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’........फिर भी किसान अन्नदाता है पचौरी जी ! ''
जितनी मेरी उम्र है, उससे कहीं ज्यादा आपको लिखने का तजुर्बा है, इसलिए आपके लिखे पर सवाल उठाने की धृष्टता से पहले मैं