जम्मू के रामबन की घटना का पूरा सच

लेखक: रंजन चैहान
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र, दिल्ली
की रिर्पोट पर आधारित

हाल ही में जम्मू के रामबन जिले में हुई घटना ने राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का काम किया है। इसे आधार बनाकर कश्मीर घाटी में अलगाववादियों ने फिर से अपना खेल शुरू कर दिया है। खास तौर पर अमरनाथ यात्रा के समय इस प्रकार तनाव का माहौल बनाना और अमरनाथ यात्रियों पर पथराव करना इस बात का इशारा करता है कि साजिश कहीं ज्यादा गहरी है।
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र का मानना है कि जब राज्य में सबसे अधिक पर्यटक आते हैं तथा राज्य के लोगों की आय का सर्वाधिक हिस्सा इस समय में प्राप्त होता है, तब तनाव भड़काने की यह कोशिश पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था, कानून-व्यवस्था और जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने का प्रयास है जिसकी तीव्र निन्दा की जानी चाहिये।
जहां तक जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में घटी घटना का प्रश्न है, अध्ययन केंद्र से जुड़े सूत्रों ने तथ्यों की अपने स्तर पर छान-बीन की। इस टीम के द्वारा स्थानीय लोगों से बात-चीत के आधार पर एकत्रित किये गए तथ्य निम्नलिखित हैं:-

रामबन की घटना और उसका पूरा सच ?
–    प्रथम दृष्टया यह मस्जिद पर कब्जे को लेकर दो गुटों का विवाद है। मस्जिद को लेकर शान एवं वानी परिवारों में पुराना संघर्ष चल रहा है। इस वक्त मस्जिद पर शान गुट का कब्जा है। अब इस पूरे प्रकरण को ढाल बना कर वानी गुट मस्जिद पर कब्जा करना चाहता है।
– देशविरोधी तत्वों के भड़काने पर भीड़ ने ठैथ् ‘हथियार घर’ पर हमला किया। भीड़ में से किसी ने फायरिंग कर दी जिसमें एक जवान हरिराम गंभीर रूप से घायल हो गया।
– भीड़ की तरफ से की गयी फायरिंग में घायल सिपाही को चिकित्सकीय सहायता न प्राप्त हो इसके लिए भीड़ ने सारे रास्ते भी बंद कर दिए थे। एयरलिफ्ट के जरिए सिपाही को अस्पताल ले जाया गया।

मामले से बीएसएफ कैसे जुड़ी ?
–    17 जुलाई की रात जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के गुल इलाके में ठैथ् पेट्रोल पार्टी ने रात में एक शख्स (लतीफ) को रहस्यमयी हालत में घूमते हुए देखा। जवानों ने उसे अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा तो उसने पेट्रोल पार्टी के साथ सहयोग नहीं किया और वो बीएसएफ जवानों से भिड़ गया।
–     तभी वहाँ 15 – 20 लोग वहां इकट्ठे हो गए और पेट्रोल पार्टी वहां से वापस कैंप में लौट आई।
–     इसके बाद वानी गुट ने कुरान के साथ छेड़छाड़ की झूठी अफवाह उड़ा कर लोगों को ठैथ् कैंप पर हमला करने के लिए उकसाया।
– भीड़ ने इकठ्ठे होकर कैंप पर धावा बोल दिया। ठैथ् ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया।
– दो बार इस भीड़ को हलके लाठीचार्ज से तितर-बितर किया। तीसरी बार भीड़ फिर से कैंप की तरफ बढ़ने लगी। शान गुट का मंजूर अहमद शान वहां पहुंच कर लोगो को शांत करने की कोशिश करने लगा। तभी सब इंस्पेक्टर मोहम्मद अफजल वानी ने भीड़ पर फायर कर दिया। जिसमें मंजूर अहमद शान की मौत हो गयी। इस मामले में मोहम्मद अफजल के खिलाफ केस भी रजिस्टर्ड किया जा चुका है। बताया जा रहा है सब इंस्पेक्टर वानी गुट का नजदीकी है।
– मंजूर अहमद शान के रिश्तेदार इम्तियाज हुसैन शान ने मोहम्मद अफजल के द्वारा किये गए फायर की पुष्टि की है।

किसने और क्यों रची बीएसएफ को बदनाम करने की साजिश ?
–     जम्मू कश्मीर के गुल क्षेत्र में उधमपुर से बनिहाल तक जाने वाले रेलवे ट्रैक का काम चल रहा है। इस ट्रैक की सुरक्षा के लिए इलाके में बीएसएफ का कैंप बनाया गया था। इलाके के अलगाववादी चाहते हैं रेलमार्ग पर चल रहा कार्य रुक जाए, ताकि राज्य के अमनपसंद लोग विकास की मुख्यधारा से दूर रहे हैं।
– रामबन, गुल एवं धरम में शान्ति रहती है. यहाँ पर उग्रवाद का प्रभाव बिलकुल नहीं है। किन्तु कुरान के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा बनाकर इलाके की अमनपसंद जनता को भड़काना यह अलगावादियों एवं आई. एस. आई. की चिर परिचित शैली है। इस शैली का जम्मू में प्रयोग खतरे की घंटी है।
– कुरान के साथ छेड़छाड़ की अफवाह उड़ते ही दो से तीन घंटे में कश्मीर घाटी के बहुत से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन होने लगे। बिना पूर्व सूचना और पूर्व तैयारी के यह संभव नहीं है। इस से संदेह होता है कि यह पूरा मामला सुनियोजित था।
– अभी अमरनाथ यात्रा जारी है ऐसे में ऐसी घटना होने से धार्मिक उन्माद पैदा हो सकता है जिस से राज्य एवं देश के हालत बिगड़ सकते है। इस लिहाज से रामबन को एक योजना के तहत निशाना बनाया गया क्योंकि यात्रा यहां से होकर निकलती है।
–     घटना के बाद ठैथ् पोस्ट वहां से हटा ली गयी है… जिससे रेलवे ट्रैक की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है।
– जम्मू कश्मीर के गुल क्षेत्र में उधमपुर से बनिहाल तक जाने वाले रेलवे ट्रैक का काम चल रहा है । इस ट्रैक की सुरक्षा के लिए इलाके में बीएसएफ का कैंप बनाया गया था।
– धरम में रेलवे सुरक्षा के लिए स्थापित बीएसएफ की पिकेट से बीएसएफ को हटा कर सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस को सौंप दी है।

जम्मू-काश्मीर अध्ययन केन्द्र की मान्यता है कि जम्मू क्षेत्र में इस प्रकार की घटनाओं अंजाम देकर अलगाववाद को जम्मू में प्रवेश कराने की कोशिश उच्चस्तरीय एवं गंभीर जांच की मांग करती है। इसे पाकिस्तान प्रेरित आतंकवादियों के उन बयानों की रोशनी में भी देखा जाना चाहिये जिसमें उन्होंने जम्मू को अगला निशाना बनाने की बात कही थी।ramban

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