नरेन्द्र यादव की तकनीकि एमटीएनएल के लिये नजीर बन गयी

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ज्यादा समय नही कुछ महीनों पहले की बात है, हर कोई एमटीएनएल के लैंडलाइन टेलीफोन कनेक्शन से अपना पीछा छुडाने में लगा था । कारण था कि कभी फोन खराब है, तो कभी लाइन खराब है , कभी तार टूट गया है , बार बार जाने पर कहा जाता था कि अपना तार लेकर आओ तो ठीक होेगा, शिकायत के लिये दिये गये फोन पर धंटी बजती रहती थी , कोई सुनने वाला नही था और सरकार का खर्च दिन ब दिन बढ रहा था,समझ में नही आ रहा था कि एमटीएनएल में एैसा क्या किया जाय कि वह अपनी लय में आ सके । एमटीएनएल लोगों के बीच अपनी पहचान खोता जा रहा था और उसकी जगह प्राइवेट कम्पनियों ने लेना शुरू कर दिया था। इस बार जब नयी सरकार आयी तो मंथन शुरू किया गया । बात निकल कर आयी कि संस्थान में कमी नही है , काम करने वाले ही नही चाहते कि एमटीएनएल आगे बढे, इसका मामला एकदम साफ था कि वरिष्ठ पदों पर बैठे हुए लोग पगार तो सरकार से ले रहे थे किन्तु काम उस कम्पनियों के लिये कर रहे थे।पचास साल से उपर काम करने वालों की संख्या ज्यादा थी जो कि लेबर वाला काम नही कर सकते थे या यूं कह लीजिये कि उम्र जवाब दे गयी । सबसे बडी बात की एमटीएनएल के इस खराब सिस्टम का लाभ प्राइवेट कम्पनियां ले रही थी। एैसे में इस सिस्टम को ठीक करने की जिम्मेदारी मिनिस्ट्री आफ कम्यूनिकेशन एवं आईटी के सदस्य व एशिया पेशफिक टेलीकम्यूनिटी के चेयरमैन नरेन्द्र के यादव को दी गयी। जिन्होने बहुत ही कम समय में एमटीएनएल की दिशा व दशा दोनों ही बदल दी । आज एमटीएनएल के पास टाईबैंड, लैंडलाइन, टोटल सेलुसन इंटरप्राइज बिजनेस , टोटल सेलुसन प्रोवाइडर,ट्रम्प , डोलफिन , थ्रीजीजादू जैसे तमाम प्रोडक्ट है। शीध्र ही फोरजी भी लांच करने जा रहें है। सबसे खास बात यह कि जनता का विश्वास एमटीएनएल के प्रति दिन ब दिन पुख्ता हो रहा है। जिसका लाभ दिल्ली की जनता ले रही है। इन्ही नरेन्द्र  के यादव ने पिछले दिनों प्रवक्ता डाट काम के सह सम्पादक अरूण पाण्डेय से इस कायाकल्प के मुद्दे पर बातचीत की , प्रस्तुत है उसी बातचीत के अंश:

प्र0: आप ने जब काम काज संभाला तो कौन कौन सी दिक्कते थीं।
उ0: एमटीएनएल में बहुत सी कमियां है और सबसे बडी कमी थी अधिकारियों का काफी दिनों से एक ही शहर में काम करना। होता यह है कि अधिकारी दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र में काम कर रहा है और उसका तबादला कुछ सालों बाद इसी दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में हो जाता है और उसका सारा क्रिया कलाप यहां भी उसी तरह से चलाता है जिस तरह से पहले वाली जगह पर चलाता था, इसका मूल कारण एमटीएनएल का दिल्ली व मुंबई में होना, बाकी जगह तो बीएसएनएल है जिसका यह फायदा उठाते थे । यह निचले स्तर पर तो कमियां है ही, बडे पैमाने पर भी है, इसलिये सबसे पहले एमटीएनएल ने अपने दो ईडी को स्थानान्तिरित कर नये लोगो की नियुक्ति की है। जैसा कि विदित है जब उपर अधिकारी बदल जाता है तो समझौते खत्म हो जाते है इसलिये काम में तत्काल सुधार आने लगा।दूसरी सबसे बडी समस्या अब काम करने वालों की थी । एमटीएनएल में तैतीस हजार कर्मचारी है और उनमें से ज्यादातर पचास साल के कर्मचारी है जो लेबर काम नही कर सकते ।इसलिये स्वैच्छिक सेवानिवृत्त योजना लागू ही गयी । अब समन्वय बन रहा है, काम भी हो रहा हैं।

प्र0: और भी कुछ दिक्कतें होगी जिसपर आप ने काम किया होगा।
उ0: एमटीएनएल में कर्मचारियों पर भी कोई ध्यान नही दिया गया, जिसके कारण अब जब काम करने की बात हो रही है तो पता चल रहा है। कि कर्मचारियों को काम का ज्ञान ही नही है, उन्हें काम सीखना चाहिये था लेकिन उन्होनें इसका प्रयास नही किया और एमटीएनएल दिन प्रति दिन अपने निचले स्तर की बढता गया, जबकि 2010 तक एमटीएनएल लाभ की स्थित में था। अब एैसे लोगों की पहचान की जा रही है और उन्हें ट्रेनिग देकर सही मार्ग पर लाने का अभ्यास किया जा रहा हैं। संस्थान का मानना है कि किसी को हटाने से यह व्यवस्था नही सुघरने वाली , एक लम्बी कतार है तो उन्हें ही ठीक करना होगा और इन्ही कर्मचारियों से एमटीएनएल को आगे लेकर जाना होगा ।

प्र0: एमटीएनएल तो सफेद हाथी है और इसके खर्च भी उठाने सरकार को भारी पड रहे है।
उ0: जब मैं आया तो उस समय संस्थान के खर्च के वहन को लेकर काफी दिक्कत है। एक हजार करोड रूपये जहां रखरखाव पर खर्च हो जा रहे है वहीं कर्मचारियेां की पगार 25 हजार करोड है इसके अलावा थ्री जी के नाम पर 110 अरब का कर्ज भी ले रखा था। 15 हजार करोड संस्थान ब्याज दे रहा था। । जबकि कुल आय एमटीएनएल की लगभग 35 हजार करोड है तो यह बडी दिक्कत थी। जिसपर हम फोकस कर रहें है। इससमय स्थित कुल मिलाकर ठीक है और हम अपने लक्ष्य के पचास प्रतिशत हिस्से को प्राप्त कर चुके है और आने वाले कुछ महीनों में एमटीएनएन अपने मुकाम को प्राप्त कर लेगा।

प्र0: ऐसे में  इस खर्च को कम कर संस्थान हानि से लाभ की स्थित में आये आपने क्या योजना बनायी ।
उ0: इसके लिये संस्थान ने तय किया है कि वह अब केबल नही लगायेगी क्योंकि उसकी चोरी होती है और लोग पीतल को निकालकर बेंच लेते है। इसकी जगह फाइबर केबिल का प्रयोग किया जायेगा। जैसा कि केबल आपरेटर कर रहे थे। फाइबर लगाने से फायदा यह हुआ कि चोरी नही हुई और सिग्नल की दिक्कत भी नही आयी। हमने 100 जगहों पर नोड लगाये जिसका रिस्पांस ठीक आ रहा है। 100 और नोड लगाये जाने का प्लान है , जिसे इसी बजट सत्र में लगा लिया जायेगा। कुछ जगहो ंपर हमने प्राइवेट कम्पनियों के लिये अपने इम्फास्ट्रक्चर को प्रयोग करने की सशर्त छूट दी है जिसके कारण अब कुछ जगहों पर एलएण्ड टी के साथ मिलकर हम काम कर रहें है , एमटीएनएल फाइबर लगा रहा है और वह कैमरा लगा रहें है। इसी तरह रेलटेल के साथ काम हो रहा है। लोगों को अच्छी सुविधा मिली और एमटीएनएल का कारोबार ठीक हो रहा है।

प्र0: रेवन्यू कम आये और बचत हो इसके लिये कुछ और संस्थान कर रहा है।
उ0: संस्थान इसके अलावा रेवन्यू  कम आये और बचत हो इसके लिये कई और प्रयास भी किये जा रहे है। संस्थान ने अब बडी केबलों से दी जाने वाली कनेक्शनों की संख्या कम करके छोटे छेाटे प्वाइंट बनाने पर विचार किया है। जिससे 250 कनेक्शन का काम होगा और उपभोक्ताओं को आसानी से लाभ मिल सकेगा। यह प्वाइंट कही भी किसी के मकान में  आसानी से लगाया जा सकता है और थोडी बिजली की खपत पर आसानी से लोगों को लाभ मिल सकेेगा। बेहतर नेटवर्क सुविधा के लिये एक आनलाइन इंटरनेट प्रोटोकाल रोस्टर बनाया है जो हर अधिकारी के पास रहेगा और वह नेटवर्क की दिक्कतों को आनलाइन शिकायत मिलने पर आनलाइन कहीं से ठीक कर सकेगें। एमटीएनएल थ्रीजी पहले ही ओवरलोड है लोग वाईफाई कम,डाटा यूज कर रहें है, पहले हम आवाज पर फोकस कर रहे थे अब डाटा पर कर रहें है जिसके कारण उपभेाक्ताओं की संख्या में सुधार आया है और अब तक 35प्रतिशत लोगों को हम यह सुविधा दे चुके है जो वाई फाई प्रयोग करते है। निकट समय मंे हमारा अनुमान है कि हम सत्तर प्रतिशत लोगों केा यह सुविधा दे पायेेगें।एमटीएनएल चाहता है कि  अब वाई फाई यूज करें और डाटा खत्म करें। जिससे सुविधाओं में सुधार आये और रेवन्यू भी बढ सके।

प्र0:कालड्राप एक बहुत बडी दिक्कत है और एमटीएनएल में यह दिक्कत है ।
उ0: एमटीएनएल व बीएसएनएन के बीच कुछ सहयोगात्मक प्रणाली पर काम हो रहा है इसलिये कालड्राप की दिक्कत हमारे यहां नही है । यह उन जगहों पर है जहां स्पेक्ट्रम रिफार्म हुए है। हमारे यहां एैसा कुछ नही है। हमने जहां पर हमारे इफास्ट्रकचर नही है वहा पर बीएसएनएल से समझौता कर रखा है और ग्रामीण क्षेत्र जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आते है वहां काम करते है । जिसके कारण कालड्राप नही होN.K.YADAVता।

प्र0: फोरजी लांच होगा , अभी कितना समय है।
उ0: फोरजी हम कुछ ही समय में लांच करेगें अभी उसके इन्वेस्ट व अंडरटेकिंग पर काम हो रहा है । सरकार ने कुछ दिनों पहले फोरजी के लिये टेªडिग व शेयरिंग के लिये गाइड लाइन को लेकर अपूर्वल दिया है , जिस पर भी काम चल रहा है।

प्र0: इस बीच आपने कोई नयी योजना लागू की है , उसके बारे में भी बतायें।
उ0: एक नयी योजना सांसदों के लिये लांच की गयी है , उनके निवास पर , आधुनिक फाइबर टु दि होम प्रौधिगिकी का उपयोेग करते हुए , हाई स्पीड ब्राडबैंड कनेक्शन प्रदान किये गये है। इससे तीव्र इंटरनेट एक्सेस के लिये 10 एमबीपीएस गति का वह आनंद ले सकेगें। इसके अलावा वायरलेस इंटरनेट सुविधा भी उनके व उनके अतिथियों तक पहुंचाने के  लिये वाई फाई हाट स्पाट प्रदान करने के लिये प्रयासरत है।

प्र0: नये साल को लेकर आपकी क्या योजना है।
उ0: आने वाले दिनों मे फोरजी उपभोक्ताओं को देगें और इसी प्वाइंट को वाई फाई से आपरेट करने की योजना है जिससे लाभ की संख्या में विस्तार हो सकेगा।

प्र0: उपभोक्ताओं को कुछ संदेश देना चाहेगें।
उ0: सभी को नये साल की हार्दिक शुभकामनायें, एमटीएनएल को निजी टेलीकाम सेवा प्रदाताओं से कडी स्पर्धा करनी पड रही है, इसलिये हमारा विश्वास उपभोक्ताओं की संतुष्टि तथा सेवायें प्रदान करने में पारदर्शिता बनाये रखने में है। एमटीएनएल संकटमय परिस्थित का सामना कर चुका है और अब आपके सहयोग से पुनरूत्थान के पथ पर चल पडा है । हमारी पूरी टीम राजस्व बृद्धि की ओर अग्रसर हो रही है जिसमें आप सभी का सहयोग चाहिये। इसके अलावा अपने हैडसेट को दूर से प्रयोग करे अपनी शरीर के पास न रखे और न यूज करें यह गंभीर रोग का कारण हो सकती है

 

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  1. एकाधिकार के युग में काम की हुई कम्पनी के लिए आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में काम करना निश्चित रूप से कठिन है। सरकारी कम्पनी है और विगत के एकाधिकार युग में बहुत पैसे कमा रखे है इस कारण अगर सही नेतृत्व आए और काम करने वाले लोगो का माइंड सेट परिवरतन करे तो काम बन सकता है। ट्रेड यूनियन और श्रम कानूनों ने कम्पनियो का दम निकाल कर रख दिया है। ऐसे में यादव जी ने इनोवेटीभ ढंग से काम किया है जो काबिले तारीफ़ है।

  2. मैं दुबई में रहता हूँ. यहाँ की टेलीफोन प्रणाली का कायल हूँ. दिल्ली में मज़बूर होकर मेरे परिवार को MTNL का फोन छोड़ना पड़ा. मैंने मोदी सरकार को भी इस बारे में सुझाव लिखे परंतु कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला. प्रवक्ता के माध्यम से एक बार फिर सुझाव देना चाहता हूँ. सारे गल्फ देशों में लगभग यही व्यवस्था है. हम महीने के 260 दिरहम देते हैं और हमें पूरे महीने पूरे UAE में निशुल्क काल कर सकते हैं. इसके अलावा असीमित Broad Band Internet इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर हम इंटरनेट न लेना चाहें तो 100 दिरहम प्रत्येक माह देकर असीमत कॉल पूरे देश में कर सकते हैं.
    यही व्यवस्था दिल्ली और मुंबई में भी लागू होनी चाहिए. 1000-1500 रूपए में असीमित स्थानीय कॉल और असीमित इंटरनेट प्रयोग करने की योजना लागू होने से ग्राहकों में आकर्षण बढेगा. मासिक शुल्क लागत और लाभ के आधार पर घटाया और बढ़ाया जा सकता है.
    अधिकारियों की स्थायी नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए. तदर्थ नियुक्तियां हों और जो अधिकारी लाभ बढाने में सक्षम हों केवल उन्ही का कार्यकाल बढ़ाया जाये.

  3. क्या यह BSNL में नहीं हो सकता ? यहाँ के कर्मचारी प्राइवेट कंपनियों जैसे एयरटेल के लिए काम करते हैं शायद – ग्राहक त्रस्त है इन कंपनियों की मन मर्जी से – मैं एक भुक्त भोगी हूँ – अनेक उदाहरण दे सकता हूँ – लेकिन किस से कहें – सुन ने वाले भी इन के ही गीत गाते हैं – क्या किसी आम आदमी की बात TRAI जैसी संस्था सुनती है – नहीं -फिर कहाँ जाये आम आदमी

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