राम जन्म भूमि के विषय में दुराग्रह छोड़े कांग्रेसी और सपा सरकारें

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84        यदि यह मैच फिक्सिंग है तो अखिलेश को बर्खास्त क्यों नहीं करती केंद्र सरकार?     

 

अंततः मुलायम सिंग के नेतृत्व वाली उत्तरप्रदेश की सपा सरकार ने विहिप की चौरासी कोसी यात्रा को विफल करानें के उद्देश्य से विहिप के तमाम शीर्षस्थ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. प्रश्न यदि केवल अशोक सिंघल, प्रवीण तोगडिया, वेदांती जी या अन्य विहिप नेताओं की गिरफ्तारी का होता तो बात कुछ और थी किन्तु न गिरफ्तारी मात्र विहिप नेताओं की हुई है यहाँ तो एक क्षुद्र सोच ने गिरफ्तारी की है, एक विचार है जो गिरफ्तार हुआ है जो कि सौ करोड़ लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है और तीसरी ताकत है जो गिरफ्तार करनें वालों और गिरफ्तार होनें वालों दोनों को ही कोस-कोस कर अपनी मैडम के आदेश को मानने के लिए सदा ही सर के बल खड़ी है. इस तीसरी ताकत यानि कांग्रेस की चर्चा हम पहले करें तो हम पायेंगे कि अयोध्या के राम जन्मभूमि के विषय में वह कांग्रेस ही है जिसनें इस विषय को शांतिपूर्ण तरीकें से निपट जानें के मामलें में सदा ही फेर और पेंच फंसायें हैं. यह वह कांग्रेस ही है जिसके शीर्षस्थ नेताओं ने यह फार्मूला निकाला था और अपने से  तथाकथित नजदीकी रखनें वाले मुसलमानों से इस आफर को कहलवाया था कि यदि जांच में यह तथ्य प्रकट होता है कि राम जन्म भूमि स्थल की और उसके आस पास की खुदाई में यदि हिन्दू प्रतीक चिन्ह या हिन्दू अवशेष निकलतें हैं और यह प्रमाणित होता है कि किसी भी काल खंड में यहाँ हिन्दू मंदिर था तो मुस्लिम समाज इस स्थान पर से अपना दावा समाप्त कर लेगा. इतिहास गवाह है कि इस वचन को लानें में किन्होनें भूमिका निभाई किन्होनें पटकथा लिखी और किन्होनें इसके क्लाइमेक्स की दिशा को मोड़कर इस देश के सौ करोड़ हिन्दुओं की आँखों में धुल नहीं बल्कि मिर्च झौंकी???

हाल के घटना क्रम की यदि बात करें तो  चौरासी कोसी यात्रा का यह चल रहा या प्रारम्भ हुआ घटना क्रम इस देश में हिन्दुओं पर अत्याचार और उनकी भावनाओं के हनन और निर्मम ह्त्या का एक जीवंत किन्तु दुखद उदाहरण बनकर उभरा है और इसे हिन्दू समाज सदा अपनी धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार पर कुठाराघात और तुषारापात के रूप में ही देखेगा.

विहिप की ओर से प्रवीण भाई तोगड़िया और वयोवृद्ध नेता अशोक सिंघल सहित साधू समाज ने यह स्पष्ट कर दिया था कि २५ अगस्त से १३ सितम्बर तक चलनें वाली चौरासी कोसी यात्रा एक नितांत धार्मिक यात्रा है और इसका आयोजन पहले भी होता रहा है और अब भी पूर्व घोषित है. इस सम्बन्ध में यात्रा के अभियान कर्ताओं द्वारा यह भी सुस्पष्ट किया गया था कि इस बीस दिनी यात्रा में प्रतिदिन दो सौ से ढाई सौ संत और साधू सम्मिलित होंगे और वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी इस धार्मिक चौरासी कोसी यात्रा को आहूत करेंगे. प्रश्न यह है कि क्या उत्तरप्रदेश में बैठी अखिल-मुलायम की समाजवादी सरकार के पास दो-ढाई सौ साधुओं को कवर करनें लायक या उन पर नजर-नियंत्रण रख कर इस यात्रा को शांतिपूर्वक निपटवा लेनें लायक पुलिस बल नहीं था? प्रश्न यह भी है कि इस यात्रा को निरंतर-सतत टोकनें रोकनें और आलोचना करनें वालें कांग्रेसियों के पास क्या कोई और राजनैतिक मुद्दा नहीं था जो उन्होंने इस शुद्ध धार्मिक और आस्था-श्रद्धा के इस विषय को अनावश्यक तूल दिया और इसे आलोचना का एक बड़ा मुद्दा बना दिया?? इस देश में आज यह प्रश्न देश के इस केंद्र में सत्ता पर कब्जा जमायें दल कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि आज इस यात्रा पर दमन पूर्वक रोक लगानें के विषय में उनकी स्पष्ट राय क्या है? कांग्रेसियों को स्पष्ट करना चाहिए कि हिन्दू समाज की धार्मिक स्वतन्त्रता औरर पूजा अराधना के उसके मौलिक अधिकार पर चोट करनें वाले मुलायम सरकार के इस दुष्कृत्य को वे किस रूप में ले रहें हैं? आज इस देश में गाहे-बगाहें बयानबाजी करनें वालें धर्म निरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार बताएं कि धर्म निरपेक्षता का उनका सिद्धांत क्या कहता है??? ये छदम धर्म निरपेक्षता वादी आज स्पष्ट करें कि वे पूजा पाठ करनें जा रहे किसी और समुदाय को भूत या भविष्य में रोकें जानें पर क्या इस प्रकार की प्रतिक्रया प्रकट कर पायें हैं या कर पायेंगे??? स्पष्ट है कि किसी और समुदाय के विषय में यदि इस प्रकार का घटना क्रम होता तो ये तथाकथित बयान वीर अपनी खोल में छुप कर बैठ गए होतें या येन केन प्रकारेण कोई सुरक्षात्मक भाषा और शब्दों का बेहद सुरक्षित प्रहसन कर रहे होते. आखिर समाजवादी सरकार के यात्रा रोकें जानें को लेकर “मैच फिक्सिंग” जैसा शब्द उपयोग किये जानें की क्या आवश्यकता है? क्या देश में बहुसंख्यक हिन्दू समाज की भावनाओं के साथ खेलना और उसे कुचलनें के कुत्सित, घृणित, निकृष्ट काम का नाम ही धर्म निरपेक्षता रह गया है जिसे कांग्रेस खेल रही है? यदि यह मैच फिक्सिंग है और ऐसा कांग्रेस का मानना है तो केंद्र में बैठी इस कांग्रेस ने अपनें दायित्व का निर्वहन किस प्रकार किया है? केवल व्यक्तव्य जारी करना कि “मैच फिक्सिंग है” क्या केंद्र की कांग्रेसी सरकार के कर्तव्य-पालन का अभिनव रूपक है?? कांग्रेस को इस देश के सौ करोड़ हिन्दुओं को जवाब देना चाहिए कि उ.प्र. सरकार का यह कर्तव्य यदि वह नहीं निभा पाई है और देश को अनावश्यक तनाव का शिकार होना पडा है और उ.प्र. सरकार मैच फिक्सिंग कर रही है तो उसकी केंद्र में बैठी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के विरुद्ध क्या कार्यवाही की है? केंद्र सत्ता पर काबिज कांग्रेस बयान देनें के अपनें परम कर्तव्य के साथ साथ अपनें संवैधानिक कर्तव्यों का पालन क्यों नहीं कर रही है?? सपा की उत्तर प्रदेश की सरकार को क्या केंद्र की कांग्रेस सरकार ने क्या पूछा और उसके द्वारा क्या बताया गया यह इस देश की जनता को पता चलना चाहिए. देश की जनता को यह भी पता चलना चाहिए कि मैच फिक्सिंग करनें वाली उ.प्र. की सपा सरकार के इस कृत्य के विषय में -जिससे देश भर की शान्ति-सद्भाव और कानून व्यवस्था के भंग होनें का खतरा है- महामहिम राष्ट्रपति के संज्ञान में क्या क्या विषय लाये गएँ हैं? देश की जनता को केंद्र की कांग्रेसी सरकार यह भी जवाब दे कि सौ करोड़ से अधिक हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर मैच फिक्सिंग करनें वाली इस अखिलेश सरकार को बर्खास्त करनें के विषय में वह क्या विचार कर रही है या उससे क्या जवाब तलब किये गएँ है? स्पष्ट है कि इन बिन्दुओं पर न तो मैडम शासित कांग्रेस बोलेगी और न ही इस देश में समय समय पर छदम धर्म निरपेक्षता का ढोल पीटनें वालें तथा कथित प्रगतिशील विचारधारा वालें राजनैतिक दल या उससे जुड़े बुद्धिजीवी लोग.

ये इस देश का और इस देश के शताधिक करोड़, मूल निवासी हिन्दुओं का दुर्भाग्य है कि उनका विषय आनें पर इस देश के तथा कथित पुरानें राजनैतिक दल के नेताओं को मुस्लिम वोटों का लालच सतानें लगता है और वे अपनी चेतना और जागृति के अनुरूप नहीं बल्कि राजनैतिक आवश्यकताओं के हिसाब से निर्णय लेकर मतदान के विषय विकेन्द्रित हिन्दू समाज को उसकी विकेन्द्रित वोटिंग का दंड देतें रहतें हैं. हिन्दू समाज की चेतना और स्मरण का भी दोष है कि वह इन विषयों को अपनी सर्वे भवन्तु सुखिनः के मूल विचार के अतिरेक में बह कर समीक्षागत और तथ्यगत दृष्टि से परीक्षित नहीं कर पाया है. हिन्दू समाज को भी स्वयं को दोयम दर्जें का नागरिक बननें से रोकनें का प्रयास करना होगा और इस प्रयास को विफल करनें वाली दैत्य शक्तियों को जवाब देनें हेतु मचलनें की भूमिका में आना होगा ताकि तथाकथित धर्म निरपेक्षता वादी इतिहास से नहीं और भविष्य से नहीं बल्कि वर्तमान से करारा सबक सीखनें की स्थिति में आ पायें.

रहा अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि के भव्य निर्माण का प्रश्न तो उस विषय में कांग्रेस, बुद्धिजीवी, मिडिया और धर्म निरपेक्षता वादी यह बोलनें का क्रम रोकें की केवल चुनाव के समय राजनैतिक स्वार्थों के लिए जन्मभूमि का विषय उठाया जाता है. इस प्रकार की बात इस देश की भोली भाली जनता के सामनें रखनें वाल क्षुद्र राजनेता और हमारें देश के नागरिक दोनों जानतें हैं कि जन्म भूमि के भव्य निर्माण का अभियान एक सतत-निरंतर और शुचिता के साथ चलनें वाला आस्था और श्रद्धा पूर्ण अभियान है जो निरंतर चला है और लक्ष्य प्राप्ति तक चलेगा. इस बीच चुनाव भी आयेंगे, अपेक्षित अनपेक्षित परिणाम भी आयेंगे और वह सभी कुछ होगा जो चराचर जगत में होता है किन्तु यह अभियान तभी थमेगा जब लक्ष्य की पूर्ति होगी. कहनें वालों को यह भी जवाब है कि यदि चुनाव के समय इस विषय के समर्थन में चलनें वाले अभियानों को मिडिया और छदम धर्म निरपेक्षता वादी अधिक महत्त्व और कवरेज देतें हैं तो ये उनका विषय है अभियान

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