देश के आर्थि‍क मोर्चे पर केंद्र सरकार की सफलता

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 डॉ. मयंक चतुर्वेदी 

देश की जनता ने कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को लगातार दो बार केंद्र में सरकार बनाने का अवसर दिया था। उम्मीद की थी कि भारत दस सालों में जरूर आंतरिक और विदेशी मोर्चे पर अपनी फर्राटेदार उड़ान भर लेगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत। सभी ने देखा कि देश की साख घरेलु और बाहरी दोनों तरफ ही लगातार कमतर होती रही। भारत में भ्रष्टाचार से जुड़े एक के बाद एक मामले उजागर होने के बाद से दुनियाभर में जैसे प्रचारित हो गया था कि यहां लाभ की आशा से पूंजी लगाने का आशय है, उसे हमेशा के लिए खो देना। शेयर बाजार जिससे किसी देश की वर्तमान साख का आंकलन किया जाता है, उसने भी अपना दम तोड़ना शुरू कर दिया था और रुपए का अवमूल्यन लगातार ज़ारी था।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय देश में स्थि‍ति यहां तक खराब हो गई थी कि वस्तुओं की दर निर्धारण पर उसका कोई कंट्रोल नहीं रहा, दूध, दही, फल, सब्जी सब कुछ बहुत महंगे हो गए थे। दस सालों में पेट्रोल और डीजल की कीमत दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई। वस्तुत: कांग्रेस की संप्रग मनमोहन सरकार में लगातार आर्थ‍िक मोर्चे पर विश्वास खोते भारत की वैश्विक पहचान उभरने लगी थी।  ऐसे में जनता चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी, क्यों कि देश में गठबंधन और क्षेत्रियों दलों के राजनैतिक समीकरण के कारण बिना लोकसभा चुनाव हुए कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार को केंद्र से हटा पाना असंभव था। किंतु जब देश में लोकसभा चुनावों की घंटी बजी तो भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रख गुजरात के विकास मॉडल को देश में लागू करने की बात कहकर यह संदेश दिया कि देश में अब अच्छे दिन आने वाले हैं, सशक्त भाजपा-समृद्ध भारत।

इसके बाद देश ने देखा है कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही पहले दिन से अपने सामर्थ्य का परिचय देना शुरू कर दिया। यह मोदी ही थे जिन्होंने सख्त निर्णय और विकास की योजनाओं को लेकर अपना विजन रखा। पहले स्वयं पीएमओ को बारह घंटों से ज्यादा का वक्त देना फिर अपने राजनीतिक और प्रशासनिक सहयोगियों से कहना कि जन सेवकों के लिए कार्य के कोई सीमित घंटे नहीं होते। भाजपा की सरकार में अधि‍कतम परिणाम कारी, दृष्ट‍ि आधारित काम देश में होने चाहिए। वस्तुत: प्रधानमंत्री की इस बरती गई कठोरता का असर वर्तमान में दि‍खने लगा है। कांग्रेस अपने शासन में लगातार 3 हजार 650 दिन रहने के बाद भी जो नहीं कर पाई वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गए निर्णयों ने पिछले 170 दिनों में कर दिखाया।  इससे आज देश में केंद्र सरकार के प्रति तो भरोसा बढ़ा ही साथ में समुची दुनिया में भारत का ढंका पुन: बजना शुरू हो गया। इस संदर्भ में हम प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं और उसके परिणामों को देख सकते हैं।

यह मोदी के गुडगवर्नेंस का ही कमाल है कि वैश्विक क्षि‍तिज पर भारत लगातार छा रहा है, दुनियाभर में विकास को लेकर आज जो सर्वे किए जा रहे हैं वे भी भारत की उभरती शक्ति की और संकेत कर रहे हैं। मॉर्गन स्टैनली का सर्वेक्षण भी इसी और इशारा कर रहा है। उसके अनुसार एशिया के तमाम देशों में भारत सबसे अधिक तेजी से आर्थिक वृद्ध‍ि दर्ज करने वाला देश होगा। 2015 के दौरान यहां सकल घेरलू उत्पादन (जीडीपी) में 6.3 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। यही वजह है कि आर्थिक सुधार से मजबूती मॉर्गन स्टैनली के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया) चेतन भी भारत को लेकर आज कह रहे हैं कि रुपये के मामले में हमारी राय सकारात्मक है। सुधार कार्यक्रमों से भारत में आर्थिक विकास को मजबूती मिल रही है। कारोबारी माहौल सुधारने व पेट्रोलियम की कीमत कम होने से यहां जीडीपी बढ़ाने में सुविधा हो रही है।शेयर बाजार 100 लाख करोड़ का हो होकर विश्व के प्रमुख बाजारों में शीर्ष 10 देशों में से एक 9 वें स्थान पर आ गया है।

देश में बढ़ते विश्वास के मोदी मैजिक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल संप्रग काल में जो महंगाई दर 7.24 फीसद थी, वह इस साल घटकर 1.77 तक हो गई। निश्चित ही यह सरकार की सतर्कता और सक्रियता के कारण ही संभव हुआ जो घरेलू वस्तुओं के दामों में गिरावट आने लगी । इससे लोगों की वह धारणा भी टूट रही है कि जिस वस्तु के दाम एक बार बढ़ जाते हैं वह कम नहीं होते। मोदी सरकार के आने के बाद चीनी, घी,  तेल, चना, गुड़, चावल जीरा,  हल्दी, साबुन, सब्जी जैसे रोजमर्रा के तमाम सामान हैं जिनमें लगातार गिरावट का दौर जारी है।

नरेंद्र मोदी ने देश को विकास की पटरी पर लाने के लिए जो महत्वपूर्ण निर्णय लिए वह हैं कॉमन नेशनल मार्केट विकसित करने के लिए प्रयास, आवश्यक वस्तु अधिनियमों का सख्ती से पालन करवाना, अनाज की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ गृह विभाग भी कार्रवाई का शुरू होना । अनाज एवं सब्जियों के उत्पादन में इजाफे लिए वैज्ञानिक प्रयासों को प्रोत्साहन, कृषि उत्पादों का 27 फीसद हिस्सा जो खेत से उपभोक्ताओं तक पहुंचने में ही खराब हो जाता है को बचाने के लिए रेडियो एक्टिव टेक्नोलॉजी के प्रयोग पर जोर, ईंधन कीमतों में लगातार कमी करते जाना, खाद्य वस्तुओं में महंगाई को कम करने के लिए गोदामों के मुंह खोल देना, प्याज, जैसी अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात, खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं तथा पचास लाख टन चावल बेचने का निर्णय, सौर ऊर्जा या ऊर्जा के अन्य विकल्पों की संभावनाओं का निरंतर विकास, लंबित महत्वाकांक्षी योजनाओं को देश में शीघ्र लागू करने के लिए अमल, एफडीआइ पर ठोस पहल। इन जैसे और भी तमाम निर्णय हैं जिन्हें केंद्र में भाजपा शासन के दौरान पिछले पांच माह के अंतराल में लिया गया है।

इन सभी का आज सार्थक परिणाम यह हुआ है कि देश में रिटेल महंगाई के बाद थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआइ) में जोरदार गिरावट गत पांच साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन ने मंदी की जकड़ से निकलने के संकेत दिए हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई की दर लगातार कम हुई है। यह दर 5.52 प्रतिशत      रह गई । वहीं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) की दर भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ते हुए ऊंचे स्तर 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। मैन्यूफैक्चर क्षेत्र के उत्पादन में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इसमें काम करने वाले देश के 22 उद्योग समूहों में से 15 में सकारात्मक वृद्धि रही है। खनन क्षेत्र के उत्पादन में 0.7 और कैपिटल गुड्स में 11.6 प्रतिशत की ग्रोथ देखी जा रही है।

प्रधानमंत्री की नीतियों के कारण आज सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ें भी केंद्र सरकार की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। इनके अनुसार लगातार सब्जियों के दाम घटने से खुदरा महंगाई दर में कमी आई है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर घटकर इस साल 5.59 प्रतिशत रही।  वास्तव में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर में तेज गिरावट के कारण निवेशकों का मनोबल बढ़ रहा है। यही कारण है कि शेयर बाजार में जमकर लिवाली हो रही है। इससे बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी लगातार अपने सुधार पर रहकर रिकॉर्ड स्तर को छू रहा है। ये सेंसेक्स जो मनमोहन सरकार के वक्त 17 और 18 हजार पर सिमट कर रह गया था आज वह 28 हजार के अंक को पार कर लगातार ऊंचा स्तर बनाए हुए है। इसके अलावा भारत में लगातार विदेशी पूंजी प्रवाह के शानदार आंकड़ों ने भी बाजार को मजबूती प्रदान की है। दुनियाभर के निवेशक भारत में पूंजी निवेश के प्रति सकारात्मक रुझान दिखा रहे हैं। यही कारण है कि आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करने के उद्देश्य से केंद्र ने रिजर्व बैंक पर परोक्ष रूप से ब्याज दरों में कमी के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसने रिजर्व बैंक की ओर से आगामी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं बढ़ा दी हैं।

वस्तुत: मोदी सरकार के एजेंडे में महंगाई पर काबू पाना और आर्थिक विकास की गति को बढ़ाना और गरीबी मिटाना प्रमुख मुद्दा है। सरकार की नजर बिल्कुल स्पष्ट है कि निवेश के इस वैश्विक दौर को फिर से भारत में तेजी के साथ वापस लाया जाए ताकि देश ऊंची विकास दर प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सके और इस वजह से यहां अधि‍कतम रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें। आशा की जानी चाहिए कि अभी तक जिन्हें अच्छे दिन आने का भरोसा नहीं हो पाया है वे केंद्र की सफलतम नीतियों के क्रियान्वयन और भारतीय अर्थ व्यवस्था पर चल रहे मोदी मैजिक से जरूर जल्द ही अच्छे दिन देख पायेंगे।

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मयंक चतुर्वेदी
मयंक चतुर्वेदी मूलत: ग्वालियर, म.प्र. में जन्में ओर वहीं से इन्होंने पत्रकारिता की विधिवत शुरूआत दैनिक जागरण से की। 11 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय मयंक चतुर्वेदी ने जीवाजी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के साथ हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, एम.फिल तथा पी-एच.डी. तक अध्ययन किया है। कुछ समय शासकीय महाविद्यालय में हिन्दी विषय के सहायक प्राध्यापक भी रहे, साथ ही सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को भी मार्गदर्शन प्रदान किया। राष्ट्रवादी सोच रखने वाले मयंक चतुर्वेदी पांचजन्य जैसे राष्ट्रीय साप्ताहिक, दैनिक स्वदेश से भी जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखना ही इनकी फितरत है। सम्प्रति : मयंक चतुर्वेदी हिन्दुस्थान समाचार, बहुभाषी न्यूज एजेंसी के मध्यप्रदेश ब्यूरो प्रमुख हैं।

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