम भी कर सकता है। जाहिर है,कृत्रिम रोबोट मानव के ऐसे खतरे सामने आने लागे हैं,जो कुदरती इंसान को भस्मासुर साबित होने वाले हैं।

हमारे प्राचीन ग्रंथों में भगवान शिव और राक्षस-राज भस्मासुर की बड़ी रोचक कथा है। आशीर्वाद देने में अग्रणी रहे भोले शंकर राक्षस राज भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर  उसे ये वरदान दे देते हैं,कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा,वह तुरंत खाक हो जाएगा। वरदान मिलते ही भस्मासुर ने इसे आजमाने के लिए शंकर के सिर पर ही हाथ रखने का दुस्साहस कर डाला। गोया,भागते हुए शंकर ने संकट मोचक विष्णु का स्मरण किया और विष्णु ने त्तकाल प्रगट होकर,अपनी वाकपटुता का इस्तेमाल कर भस्मासुर का हाथ उसी के सिर पर रख दिया। भस्मासुर तत्काल भस्म हो गया और शंकर के प्राण बच गए। अब मानव निर्मित यही रोबोट हिंसक प्रवृत्ति अपनाने के साथ मानवीय दखल वाले अनेक क्षेत्रों में अतिक्रमण करने लग गया है।

हाल ही में इंसानी बुद्धि से आविष्कृत मानव रोबोट ने भी भस्मासुर की भूमिका का निर्वाह करते हुए एक इंसान की जान ले ली है। रोबोट द्वारा किसी इंसान की जान लेने की यह पहली घटना जर्मन की राजधानी बर्लिन में घटी है। ‘द इ्रडिपेंडेंट‘ अखबार के मुताबिक यह घटना कार निर्माता कंपनी फॉक्स वैगन के संयंत्र में घटी। संयंत्र के प्रवक्ता हीको हिलविग ने बताया कि रोबोट को तैयार करने वाली टीम में २२ वर्षीय ठेकेदार जो काम में जुटा था,तभी रोबोट ने उसे पकड़ लिया और वहीं पटककर मार डाला। यह रोबोट कार के कल-पूर्जों की असेंबलिंग के लिए बनाया गया था। इसका काम एक तय क्षेत्र में ऑटो पार्ट्स को अपने यांत्रिक पंजे में पकड़कर उन्हें जोड़ना होता है। इस मामले में चूंकि हत्यारा यांत्रिक मानव है,इसलिए पुलिस कार्रवाई भी संभव नहीं हो पा रही है। आखिर किसी यंत्र को तो आरोपी नहीं बनाया जा सकता है ?

भारत में तो अभी रोबोट का काम सीमित है,लेकिन चीन और जापान में रोबोट कारखानों से लेकर सड़कों और घरों के निर्माण कार्य में भी जुटे आसानी से दिख जाते हैं। मकान के लिए एक-एक कर ईंटें जोड़ने का काम रोबोट बखूबी करने लग गए है। भारत में वाहन निर्माता कंपनियां रोबोट का इस्तेमाल मजदूरों के स्थान पर कर रही हैं। गुजरात के साणंद में स्थित फोर्ड फैक्ट्री में ४३७ रोबोट कार्यरत हैं। इस कारखाने में रोबोट ने ९५ फीसदी मजदूरों का काम हाथिया लिया है। जाहिर है,रोबोट भविष्य में बेरोजगारी बढ़ाने का काम करेगा। इस तथ्य का सत्यापन वैज्ञानिक रोबोट की लगातार बढ़ रही बिक्री से भी होता है। इंटरनेषन फेडरेषन ऑफ रोबोटिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार २०१४ में २.३० लाख रोबोट बेचे गए। २०१३ के आंकड़े से यह विक्री २७ गुना ज्यादा है। वर्तमान में चीन में १.८० लाख रोबोट और भारत में १२ हजार वैज्ञानिक रोबोट मानव श्रम आधारित सेवाएं दे रहे हैं।

रोबोट की बढ़ती मांग और इसकी आष्चर्यजनक कार्य क्षमता को देखते हुए वैज्ञानिक अब रोबोट के दिमाग को इंसान की तरह सषक्त बना देने की कोशिषों में लग गए हैं। वाकई रोबोट का दिमाग इंसान की तरह स्मरण-शक्ति हासिल कर लेता है तो विज्ञान की दुनिया में यह बड़ी उपलब्धि कहलाएगी। यदि याददास्त परिपक्व हो जाती है तो रोबोट में मानव की तरह सीखने और फिर सीखे के अनुसार काम करने की चेतना विकसित हो जाएगी। दरअसल दिमाग में चेतना विकसित हो जाती है तो रोबोट भी इंसान की तरह स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करने लग जाएंगे। रोबोट में चेतना स्थापित करने के लिए इसके दिमाग में इलेक्ट्रौड फिट करने के उपाय किए जा रहे हैं। इससे रोबोट भविष्य में शब्द व चित्र को सचेत रूप में ग्रहण करने लग जाएंगे। रोबोट शब्द व चित्र के प्रति सचेत हो जाता है तो रोबोट के मश्तिष्क में बिठाए गए दिमाग के विभिन्न हिस्सों के संकेत आपस में समन्वय बिठा लेंगे। यह समन्व रोबोट को मनुष्य जैसी तार्किक बुद्धि प्रदान करेगा। ये प्रयोग बार्कले और कैलिफोर्निया के विश्व विद्यालयों में चल रहे हैं। वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि इस कृत्रिम बुद्धि के निर्माण में हर हाल में सफल होंगे ? यह चमत्कार संभव हो जाता है तो कालांतर में चिकित्सक,इंजीनियर,वकील सैनिक,शिक्षक,पत्रकार व लेखक का दायित्व रोबोट संभालने लग जाएंगे। मसलन जिस बल और बुद्धि में मनुष्य प्राणियों में श्रेष्ठतम माना जाता है,उनका हस्तांतरण रोबोट मानव में हो जाएगा। इससे उच्च शिक्षा हासिल करके जो नौकरियां मनुष्य को मिलती हैं,उन्हें रोबोट कब्जा लेगा। मसलन उच्च प्रतिश्ठा वाले पदों पर भी रोबोट रौब गांठने लग जाएंगे।

बार्कले विवि के वैज्ञानिक डॉ एबील मानते हैं कि ‘उच्च स्तरीय तकनीक से रोबोट में जो शक्तिशाली सॉफ्टवेयर डाला गया है,उसमें कृत्रिम तार्किक बौद्धिक तकनीक शामिल है।‘इसे डीप लर्निंग कहा जाता है। इस तकनीक का प्रयोग कंप्युटर विजन,टच स्क्रीन बनाने और आवाज पहचानने में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। अब इसे ही रोबोट के दिमाग में चेतना विकसित करने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। रोबोट में चेतना आ जाती है उसमें होशियारी,समझदारी और एक हद तक विवेक भी विकसित हो जाएगा,ऐसी उम्मीद वैज्ञानिक कर रहे हैं। विवेक प्राणी मनोविज्ञान का ऐसा तत्व है,जो अब तक कृत्रिम बौद्धिकता से जुड़े किसी उपकरण में स्थापित नहीं किया जा सका है।

ऐसा ही एक सॉफ्टवेयर का विकास भारत में करने का प्रयास हैदराबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी में किया जा रहा है। इसे ‘सेतु सॉफ्टवेयर सिस्टम‘ नामदिया गया है। यदि यह सॉफ्टवेयर विकसित हो जाता है तो कंप्युटर,मोबाइल और रोबोट बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के लेख लिखने की क्षमता विकसित कर लेंगे। इस संस्थान से जुड़ी टीम के इंजीनियर श्रीनि कोप्पले का दावा है कि सॉफ्टवेयर में डाली गई यह कृत्रिम बुद्धि ५ से १० सेकेंड के भीतर लगभग एक हजार की शब्द संख्या का आलेख तैयार कर देगी। यह सॉफ्टवेयर हिंदी,गुजराती,मराठी जैसी गैर अंग्रेजी ७० भाषाओं को सपोर्ट करेगा।

बहरहाल,जिन परिकल्पनाओं और छवियों को गढ़ने में मानव-मश्तिष्क अपवाद रहा है,उनका सृजन अब रोबोट भी करेगा। गोया,कल्पनाओं को वह चित्रित करेगा और गूढ़ से गूढ़ विषय पर व्याख्यान भी देगा। जाहिर है,अब रोबोट केवल तकनीक से जुड़ा वैज्ञानिक उपकरण भर नहीं रह जाएगा। वह मानव श्रम और मानवीय भावनाओं को भी अभिव्यक्ति देगा। बावजूद इसका बढ़ता प्रयोग बेरोजगार बढ़ाने का सबब बनता है और यदि यह बर्लिन की घटना की तरह हिंसक रूप में भी पेश आता है,तो इसके विस्तार पर अंकुश लगाने की जरूरत है। अन्यथा मनुष्य जाति के लिए यह भस्मासुरी साबित होगा

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