ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

11 करोड़ी है कसाब!

26/11 के हमले का इकलौता जीवित आतंकवादी अजमल कसाब की सुरक्षा पर कितना खर्च हुआ है एक साल में क्या आप इस बात से वाकिफ हैं? अगर नहीं तो हम बताते हैं आपको कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में बंद देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले की सजा काट रहे कसाब की सुरक्षा में लगी इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने दस करोड़ 87 लाख रूपए का बिल महाराष्ट्र सरकार को भेजकर उसकी नींद उड़ा दी है। राज्य के गृह मंत्री आर.आर.पाटिल के अनुसार सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को ताकीद किया है कि कसाब की सुरक्षा मंे लगी आईटीबीपी को हटाकर महाराष्ट्र की पुलिस को सुरक्षा की जवाबदेही सौंपी जाए। सूत्रों की मानें तो आईटीबीपी के महानिदेशक आर.के.भाटिया के हस्ते सरकार को 28 मार्च 2009 से 30 सितंबर 2010 तक की समयावधि के लिए यह देकय भेजा गया है, जिसमें आर्थर रोड़ जेल में चोबीसों घंटे 200 कमांडो की तैनाती दर्शाई गई है। एक सजा पा चुके और साबित हो चुके दुर्दांत आतंकवादी के लिए भारत सरकार द्वारा करोड़ों रूपए पानी मं बहाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की टेक्स चुकाने वाली जनता मंहगाई के बोझ तले दबी मर रही है, लोग कहने पर मजबूर हैं कि यह तो नेहरू गांधी के सपनों का भारत कतई नहीं है।

कुटिल राजनैतिक परिपक्वता आ रही है युवराज में!

कल तक अपने रणनीतिकारों और सलाहकारों की बैसाखी पर चलने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी में अब आधुनिक और कुटिल राजनैतिक परिपक्वता आती जा रही है। पिछले दिनों भट्टा परसौला गांव जाकर उन्होंने अन्य सियासी दलों को हलाकान कर दिया। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायधीश वी.आर.कृष्णा के पत्र के जवाब में उन्होंने वर्तमान में चल रही सियासी समझ बूझ का बेहतरीन नमूना पेश किया। राहुल लिखते हैं कि भ्रष्टाचार से वे भी आहत हैं और बिना किसी शोर शराबे के इससे निपटने का उपक्रम कर रहे हैं, क्योंकि हीरो बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। जस्टिस कृष्णा ने राहुल का साफ कहा था कि अगर वे वाकई संवेदनशील हैं तो सत्ता में बैठे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ उन्हें हल्ला बोलना चाहिए। अब राहुल बाबा क्या जवाब देते! दरअसल आजादी के बाद छः दशकों से अधिक समय बीत चुका है और गैर कांग्रेसी सरकार एक दशक भी नहीं रही, इसका मतलब क्या यह निकाला जाए कि नेहरू गांधी परिवार की नाव के वर्तमान खिवैया ही भ्रष्टाचार के पोषक हैं?

ठाकरे बंधुओं की नजर कलमाड़ी पर!

सियासी करवटों को बेहतर आंकने वाले शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे की नजरें इन दिनों कामन वेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाड़ी की हरकतों पर टिकी हुई हैं। महाराष्ट्र की सियासत में सुरेश कलमाड़ी और शरद पवार के बीच की अनबन किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस आरंभ से ही पवार की काट के तौर पर कलमाड़ी का कार्ड खेलती आई है। अब कांग्रेस ने कलमाड़ी को निष्कासित कर दिया है, सो ठाकरे एण्ड संस उन पर डोरे डालना चाह रहे हैं। नजर तो राज ठाकरे की भी है इन पर किन्तु राज कलमाड़ी की मटमैली छवि से अपना दामन गंदा करने उतारू नहीं दिख रहे हैं। बाला साहेब चाहते हैं कि कलमाड़ी की पतवार के जरिए वे पुणे संसदीय सीट की वेतरणी पार कर लें, किन्तु कामन वेल्थ गेम्स में उनकी थू थू से अब कलमाड़ी की साख पुणे में भी धूल धुसारित हुई है। अगर ठाकरे एण्ड संस ने कदम आगे बढ़ाए तो हो सकता है कांग्रेस द्वारा कलमाड़ी के अन्य चिट्ठों को भी आम कर दिया जाए।

उमर दराज मांटेक की बढ़ी परेशानी

देश के योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया पिछले कुछ दिनों से मन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रबंध निदेशक बनने के ख्वाब मन में संजोए बैठे होंगे। अब मोंटेक की तंद्रा टूटने ही वाली समझिए। दरअसल विश्व की चुनिंदा प्रमुख संस्थाओं में उमर दराज लोगों को जिम्मेदारी से बचा जाता है, यह तो भारत गणराज्य के नीति निर्धारक हैं जो कब्र में पांव लटकने के बाद भी उनके उमर दराज कांधों पर देश का बोझ डाला करते हैं। आईएफएम में चल रही बयार के अनुसार आईएमएफ के नियमों के अनुसार 65 पार के शख्स को मुद्रा कोष का अध्यक्ष बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। मोंटेक का दुर्भाग्य है कि वे 67 साल के हैं, और आईएमएफ भारत गणराज्य की संस्था नहीं है जिसके नियम कायदे अपनी मन मर्जी के हिसाब से बनाया जा सके। नियम कहते हैं कि इसके मुखिया का कार्यकाल पांच सालों का होता है और कोई भी व्यक्ति सत्तर साल की आयु तक ही इस पद पर रह सकता है, इस लिहाज से मोंटेक दौड़ से आऊट हो गए हैं।

संवेदनहीन है केंद्र सरकार!

कांग्रेस नीत केंद्र सरकार पर देश के सवा करोड़ में से नब्बे फीसदी लोग तो संवेदनहीन होने का आरोप लगाते होंगे, पर पहली मर्तबा एक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार पर संवेदनहीन होने का तमगा जड़ा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाईड के रसायनिक कचरे के विनिष्टीकरण के मामले में केंद्र के लटकाउ रवैए पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि लोगों की पीड़ा पर केंद्र सरकार संवेदनहीन है। 26 साल से केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में बैठक और वैज्ञानिक प्रतिवेदन बुलाने के अलावा कुछ नहीं किया जाना निश्चित तौर पर निंदनीय कहा जाएगा। देश के हृदय प्रदेश की अदालत की फटकार के बाद भी मोटी चमड़ी वाले जनसेवक और प्रधानमंत्री कार्यालय सहित अन्य संबंधित मंत्रालयों की कान में जूं भी नहीं रेंगी है। अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश से जनादेश प्राप्त लोक सभा सदस्य और एमपी कोटे वाले मंत्री कमल नाथ, कांति लाल भूरिया, अरूण यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी रियाया के दुखदर्द को लोकसभा में किस संजीदगी से उठाते हैं?

करूणा के रिसते जख्मों पर कांग्रेस का मरहम बेअसर

तमिलनाडू की सियासत में आए भूचाल फिर सत्ता परिवर्तन के बाद एम.करूणानिधि की पुत्री कनिमोरी को जेल की हवा खानी पड़ रही है। करूणानिधि समझ गए हैं कि अब वे पावरलेस हैं अतः उनकी सुनवाई सोनिया दरबार में होने वाली नहीं। पिछले दिनों कांग्रेस के प्रबंधकों ने करूणानिधि के रिसते घावों पर यह कहकर मरहम लगाने का प्रयास किया कि आपकी बेटी कनीमोरी अंदर है तो हमारे सुकुमार सुरेश कलमाड़ी भी तो उसी का दंश झेल रहे हैं। लगता है करूणानिधि को कांग्रेस की इस सफाई से कोई सरोकार नहीं रहा। हाल ही में करूणा की दिल्ली यात्रा पर उन्होंने साफ कह दिया कि उनके पास समय भी था और मौका भी पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना मुनासिब नहीं समझा। इसका कारण साफ है कि उनकी बेटी कनिमोरी जेल में बंद है तो वे सोनिया से कैसे मिलते? इसके दो अर्थ लगाए जा रहे हैं अव्वल तो यह कि यह सब कुछ जयललिता के इशारे पर हुआ, दूसरे सीबीआई स्वतंत्र जांच एजेंसी न होकर अब सोनिया गांधी के घर की लौंडी बन गई है।

करोड़पति मंत्री पर दो लाख का जुर्माना

एक समय था जब देश आजाद हुआ और सांसद विधायकों ने देश की हालत देखकर वेतन तक लेने से इंकार कर दिया था, आज जमाना बदल गया है, जनसेवक विधायक, मंत्री सांसद अपना वेतन बढ़वाने संसद और विधानसभा में असभ्यों के मानिंद चीखते चिल्लाते नजर आते हैं। आज जनसेवकों की संपत्ति दिन दूनी रात चैगनी बढ़ चुकी है। बेहिसाब विदेशी और भारतीय मुद्रा रखने के आरोप में गोवा के शिक्षा मंत्री अतानसियो मोनसेरेट पर सीमा शुल्क कानून और फेमा नियमों के उल्लंघन के आरोप में दो लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया है। गौरतलब है कि मंत्री महोदय दो अप्रेल को जब दुबई जा रहे थे, तब उनके पास से 25 हजार अमेरिकी डालर मूल्य के ट्रेवलर चेक, 70 हजार दिरहम और सवा लाख रूपए नकद मिले थे। मंत्री महोदय के पास यह रकम कहां से आई इस बात से भारत सरकार को लेना देना नहीं बस, मंत्री महोदय दो लाख रूपए का जुर्माना और सीमा शुल्क कानून की धारा 125 के तहत पांच लाख रूपए का जुर्माना अदा कर अपनी राशि वापस पा सकते हैं। होना यह चाहिए कि मंत्री से इस राशि के स्त्रोत पूछे जाने चाहिए।

देश काल परिस्थिति के अनुसार जीना सीखो

जनसेवक और लोकसेवकों को देश काल और परिस्थििति के अनुसार जीना सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय मंे राज्य मंत्री रहे वर्तमान में महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण जब अपने सूबे महाराष्ट्र में होते हैं तो मराठी को पूरी तवज्जो देते हैं। इसका कारण शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा भाषा और क्षेत्रवाद का बीज बोना है। जब महाराष्ट्र मंे शिवसेना और मनसे द्वारा उत्तर भारतीयों की पिटाई की जा रही थी, तब ये कांग्रेस सरकार खामोशी अख्तियार किए हुए थी। जब महाराष्ट्र के नेता दिल्ली आते हैं तो मराठी को तजकर हिन्दी और अंग्रेजी को पूरी तवज्जो देने लगते हैं। हाल ही में पृथ्वीराज चव्हाण दिल्ली आए और पत्रकारों से मुखातिब हुए। एक पत्रकार मित्र ने जब मराठी में सवाल दागा तो पृथ्वीराज चव्हाण की भवें तन गईं, दो टूक शब्दों में तल्खी के साथ बोल पड़े -‘‘अभी मराठी नहीं, हिन्दी या अंगे्रजी में सवाल पूछा जाए।‘‘ समझ से परे है मराठी, हिन्दी और अंग्रेजी का क्षेत्र से नाता, वस्तुतः यह सब तो गोरे ब्रितानियों के राज में होता था।

खेलगांव के अतिरिक्त फ्लेट टूटेंगे!

कामन वेल्थ गेम्स हुए आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है, पर उसके सर से विवादों की छाया हटने का नाम ही नहीं ले रही है। कामन वेल्थ गेम्स में हुए आकंठ भ्रष्टाचार के कारण आयोजन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी जेल की हवा खा रहे हैं। अब खिलाडि़यों के लिए बनाए गए मकानों में निर्धारित संख्या से कहीं अधिक संख्या मंे बनाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। खेलगांव में निर्धारित संख्या से ज्यादा बन गए 17 फ्लेट को तोड़ने का मन बना लिया है दिल्ली विकास प्राधिकरण ने। उस वक्त यह माना जा रहा था कि इन 17 में से 6 फ्लेट डीडीए को तो 11 निर्माण करने वाली एम्मार एमजीएफ को दिए जाएंगे। इन मकानांे को अगर बेचा जाता तो उससे 50 करोड़ रूपयों से अधिक की आमदनी होती। दरअसल ये फ्लेट भूतल में हैं और डीडीए इसे पुश्ता बांध की जमीन मानता है। डीडीए ने फैसला ले लिया है इन 17 फ्लेट को नेस्तनाबूत करने का।

परिचालक की बिटिया को सलाम

राजस्थान चमत्कारों की धरा है। छोटे से गांव सोडा की महिला सरपंच बनने वली छवि राजावत ने लोगों की जुबान पर अपनी चर्चा दर्ज करवाई तो जोधपुर के ही एक अन्य गांव की नीतू सिंह ने प्रतिकूल परिस्थियों को हराकर सिविल सेवा की परीक्षा पास कर राजस्थान राज्य सेवा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। राजस्थान के एक परिचालक की पुत्री नीतू सिंह ने सारी व्याधियों को पार कर राजस्थान में राजस्व सेवा में स्थान पाया है। नीतू देश भर के लिए आदर्श मानी जा सकती है, क्योंकि वैसे भी पुत्र और पुत्री में देश में भेद किया जाता है, इस वर्जना को तोड़कर नीतू ने एक नई इबारत लिखी हैै। नीतू का कहना है कि उसके पिता जब उसकी हर इच्छा को पूरा करने के लिए कंडक्टरी कर दिन रात एक कर रहे थे तो उसका भी फर्ज बनता था कि वह अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए हर चंद कोशिश करे। आखिर नीतू ने अपने पिता की आंखों में खुशी के आंसू लाकर उनका चेहरा गर्व से उंचा कर ही दिया।

गर्भवती महिलाओं की तीमारदारी में अभिनव पहल

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नवी आजाद द्वारा गर्भवती महिलाओं और शिश मृत्युदर रोकने की दिशा में ठोस पहल करने की तैयारी की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को निशुल्क दवाएं और पोषक आहार मुहैया करवाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि इस योजना को जून माह से ही अमली जामा पहनाया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा सूबाई सरकरों से कहा गया है कि वे भी अपने अस्पतालों में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं और बीमार नवजात के लिए निशुल्क और कैशलैस अर्थात नकद विहीन सेवाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करे। कहा जा रहा है कि इसके तहत निशुल्क दवाएं, निशुल्क आहार और घर तक पहुंचाने की निशुल्क सुविधा शमिल होगी। केंद्र सरकार की योजना तो अभिनव कही जा सकती है, किन्तु इस तरह की योजना परवान चढ़ते चढ़ते गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की बल्ले बल्ले होने लगती है, और वास्तविक जरूतरमंद अंत में जरूरतमंद ही बनकर रह जाता है।

पुच्छल तारा

ओसामा बिन लादेन क्या मारा गया उस पर लतीफों की बारिश सी होने लगी है। पाकिस्तान में हाई सिक्यूरिटी जोन में रह रहे लादेन को दुनिया के चैधरी अमरीका की फौज ने मार गिराया। लादेन की मृत तस्वीरंे आदि अब तक जारी नहीं हुई हैं, इससे संशय ही है कि लादेन को अमरीका कहीं जिंदा तो पकड़कर नहीं ले गया! बहरहाल रूड़की से दिशा कुमारी ने एक ईमेल भेजा है। दिशा लिखती हैं कि पाकिस्तान में इन दिनों ओसामा और ओबामा दोनों ही बर्निंग टापिक हैं। पाकिस्तान के हाई सिक्यूरिटी जोन में एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था -‘‘कृपया हार्न न बजाएं, यहां पाकिस्तानी सेना आराम फरमा रही है।‘‘

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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