pravakta.com
आदमी जीने लगा है कई-कई किरदारों में - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. दीपक आचार्य सब उल्लू बना रहे हैं एक-दूसरे को मानवीय सभ्यता में जब तक पूर्ण अनुशासन के भाव विद्यमान थे तब तक हर व्यक्ति अपने-अपने काम में लगा रहता था। किसी को भी फालतू चर्चाएं करने और बेकार बैठे रहने की फुरसत नहीं थी और न ही उस जमाने…