ये जीवन का कौन सा मोड़ है

-राघवेंद्र कुमार-

life2

जहां मार्ग में ही ठहराव है।

दिखते कुछ हैं करते कुछ हैं,

यहाँ तो हर दिल में ही दुराव है।

किस पर ऐतबार करें किसे अपना कहें,

हर अपने पराए हृदय में जहरीला भाव है।

अपना ही अपने से ईर्ष्या रखता है,

हर जगह अहम् का टकराव है ।

अरे “राघव” तू यहाँ क्यों आया,

यहाँ दिखते रंगीन सपने महज़ भटकाव हैं ।

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here