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राजनाथ को सराहौं या सराहौं आदित्यनाथ को! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
संजय द्विवेदी भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय से एक चीज मुझे बहुत चुभती रही है कि आखिर एक ही दल के लोगों को अलग-अलग सुर में बोलने की जरूरत क्या है? क्यों वे एक सा व्यवहार और एक सी वाणी नहीं बोल सकते? माना कि कुछ मुद्दों पर बोल…