
—विनय कुमार विनायक
चलते हैं हम मास्क लगाकर
जैसे रुस का ऋक्ष और भारत के
टोटमवादी वानर जामवंत, हनुमान
कभी बन जाते थे ब्राह्मण और
कभी पूंछधारी लंगूर सा बन्दर!
शायद उन्हें भी होगा कोविड-19 सा
मानव प्रजाति के विनाश का कोई डर!
मानव जो भयभीत रहते
अपने अस्तित्व बचाने को लेकर
तकनीकी यद्यपि थी काफी विकसित,
हनुमान उड़ सकते थे सिंगल सीटर
वायुयान की तरह आसमान और समुद्र पर!
राम सूखा सकते थे एक बाण से समंदर!
फिर भी सीता को खोज रहे थे
वन-वन विचरण करके नर-वानर मिलकर!
संकल्प से जल उठती थी अग्नि,
लक्ष्मण रेखा को लांघने पर
मंत्र पूत अग्नि पहचान लेती थी
किसे जलाना और किसे जिलाना है!
मंत्र से चल सकता था ब्रह्मास्त्र,
आज सा रिमोट का इंटर कांटीनेंटल मिसाइल,
ब्रह्मोस,राफाल,युद्धक विमान, आग्नेयास्त्र!
फिर भी अधिनायकवादी रावण से
सहमी थी विश्व भर की तमाम प्रजातियां;
देव,मानव, वनवासी समस्त चराचर!
रावण था चीन के जैसा छली-छद्मवेशी
विश्व विनाशक मानसिकता वाला,
विश्व की महाशक्तियों को डराने वाला,
विषाणु-जीवाणु का हथियार बनाने वाला,
अतिमहत्वाकांक्षी, रावण ने हरण किया था
भारत की भूमिजा का किन्तु भारत के
महाबली महानायक से डरकर,भारत भू
अस्मिता का स्पर्श तक नहीं किया था!
रावण हारा था भारत के शौर्य से,
चीन भी हारेगा अपने जैविक हथियार सहित
भारत की वीर विजयिनी सेना से!
कोविड-19 जल्द मरेगा मास्कधारी डॉक्टर,
वैज्ञानिक और भारत जन की जिजीविषा से!
—विनय कुमार विनायक