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देख दौलत की खनक हम भी फिसल सकते थे..... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
इक़बाल हिंदुस्तानी सबको संग लेके बड़ी दूर निकल सकते थे, तूने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे। तुम तो उलझे रहे वंदना में वतन की ख़ालिस, सेवा करते तो नतीजे भी बदल सकते थे। राज करना कोई बच्चो का हंसी खेल नहीं, राज पाने को ज़ेहर…