तीसरा चरणः-19 फरवरी, 12 जिलों की 69 सीटों पर मुकाबला

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मुलायम के गढ़ में भी इसी चरण में होगी वोंिटंग

संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में रविवार 19 फरवरी को मतदान होगा। तीसरे चरण में जिन 12 जिलों की 69 सीटों पर मतदान होना है। उनमें फर्रूखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी,इटावा, ओरैया, कानपुर देहात,कानपुर नगर, उन्नाव,लखनऊ,बाराबंकी और सीतापुर शामिल हैं। सबसे खास बात है कि जिन 12 जिलों में 19 फरवरी को मतदान होगा,वहां के 10 जिलों में 2012 के चुनाव में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था,लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी की एक मात्र सीट जिस पर सपा प्रमुख मुुलायम सिंह चुनाव लड़े थे को छोड़कर सभी लोकसभा सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। इस चरण में कुल 1,018 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें 77 महिला उम्मीदवार शामिल हैं।ं ऐसे 22 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां महिला उम्मीदवारों की संख्या एक से अधिक है। इस चरण में 18,374 मतदान केंद्रों पर करीब 1.75 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के योग्य हैं।
तीसरे चरण में कुल 250 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 110 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच तथा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने तीसरे चरण के चुनाव में खड़े 105 राजनीतिक दलों के 826 उम्मीदवारों में से 813 के हलफनामों का विश्लेषण किया। इन 105 दलों में 6 मान्यता प्राप्त दल, 7 क्षेत्रीय दल और 92 गैर मान्यता प्राप्त दल हैं। चुनाव में 225 निर्दलीय प्रत्याशी भी खड़े हैं. दिल्ली स्थित एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 813 प्रत्याशियों में से 250 प्रत्याशी (31 फीसदी) करोड़पति हैं। बसपा के 67 प्रत्याशियों में से 56 प्रत्याशी, भाजपा के 68 प्रत्याशियों में से 61 प्रत्याशी, सपा के 59 प्रत्याशियों में से 51 प्रत्याशी, कांग्रेस के 14 में से सात प्रत्याशी, रालोद के 40 में से 13 प्रत्याशी और 225 निर्दलीयों में से 24 प्रत्याशियों ने एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 1.61 करोड़ रुपये की है. एडीआर के अनुसार, तीसरे चरण के चुनाव में खड़े तीन सर्वाधिक संपन्न प्रत्याशियों में सपा के अनूप कुमार गुप्ता (42 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति), कांग्रेस के अजय कपूर (31 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति) और सपा की सीमा सचान (29 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति) शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि कुल 208 प्रत्याशियों ने अपने पैन का ब्यौरा नहीं दिया है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिन 813 प्रत्याशियों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया है,
उनमें से 110(14 फीसदी) ने बताया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इसमें कहा गया है कि 82 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण,
महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामले वाले इन 110 प्रत्याशियों में से 21 भाजपा के, 21 बसपा के, पांच रालोद के,13 सपा के, पांच कांग्रेस के और 13 निर्दलीय हैं।
बहरहाल,इस चरण में बड़े-बड़े दिग्गज हैं तो दिग्गजों के दावे भी। लखनऊ से लेकर सपा के गढ़ मैनपुरी, कन्नौज व इटावा भी इसी विधानसभा चुनाव का हिस्सा हैै। अवध और मध्य यूपी के सियासी घमासान में सूबे की सत्ता का गढ़ भले लखनऊ हो मगर सपा के प्रभाव वाले कन्नौज, मैनपुरी, इटावा भी इस चरण का हिस्सा है। साफ दिखता है। 2012 के चुनाव नतीजों के अनुसार 55 सीटों कांे लेकर सपा यहां सबसे आगे है। बसपा के पास यहां की 6 सीटे हंै तो भाजपा-5,कांगे्रस 2 और अन्य के पास एक सीट है।
यहां के मुद्देः बात राजधानी लखनऊ की होे तो पिछले 10 साल लखनऊ के लिए कई मायनों में अहम रहे। पिछली बसपा सरकार ने अंबेडकर स्मारक के करीब मरीन ड्राइव को चमकाया तो अखिलेश सरकार ने भी इस क्षेत्र को और बेहतर बना दिया। गोमती रिवरफ्रंट, जनेश्वर मिश्र पार्क के चर्च आज भी प्रदेश में हैं। ट्रेन चलने की कवायदे शुरू हो चुकी हैं। यहां की चमक- दमक अब सूबे के बाहर से आने वालों की भाती है। यह और बात है कि पूरे प्रदेश के साथ बिगड़ी कानून व्यस्था से राजधानी वासी भी बच नहीं सके। हत्या,अपहरण,बलात्कार लूटपाट की घटनाओं की खबरों से यहां के अखबार नित्य पटे रहते हैं। लखनऊ की 9 सीटों में से 7 सपा के पाले मेें है। बाकी 1-1 कांगे्रस और भाजपा की है।
कन्नौज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कर्मस्थली है। यहां चुनाव से चार दिन पहले पीएम मोदी ने भी जनसभा करके जता दिया है कि उनके लिये यह क्षेत्र कितना महत्व रखता है। बतौर सांसद सीएम अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव ने यहां के की खूशबू दुनिया भर फैलाने पर काम किया और यहां पर परफ्यूम पार्क खोलने की कवायद शुरू हो गई है। लेकिन सड़क, बिजली, पानी, जैसी बुनियादी समस्याओं के साथ अन्य समस्याएं भी कम नहीं। उन्नाव में चमड़ा उद्योग से फैला प्रदूषण आज तक चुनावी मुद्दा नही बना। कन्नौज में आलू किसानों की दिक्कतें एक बड़ा मुद्दा है। वहीं औरैया इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, से गुजरने वाले ‘आगरा- लखनऊ एक्सप्रसे वे‘ का लिटमस टेस्ट भी तीसरे चरण में ही होना हैं।
सियासी रूप से तीसरा चरण कुछ क्षत्रपों के लिए भी खास होगा। हरदोई में समाजवादी नेता और सांसद नरेश अग्रवाल का सिक्का चलता है। उनका बेटा चुनाव मैदान में है। फर्रूखाबाद कांगे्रस के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का क्षेत्र है। बाराबंकी से कांगे्रस नेता और पूर्व नौकरशाह तथा दलितों की रहनुमाई करने वाले पीएल पुनिया की प्रतिष्ठा भी दंाव पर लगी है। वही बाराबंकी में सपा नेता बेनी प्रसाद वर्मा को अपनी साख बचानी होगी। बेनी और मंत्री अरविंद सिंह गोप के बीच की जंग का इम्तेहान भी इस चुनाव में होगा। भाजपा नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिेह, कलराज मिश्र,मुरली मनोहर जोशी, की भी परीक्षा इसी चरण में होगी। मुलायम सिंह को समाजवादी पार्टी से दरकिनार किये जाने से उनके गृह जनपद और आसपास के जिलें के मतदाताओं के रूख की प्रतिक्रिया भी इसी चरण में वोटिंग के रूप में सामने आयेगी।
प्रमुख प्रत्याशीः अपर्णा यादव लखनऊ कैंट-सपा। रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट-भाजपा। शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर-सपा।अरविंद सिंह गोप-सपा।बृजेश पाठक-लखनऊमध्य-भाजपा,नितिन अग्रवाल-हरदोई-सपा।नकुल दुबे-बीकेटी-बसपा।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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