गणतंत्र दिवस
दिखलाने, बतलाने
सुनने-सुनाने
हालात, समस्यायें
उपलब्धियां गिनाने।
देखो… सुनो… पढ़ो… जांचो…
मगर
कुछ कहना मत।
सच!
क्योंकि सच कह दिया तो
गणतंत्र दिवस का अपमान हो जाएगा।
पड़ जाएगी मंद
मधुर ध्वनियां ढोलों की।
खुल जाएंगी गुत्थियां
नेताओं की पोलों की।
अपने ढोलों की पोल खोलना
किसने चाहा
कौन चाहेगा
अपनी खामियां
हर भ्रष्ट यहां छिपायेगा।
इसी छुपा-छुपी में इक दिन
सचमुच गणतंत्र छुप जाएगा।
इसलिए…
सुनो, पढ़ो और देखो
कुछ मत बोलो
हो सके तो एक बार फ़िर
गणतंत्र दिवस की जय बोलो l
आलोक कुमार