सुरेश हिन्दुस्थानी
जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते एक बात तो साफ तौर पर दिखाई दे रही है कि जिस भाजपा के साथ मुसलमान आने से डरते थे, वही मुसलमान आज भाजपा के साथ कदमताल जैसी स्थिति में आता दिखाई दे रहा है। इसके पीछे मोदी की राष्ट्रीय भावना है, हम जानते हैं कि वर्ग विशेष को संतुष्ट करने की राजनीति करने वाली कांगे्रस पार्टी के विचार के एकदम विपरीत मोदी भारत की 125 करोड़ जनता के उत्थान की बात करते हैं। जिसमें कोई भेदभाव नहीं, कोई तुष्टीकरण नहीं। जब प्रधानमंत्री श्री मोदी इस प्रकार की बात करते हैं तब स्पष्ट रूप से ऐसा ही लगता है कि जैसे उनके मुख से साक्षात भारत ही बोल रहा है।
मोदी के कार्य और व्यवहार को देखते हुए कश्मीर की जनता में यह भाव जाग्रत हुआ है कि मोदी हमारा उत्थान करेंगे। कुछ माह पूर्व जब जम्मू कश्मीर में बाढ़ आई थी उस समय मोदी की सक्रियता वास्तव में यह प्रमाणित करती है कि सरकार के लिए किसी भी हिस्से की त्रासदी शरीर के एक हिस्से में होने वाले दर्द की तरह होता है। मोदी को इस दर्द का अहसास हुआ, और तुरंत ही उपचार करने में लग गए। उल्लेखनीय है कि इस भीषण आपदा के दौरान अलगाव फैलाने वाली शक्तियां प्रभावित क्षेत्रों से तो दूर ही रहीं, साथ ही जिन लोगों को सरकार और भारत के विरोध में उकसाते थे, उन लोगों के दुख को भी नहीं समझा। संभावना व्यक्त की गई थी कि वे सभी पाकिस्तान परस्त लोग अपनी जान बचाने की जुगत में कहीं छुप गए थे। लेकिन चुनाव के समय फिर से उनकी सक्रियता के स्वर सुने जाने लगे हैं। अभी हाल ही में हुरियत के नेताओं ने कश्मीर के लोगों को यह चेतावनी भी दे दी है कि चुनावों में भाग मत लो, अगर ऐसा किया तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें। अब सवाल आता है कि क्या यह कदम अलोकतांत्रिक होकर भारत के विरोध में नहीं है। अलगाववादी ताकतें कश्मीर की जनता को बरगलाकर कितना हित साध रहे हैं, यह उनके जीवन यापन को देखकर सहज ही पता चल जाता है।
वर्तमान में पाकिस्तान के हालात भूखों मरने जैसे हैं, विभाजन के समय जो भी मुसलमान वहां गए, उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। इतना ही नहीं उनको पूरा मुसलमान भी नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है कि जिस प्रकार से आतंकी संगठन और अलगाववादी ताकतें कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताने का खेल खेल रहे हैं वह वहां की जनता के साथ एक मजाक ही है। वर्तमान में कश्मीर घाटी का आम जनमानस वर्तमान में इस सत्य को समझने लगा है कि सच्चे दुख में ही सच्चे दोस्त की पहचान होती है, जो दुख में साथ छोड़ दे वह दोस्त किसी काम का नहीं होता, कश्मीर की जनता के साथ अलगाववादियों ने ऐसा ही खेल खेला। अब चुनाव के समय में एक बार फिर से अलगाववादी ताकतें स्थानीय समाज को गुमराह करने का प्रयास करने का प्रयास कर रहीं हैं, लेकिन आंख खोल देने वाली घटना ने जिस प्रकार से अलगाववादी ताकतों का चरित्र उजागर किया है, उससे सथानीय जनता में सरकार के प्रति प्रीति का प्रस्फुटन हुआ है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत माता के मुकुट को संभालने वाले नागरिकों के दिल में अभूतपूर्व स्थान बनाया है।
हम जानते हैं कि जब सन् 2002 में गोधरा में हिन्दू कारसेवकों को जिंदा जलाने की प्रतिक्रिया में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़के, तब पूरा मुस्लिम नेतृत्व मोदी के विरोध में खड़ा दिखाई दे रहा था। राष्ट्रीय मीडिया भी गुजरात की मामूली घटनाओं को बड़़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने से नहीं चूक रहा था। हालांकि न केवल 2002 में गुजरात में विधानसभा चुनाव में श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया, वरन् उसके बाद हुए दो चुनाव में भी श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला न केवल उनके नेतृत्व में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला, वरन् मुख्यमंत्री के नाते गुजरात को विकास का मॉडल बनाने में सफलता प्राप्त की। उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ता रहा। कथित सेकुलरों द्वारा उन्हें मुस्लिम विरोधी बताने का सिलसिला चलता रहा। जब श्री मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया, तब भी इन सेकुलरों द्वारा उन्हें मुस्लिम विरोधी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राजनैतिक पंडित भी अगर-मगर करते हुए भाजपा को स्पष्ट बहुमत से दूर बताते रहे। जब मोदी की रैलियों में जनसैलाब उमडऩे लगा, चारों ओर मोदी-मोदी की गूंज सुनाई देने लगी। तब राजग गठबंधन की जीत की बातें होने लगी। चुनाव परिणाम ने दुनिया को चकित कर दिया। भाजपा ने लोकसभा में 272 के आंकड़े को पार करते हुए 282 सीटों पर हजारों-लाखों के अंतर से प्रभावी जीत दर्ज की। प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री मोदी ने जिस तरीके से विकास की गति दी और देश की सुरक्षा सुदृढ़ की, उसकी सराहना पूरे देश में होने लगी। अमेरिका, चीन जैसे देश भी भारत के महत्व को समझने लगे और भारत के विकास को गति देने में बड़े देशों ने भी करार किए। नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रभावी पहचान बनाई। अब देश के कई प्रभावी मुस्लिम नेता भी श्री मोदी की सराहना करने लगे है। इमाम बुखारी जैसे नेता जब श्री मोदी का विरोध करते हैं तो कई मुस्लिम नेता बुखारी का विरोध करने लगे। कश्मीर घाटी मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। वहां हमेशा अलगाववादी और पाकिस्तानी एजेंट प्रभावी रहे है। जेहादी आतंकियों के समर्थन और संरक्षण देने वाले तत्व भी वहां है। अब समय आ गया है कि देश की जनता गुमराह करने वाली ताकतों से सावधान हो जाए और सही नीति और नीयत की भावना का सम्मान करते हुए देश के विकास में योगदान दें।