सौन्दर्य के प्रतीक दलसागर तालाब की सड़ांध बनी मुसीबत – मुख्यमंत्री शिवराज जायजा लेंगें

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dal-sagarसिवनी। नगर के सौन्दर्य का प्रतीक माने जाने वाला दलसागर तालाब अब अपनी सड़ांध और बदबू के कारण परेशानी का कारण बन गया हैं। इसके पानी को साफ रखने के नाम पर बार बार गंदे पानी के नो को बंद करने और आबादी क्षेत्र में बरसात में पानी घुसने के कारण फिर खोल देने का सिलसिला बरसो से जारी हैं। कलेक्टर नरहरि के कार्यकाल में इसके लिये 12 लाख 50 हजार रूपये मंजूर किये गये थे।इसके स्थाीह हल के लिये जरूरी हैं कि नाले को बंद कर इसके पानी की निकासी के लिये बहते हुये पानी वाल परतापुर के नाले तक कच्चा नाला बनाकर पानी वहां छोड़ा जाये तथा आवयक संख्या में पानी को शुध्द रखने किये फव्वारे बनाकर उनमें लाइटिंग कर सौन्दर्यीकरण्ा का काम किया जाये। इसके लिये मुख्यमंत्री राशि आवंटित करें। अन्यथा पैसा प्राप्त करना और उससे फिर भ्रष्टाचार का नया रिकार्ड बनाना पालिका का शगल बन चुका हैं।

कभी नगर के सौन्दर्य का प्रतीक दलसागर तालाब माना जाता था। जिले की संदर्भ ग्रंथ माने जाने वाली पुस्तक सिवनी अर्वाचीन एवं प्रचीन में यह उल्लेख किया गया हैं कि शहर के मध्य में दलसागर तालाब है जिसे दलसा नामक गौली ने बनवाया था। इसके चारों ओर पक्के घाट बने हैं जिससे तालाब बहुत ही सुन्दर लगता है।घंसौर से परानी मूर्तियां लाकर किनारे पर रखवा दी हैंजो देखने योग्य है। लेकिन अब आये दिन उसकी सड़ांध बौर बदबू आम आदमी के लिये परेशानी का सबब बन चुकी हैं। नगर की इस ऐतिहासिक धरोहर को पहली बार खाली करवाकर उसकी सफायी का काम 80 के दशक के शुरूआती दौर में तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री एम.पी.राजन के कार्यकाल में किया गया था जिसमे नागरिको नें भी अपनी बढ़ चढ़ भागीदारी की थी। उस समय पहली बार शहर के गंदे नाले से दलसागर में आने वाले पानी को अम्बेडकर भवन के पास से नाले को बंद कर रोका गया था। इसकी निकासी मालू पेट्रोल पंप से होते हुये नेशनल हाइवे पार करके सोहाने पेट्रोल पंप के बाजू से होते हुये झिरिया के पास वाले खेतों में निकल जाती थी। यह सिलसिला कुछ सालों तक चला और तालाब की सुंदरता एक बार फिर चर्चित हो गयी थी जिसमें नौकायान और बीच वाले टापू में केन्टीन भी प्रारंभ हो गयी थी।

दलसागर तालाब से सिंचाई भी होती थी। पानी की निकासी के लिये नहर एवं गेट भेरौगंज वाली तरफ में स्थित हैं जिनसे खेतों में सिंचाई की जाती थी। लेकिन समय बीतने के साथ ना तो अब नहर की जमीन बची और ना ही वे खेत और खाली जमीन बची जहां सिंचाई और नाले का पानी ले जाकर छोड़ा जाता था। ये सभी इलाके अब रहवासी क्षेत्र बन गये हैं। इसके बाद से तालाब के सड़ने,गंदे नाले को बंद करने और माकानों में पानी भरने पर उसे फिर खोल देने का सिलसिला बदस्तूर जारी हैं। ऐसा अब तक कितनी बार हो चुका हैं और इस पर कितनी रकम खर्च हो चुकी हैं? इसका खुलासा तो सिर्फ नगर पालिका के अभिलेख ही कर सकते हैं।

तालाब के पानी को शुध्द रखने के लिये प्रयोग के तौर एक स्थानीय मैकेनिक श्री गणेश विश्वकर्मा से एक फव्वारा भी बनवाया गया था। साथ ही यह भी योजना बनायी गयी थी कि यदि यह प्रयोग सफल हो जायेगा तो जितने फव्वारे पूरे तालाब के पानी को शुध्द करने के लिये आवश्यक होंगें उन्हें बनवाया जायेगा जिससे ना केवल तालाब का पानी आक्सीजन मिलने से शुध्द होगा वरन इनमें लाइटिंग लगने से सुन्दरता भी आयेगी। लेकिन दो एक साल तालाब सड़ा नहीं तो यह योजना धरी की धरी रह गयी। हालांकि इस साल तालाब के सड़ने पर अभी वह फव्वारा जरूर चलते दिख रहा हैं। शहर के बुजुर्गों के बताये अनुसार बबरिया तालाब के ओवर फ्लो का पानी एक खुली नहर से दलसागर तालाब में और दलसागर तालाब के ओवर फ्लो का पानी अंदर ही अंदर पाइपों के जरिये बुधवारी तालाब में ले जाने की व्यवस्था बनायी थी। लेकिन वक्त के साथ साथ यह भी समाप्त हो गयी हैं। पूर्ववर्ती कलेक्टर श्री पी. नरहरि के कार्यकाल में इस गंदे नाले को डायवर्ट करने के लिये बी.आर.जी.एफ. से लगभग 12 लाख पचास हजार रूपये की राशि स्वीकृत की गयी थी। जब इसे अम्बेडकर भवन के पास से डायवर्ट करने का काम चल रहा था तभी दलसागर के पानी रोकने के लिये बनी दीवार मे एक होल हो गया था और बारिश में तो यह दीवार ही धराशायी हो गयी थी। इससे पूरा गंदा पानी दलसागर तालाब में ही जा रहा था। अब यह तो नगर पालिका ही जानती होगी कि इस राशि में से कितने का भुगतान कर दिया गया और कितना भुगतान बाकी हैं।

दलसागर तालाब में आकर मिलने वाले गंदे पानी के नाले को स्थायी रूप से मजबूती के साथ बंद करने की व्यवस्था करायें जिसके लिये यह आवयक हैं कि सोहाने पेट्रोल पंप से आगे झिरिया के पास से ग्राम परतापुर के नाले तक एक,जहां पानी का बहाव रहता है, कच्चे नाले का निर्माण करके पानी वहां तक ले जाने की व्यवस्था करायी जाये तभी इसका कोई लाभ मिल पायेगा। अन्यथा नाला बंद करने पर जब बरसात में पानी रहवासी इलाकों में घुसता हैं तो नालें को पुन: खुलवा कर दलसागर में ही पानी ले जाने की व्यवस्था करनी पड़ती हैं। जिससे तालाब बार बार सड़ता हैं। इसके साथ ही पानी को शुध्द करने के लिये निर्घारित संख्या में फव्वारे बनवाये जाये जिनमें लाइटिंग की व्यवस्था की जाये ताकि पानी शुध्दीकरण के साथ साथ सौन्दर्यीकरण भी हो सके।

आगामी 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का शहर में कार्यक्रम होने वाला है। इस कार्यक्रम में दलसागर के सौन्दर्यीकरण के लिये बनायी गयी 60 लाख रूपये की योजना की शायद आधार शिला भी रखी जायेगी। इसके लिये आप धनराशि प्रदान करें ताकि शहर के सौन्दर्य का प्रतीक दलसागर तालाब एक बार फिर उसी गौरव को प्राप्त कर सके। अन्यथा नगर पालिका का तो ऐसे कार्यों के लिये राशि प्राप्त कर उसमेें भ्रष्टाचार करने का एक नया रिकार्ड बनाने का शगल बन गया है।

आशुतोष वर्मा, सिवनी।

मो. 09425174640

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