वेब मिडिया की बढती स्वीकार्यता

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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अरस्तु के अनुसार जो मनुष्य समाज मे नही रहते वो देव या दानव हैं। समाज मे रहने के लिये सबसे महत्वपूर्ण चीज़ ‘समाचार’ है। वर्तमान समय मे संचार माध्यम और समाज में गहरा संबंध एवं निकटता है। संचार माध्यमो के कारण ही सूचना और तकनीकी का प्रचार-प्रसार संभव हुआ है। जो आज हमें वेबसाइट वेबदुनिया वेब मीडिया के दौर मे ले आई है।आज के व्यस्तता से भरी ज़िन्दगी में वेब मीडिया सिर्फ आवश्यकता ही नहीं ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है। आजकल हर किसी के मोबाइल में नेट की सुविधा है, और इस मीडिया के कारण ही लोग मोबाइल के ज़रिये कई तरह की मूलभूत कार्य जैसे पेपर पढना, किसी जगह के बारे में जानकारी प्राप्त करना, ये सब कर पा रहे हैं। वेब मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता के कई कारण हैं –

  1. इससे समय की बचत होती है:- बहुत से लोग ब्लॉग, ई-पेपर द्वारा कई तरह की जानकारियाँ जैसे कि भारत का इतिहास, भारत की संस्कृति या लगभग सभी वषयों के बारे में आराम से वेब मीडिया के कारण ही चलते चलते ही अपने मोबाइल पर गूगल, विकिपीडिया और अन्य सर्च इंजनों के ज़रिये आसानी से जान सकते हैं।
  2. जगह की भी बचत होती है:- पहले हम विभिन्न विषयों की जानकारी के लिये अलग अलग तरह की किताबों को रखते थे, उसे रखने के लिये हमें जगह की आवश्यकता होती थी पर आज के दौर में हम अपनी सारी जानकारी एक साथ वेबसाइट से आसानी से प्राप्त कर लेते हैं और अतिरिक्त जगह की ज़रूरत नही रहती।
  3. सस्ता है इसलिये प्रचलित भी :- हमें अगर अलग अलग तरह के पेपर, किताब आदि खरीदनी हो तो उसका खर्चा अधिक बहुत अधिक है पर वेब मीडिया के ज़रिये हम कइ विषयों की जानकारी कम खर्चे में आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
  4. समय की बाध्यता नही है:- हम पेपर तभी पढ़ सकते हैं जब हमारे घर न्यूज – पेपर आए या फिर उसे हम बाहर से जाकर ले कर आए, पर अब ऐसा नही है, नेट के जरिए, हम जिस न्यूज – पेपर को पढ़ना चाहें उसके साइट पर जाकर आसानी से पढ़ सकते हैं। हमें अगरटीवी किसी विषय पर कुछ जानकारी चाहिए होती थी तो हम लाइब्रेरी जाते थे जो कि दिन मे ही संभव था, किंतु अब हम कभी भी गूगल, विकिपीडिया एवं विभिन्न वेबसाइट के जरिए कई जानकारियाँ इकट्ठी कर सकते हैं।
  5. रोजगार के लिए भी कारगर है:- इस वेब मीडिया के कारण ही आनलाइन जाब की संभावना बनी है जो की बहुत ही फायदेमंद है।
  6. सोशल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता:- फेसबुक – ट्विटर आदि के जरिए लोग आसानी से अपने भूले बिसरे सभी दोस्तों, रिश्तेदारों तक पहुंच पाए हैं और आसानी से देश – विदेश मे बैठे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से जुड़े हैं। अपनी फोटो, अपनी बात सबके बीच रख पाते हैं। सोशल मीडिया की जागरूकता के कारण ही बहुत सी सच्चाई लोगों के सामने आई। सोशल – मीडिया के कारण ही लोगों में अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता का भी प्रचार प्रसार हुआ है। इसी मीडिया के कारण बहुत सी महिलाऐं जो घर के कामकाज के बाद बाहर नही निकल पाती थी, वो पूरी दुनिया से जुड़ पायी, अपने लिये एक प्लेटफार्म तलाश पायी। इस मीडिया के कारण ही वो अपना आस्तित्व बना पायी।

 

मानव का इतिहास और सभ्यताओं के विकास में एक चीज़ हमेशा से रही है और एक स्तंभ के रूप में काम किया है और वो है समाचार। समाचार वो सभी प्रकार अभिव्यक्तियां हैं जो एक व्यक्ति एक या एक से अधिक व्यक्ति या व्यक्ति समूहों तक जानकारी के रूप में पहुँचाना चाहता है। और ये सारी जानकारियाँ या अनुभव उस व्यक्ति के द्वारा सोची देखी या अनुभव की हुई वस्तु स्थान या समय या इनका मिला जुला रूप हो सकती है।कोई भी अभिव्यक्ति समाचार तभी बनती है जब वह यात्रा करे या व्यक्त हो। अगर वह एक स्रोत से दूसरे तीसरे चौथे तक ना पहुँचती रहे तो सोच या वार्तालाप बन के रह जाती है। अब अगर हम फिर मानव इतिहास मे देख़ें तो प्राचीन सभ्यताओं से ही समाचार के प्रसारण के विभिन्न तरीकों को हम देख सकते हैं। इनमे से दूत, मुनादी, जानवरों जैसे कबूतर, घोड़ों, ऊँटों का ज़िक्र आता है। इन विभिन्न प्रकार के साधनो का उपयोग समय स्थान और युग के हिसाब से बदलता रहा है। अगर अब इनका विस्तार से विश्लेषण किया जाए तो ये कहा जा सकता है कि समाचार के प्रसारण के साथ बहुत महत्वपूर्ण विषय है ‘समय’। समाचार जितना जल्द और व्यापक हो उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है, क्योकि बासी समाचार बासी भोजन की तरह अपना महत्व खो देता है,तो युगों से ये प्रयास चला आ रहा है कि समाचार को कितनी जल्द, कितनी सटीकता से और कितना व्यापक बनाए और इसी विषय को आगे बढ़ाने मे नये नये अविष्कार भी होते रहे है जिनमें न्यूजंपेपर, पोस्ट सिस्टम, दूर संचार, रेडियो, टेलीविज़न आदि हैं।

 

विश्व व्यापी वेब(जिसे सामान्यत: वेब कहा जाता है) आपस में परस्पर जुड़े हाइपरटेक्स्ट दस्तावेजों को इन्टरनेट द्वारा प्राप्त करने की प्रणाली है। एक वेब ब्राउजर की सहायता से हम उन वेब पन्नों को देख सकते हैं जिनमें टेक्स्ट, छवि (image), वीडियो, एंवं अन्य मल्टीमीडिया होते हैं तथा हाइपरलिंक की सहायता से उन पन्नों के बीच में आवागमन कर सकते है। विश्व व्यापी वेब को टिम बर्नर्स ली द्वारा 1989 में यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन जो की जेनेवा, स्वीट्ज़रलैंड में है, में काम करते वक्त बनाया गया था और 1992 में जारी किया गया था। उसके बाद से बरनर्स-ली नें वेब के स्तरों के विकास (जैसे की मार्कअप भाषाएँ जिनमें की वेब पन्ने लिखे जाते हैं) में एक सक्रीय भूमिका अदा की है और हाल के वर्षों में उन्होनें सीमेंटिक (अर्थ) वेब (Semantic Web) विकसित करने के अपने स्वप्न की वकालत की है।

विश्व व्यापी वेब पर एक वेब पन्ने को देखने की शुरुआत सामान्यत: वेब ब्राउजर में उसका यूआरएल लिख कर अथवा उस पन्ने या संसाधन के हाइपरलिंक का पीछा करते हुए होती है। तब उस पन्ने को ढूंढ कर प्रर्दशित करने के लिए वेब ब्राउजर अंदर ही अंदर संचार संदेशों की एक श्रृंखला आरंभ करता है। सबसे पहले यूआरएल के सर्वर-नाम वाले हिस्से को विश्व में वितरित इन्टरनेट डाटा-बेस, जिसे डोमेन नाम प्रणाली के नाम से जाना जाता है, की सहायता से आईपी पते में परिवर्तित कर दिया जाता है। वेब सर्वर से संपर्क साधने और डाटा पैकेट भेजने के लिए ये आईपी पता जरुरी है। उसके बाद ब्राउजर वेब सर्वर के उस विशिष्ट पते पर हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल की प्रार्थना भेज कर रिसोर्स से अनुरोध करता है।

एक आम वेब पन्ने की बात करें तो, वेब ब्राउजर सबसे पहले उस पन्ने केएच.टी.एम.एल. टेक्स्ट के लिए अनुरोध करता है और तुंरत ही उसका पदच्छेद कर देता है। उसके बाद वेब ब्राउजर पुनः अनुरोध करता है उन छवियों और संचिकाओं के लिए जो उस पन्ने के भाग हैं। एक वेबसाइट की लोकप्रियता सामान्यत: इस बात से मापी जाती है की कितनी बार उसके पन्नों को देखा गया या कितनी बार उसके सर्वर को हिट किया गया या फिर कितनी बार उसकी संचिकाओं के लिए अनुरोध किया गया।

वेब सेवक से आवश्यक संचिकाएँ प्राप्त करने के बाद ब्राउज़र उस पन्ने को स्क्रीन पर एच.टी.एम.एल., कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स एंवं अन्य वेब भाषाओँ के निर्देश के अनुसार प्रर्दशित करता है। जिस वेब पन्ने को हम स्क्रीन पर देखते हैं उसके निर्माण के लिए अन्य छवियों एंवं संसाधनों का भी इस्तेमाल होता है। अधिकांश वेब पृष्ठों में उनसे संबंधित अन्य पृष्ठों और शायद डाउनलोड करने लायक वस्तु, स्रोत दस्तावेजों, परिभाषाएँ और अन्य वेब संसाधनों के हाइपरलिंक स्वयं शामिल होंगे। इस उपयोगी और सम्बंधित संसाधनों के समागम को, जो की आपस में हाइपरटेक्स्ट लिंक के द्वारा जुड़े हुए हों, को जानकारी का “वेब” कहा गया। इसको इन्टरनेट पर उपलब्ध कराने को टिम बर्नर्स ली नें सर्वप्रथम 1990 विश्वव्यापीवेब का नाम दिया।

आज के संगणक जगत में चिट्ठा का भारी चलन चल पड़ा है। कई प्रसिद्ध मशहूर हस्तियों के चिट्ठा लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं और उन पर अपने विचार भी भेजते हैं। चिट्ठों पर लोग अपने पसंद के विषयों पर लिखते हैं और कई चिट्ठे विश्व भर में मशहूर होते हैं जिनका हवाला कई नीति-निर्धारण मुद्दों में किया जाता है। चिट्ठा का आरंभ १९९२ में लांच की गई पहली जालस्थल के साथ ही हो गया था। आगे चलकर १९९० के दशक के अंतिम वर्षो में जाकर चिट्ठाकारी ने जोर पकड़ा। आरंभिक चिट्ठा संगणक जगत संबंधी मूलभूत जानकारी के थे। लेकिन बाद में कई विषयों के चिट्ठा सामने आने लगे। वर्तमान समय में लेखन का हल्का सा भी शौक रखने वाला व्यक्ति अपना एक चिट्ठा बना सकता है, चूंकि यह निःशुल्क होता है और अपना लिखा पूरे विश्व के सामने तक पहुंचा सकता है।

चिट्ठों पर राजनीतिक विचार, उत्पादों के विज्ञापन, शोधपत्र और शिक्षा का आदान-प्रदान भी किया जाता है। कई लोग चिट्ठों पर अपनी शिकायतें भी दर्ज कर के दूसरों को भेजते हैं। इन शिकायतों में दबी-छुपी भाषा से लेकर बेहद कर्कश भाषा तक प्रयोग की जाती है। वर्ष २००४ में चिट्ठा शब्द को मेरियम-वेबस्टर में आधिकारिक तौर पर सम्मिलित किया गया था। कई लोग अब चिट्ठों के माध्यम से ही एक दूसरे से संपर्क में रहने लग गए हैं। इस प्रकार एक तरह से चिट्ठाकारी या चिट्ठाकारी अब विश्व के साथ-साथ निजी संपर्क में रहने का माध्यम भी बन गया है। कई कंपनियां आपके चिट्ठों की सेवाओं को अत्यंत सरल बनाने के लिए कई सुविधाएं देने लग गई हैं।

सामाजिक मीडिया पारस्परिक संबंध के लिए अंतर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों को संदर्भित करता है। यह व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनाने का माध्यम है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशोधन के लिए उच्च इंटरैक्टिव प्लेटफार्म बनाने के लिए मोबाइल और वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है।

सामाजिक मीडिया अन्य पारंपरिक तथा सामाजिक तरीकों से कई प्रकार से एकदम अलग है। इसमें पहुँच, आवृत्ति, प्रयोज्य, ताजगी और स्थायित्व आदि तत्व शामिल हैं। इन्टरनेट के प्रयोग से कई प्रकार के प्रभाव होते हैं। निएलसन के अनुसार ‘इन्टरनेट प्रयोक्ता अन्य साइट्स की अपेक्षा सामाजिक मीडिया साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं’।

दुनिया में दो तरह की सिविलाइजेशन का दौर शुरू हो चुका है, वर्चुअल और फिजीकल सिविलाइजेशन। आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से दो-तीन गुना अधिक आबादी अंतर्जाल पर होगी। दरअसल, अंतर्जाल एक ऐसी टेक्नोलाजी के रूप में हमारे सामने आया है, जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया हैं, जिनके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते हैं। यही से सामाजिक मीडिया का स्वरूप विकसित हुआ है।

सामाजिक मीडिया की समालोचना विभिन्न प्लेटफार्म के अनुप्रयोग में आसानी, उनकी क्षमता, उपलब्ध जानकारी की विश्वसनीयता के आधार पर होती रही है। हालाँकि कुछ प्लेटफॉर्म्स अपने उपभोक्ताओं को एक प्लेटफॉर्म्स से दुसरे प्लेटफॉर्म्स के बीच संवाद करने की सुविधा प्रदान करते हैं पर कई प्लेटफॉर्म्स अपने उपभोक्ताओं को ऐसी सुविधा प्रदान नहीं करते हैं जिससे की वे आलोचना का केंद्र विन्दु बनते रहे हैं। वहीँ बढती जा रही सामाजिक मीडिया साइट्स के कई सारे नुकसान भी हैं। ये साइट्स ऑनलाइन शोषण का साधन भी बनती जा रही हैं। ऐसे कई केस दर्ज किए गए हैं जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग लोगों को सामाजिक रूप से हनी पहुँचाने, उनकी खिचाई करने तथा अन्य गलत प्रवृत्तियों से किया गया ।

सामाजिक मीडिया के व्यापक विस्तार के साथ-साथ इसके कई नकारात्मक पक्ष भी उभरकर सामने आ रहे हैं। पिछले वर्ष मेरठ में हुयी एक घटना ने सामाजिक मीडिया के खतरनाक पक्ष को उजागर किया था। वाकया यह हुआ था कि उस किशोर ने फेसबूक पर एक ऐसी तस्वीर अपलोड कर दी जो बेहद आपत्तीजनक थी, इस तस्वीर के अपलोड होते ही कुछ घंटे के भीतर एक समुदाय के सैकडों गुस्साये लोग सडकों पर उतार आए। जबतक प्राशासन समझ पाता कि माजरा क्या है, मेरठ में दंगे के हालात बन गए। प्रशासन ने हालात को बिगडने नहीं दिया और जल्द ही वह फोटो अपलोड करने वाले तक भी पहुँच गया। लोगों का मानना है कि परंपरिक मीडिया के आपत्तीजनक व्यवहार की तुलना में नए सामाजिक मीडिया के इस युग का आपत्तीजनक व्यवहार कई मायने में अलग है। नए सामाजिक मीडिया के माध्यम से जहां गडबडी आसानी से फैलाई जा सकती है, वहीं लगभग गुमनाम रहकर भी इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है। हालांकि यह सच नहीं है, अगर कोशिश की जाये तो सोशल मीडिया पर आपत्तीजनक व्यवहार करने वाले को पकडा जा सकता है और इन घटनाओं की पुनरावृति को रोका भी जा सकता है। केवल मेरठ के उस किशोर का पकडे जाना ही इसका उदाहरण नहीं है, सोशल मीडिया की ही देन है कि लंदन दंगों में शामिल कई लोगों को वहाँ की पुलिस ने पकडा और उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए। और भी कई उदाहरण है जैसे बैंकुअर दंगे के कई अहम सुराग में सोशल मीडिया की बडी भूमिका रही। मिस्र के तहरीर चैक और ट्यूनीशिया के जैस्मिन रिवोल्यूशन में इस सामाजिक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को कैसे नकारा जा सकता है। सामाजिक मीडिया की आलोचना उसके विज्ञापनों के लिए भी की जाती है। इस पर मौजूद विज्ञापनों की भरमार उपभोक्ता को दिग्भ्रमित कर देती है तथा ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स एक इतर संगठन के रूप में काम करते हैं तथा विज्ञापनों की किसी बात की जवाबदेही नहीं लेते हैं जो कि बहुत ही समस्यापूर्ण है।

सामाजिक मीडिया विपणन संचार योजनाओं का एक नवीन घटक है। एकीकृत विपणन संचार अपने लक्षित बाज़ारों के साथ जुड़ने के लिए संगठनों द्वारा पालन किया जा रहा एक सिद्धांत है। एकीकृत विपणन संचार ग्राहक केंद्रित संदेश तैयार करने के लिए मिश्रित प्रचार तत्व – यथा विज्ञापन, व्यक्तिगत बिक्री, जन संपर्क, प्रचार, प्रत्यक्ष विपणन और बिक्री प्रोत्साहन को समन्वित करता है। पारंपरिक विपणन संचार मॉडल में, सामग्री, आवृत्ति, समय, संगठन द्वारा संचार माध्यम एक बाहरी एजेंट, यानी विज्ञापन एजेंसियां, विपणन अनुसंधान फ़र्म और जन संपर्क फ़र्म के सहयोग के साथ हैं। तथापि, सामाजिक मीडिया के विकास ने ग्राहकों के साथ संगठनों की संप्रेषण पद्धति को प्रभावित किया है। वेब 2.0 के उद्भव में इंटरनेट, लोगों को ऑनलाइन सामाजिक और व्यापार संबंध बनाने, सूचना साझा करने और परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिए उपकरणों का एक सेट उपलब्ध कराता है। सामाजिक मीडिया विपणन कार्यक्रम आम तौर पर ऐसी सामग्री तैयार करने के प्रयासों पर केंद्रित होते हैं जो ध्यान आकर्षित करे, ऑनलाइन संवाद जनित करे और पाठकों को अपने सामाजिक नेटवर्क के साथ उन्हें साझा करने के लिए प्रोत्साहित करे. संदेश उपयोगकर्ता से उपयोगकर्ता के बीच फैलता है और संभवतः प्रतिध्वनित होता है, चूंकि यह ब्रांड या कंपनी के बजाय एक विश्वसनीय स्रोत से आ रहा है।

सामाजिक मीडिया एक ऐसा मंच बन गया है जो आसानी से इंटरनेट तक पहुंच रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सुलभ है, जो संगठनों को अपने ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ाने के अवसर देते हुए, ग्राहकों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, सामाजिक मीडिया संगठनों को अपने विपणन अभियान को कार्यान्वित करने के लिए एक अपेक्षाकृत सस्ते मंच के रूप में कार्य करता है। संगठन अपने ग्राहकों और लक्षित बाजारों से सीधे प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं। संगठनों को सफलता के लिए सामाजिक मीडिया हेतु अपने लक्ष्यों को परिभाषित करने की ज़रूरत है। मंचों के बीच लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ग्राहक सेवा और प्रसारण अद्यतनीकरण के लिए Facebook का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि प्रचार के लिए Twitter का उपयोग हो सकता है। YouTube संगठन के परदे के पीछे का नज़ारा दिखा सकता है।

ऐसा कोई दिन नही गुजरात जब स्वयं को पारंगत कहने वाले वेबसाइट टेक्नोलॉजी को विगत का घोषित करते दिख जाऐंगे या वेबसाइट की क्षमता पर ही शक करते दिख जाऐंगे और ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर के बनिस्बत। इनमे जरूर क्षमता है सीधी प्रचार की। बिना शक सोशल मीडिया शक्तिशाली माध्यम है मार्केटिंग की। फिर भी ये वेबसाइट के असर को कम नही कर पाए, कुछ निम्नलिखित कारणों से:

दीवारों के बीच बंधा सोशल बागीचा – सोशल मीडिया हमेशा दीवार के बीच बंधा बागीचा माना गया है जहाँ ये अपने ही फीचर्स की वजह से आपको दियरों मे बाँध देता है। आप पूछ सकते हैं कि ये समस्या कैसे है? इसमें आप कॉनटेन्ट पर कन्ट्रोल नही रख सकते। इन साइट्स पर प्रतिद्वंद्वी भी प्रचार कर सकते हैं। और इनके अपने फीचर्स ग्राहकों का धयान भटकाते हैं।

उपभोक्ता के दिमाग में जगह बनाना – व्यापार में अपनी जगह बनाए रखने के लिए उत्पाद की विशिष्टता का पता ग्राहकों को रहना एक मूलभूत आवश्यकता है। इस काम को आप बखूबी वेबसाइट के माध्यम से कर सकते हैं। ऐसी और कोई दूसरी जगह नही है दुनिया में जहाँ आप अपने ग्राहक को इतनी अच्छी तरह से अपने उत्पाद का विश्लेषक दे सकें।

सूचना के प्रवाह का बेहतरीन माध्यम – जब आप अपने उपभोक्ता को सूचना देना चाहें तो वेबसाइट से कारगर और सटीक कुछ नही। यहाँ आपको सोशल मीडिया के अपने ही फीचर्स से द्वन्द नही करना होता।

तो अब आप ये कह सकते हैं कि सोशल मीडिया अच्छा है पर वेबसाइट कहीं फायदेमंद है। इस तरह हम कह सकते है कि वेब मिडिया आने समय मे सबसे प्रभावशाली सिद्ध होगी।

 

 

 

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