ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

मतलब 1100 करोड़ रूपए होंगे सरकार के नाम!

सरकार के राजस्व में जल्द ही ग्यारह सौ करोड़ रूपयों का इजाफा होने वाला है। जी हां, यह सच है। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव की संपत्ति 1100 करोड़ रू.आंकी गई है। लोकसभा के पटल पर रखी जानकारी में बाबा रामदेव किसी भी कंपनी के निदेशक मण्डल में शामिल नहीं हैं। उनके सहयोगी आचार्य बाल किसन 34 कंपनियों के डायरेक्टर हैं। कार्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री आर.एम.पी.सिंह ने कहा कि कंपनियों के कारोबार में पंख कैसे लग गए इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। एक तरफ बाल किसन की नागरिकता ही संदेह के घेरे में हैं। उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने का भी आरोप है। यक्ष प्रश्न यह है कि अगर बाल किसन भारत के नागरिक ही नहीं हैं तो उनके द्वारा भारत गणराज्य की सरजमीं पर अर्जित संपत्ति पर किसका मालिकाना हक होगा? जाहिर है भारत गणराज्य की सरकार का! फिर सरकार इसको अपने कब्जे में लेने के लिए इंतजार किस बात का कर रही है?

रहस्यमय बीमारी से ग्रसित राजमाता!

देश की रियाया इस बात की पतासाजी में लगी है कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को कौन सा राजरोग हो गया है? आखिर कांग्रेस पार्टी अपनी अध्यक्ष की बीमारी या उनकी शल्य क्रिया के मामले में मौन क्यों साधे हुए है? शल्य चिकित्सा के उपरांत एक माह आराम कर कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी वापस आ गईं हैं। इस मामले में मीडिया ही खबरें दे रहा है। कांग्रेसी चिमाए बैठे हैं। सोनिया दो अगस्त को अमेरिका अपनी चिकित्सा के लिए गईं थीं। सोनिया का आना इसलिए भी महत्सपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उनकी अनुपस्थिति में अण्णा हजारे प्रकरण से सरकार और कांग्रेस की भद्द पिटी फिर दिल्ली में ताजा बम विस्फोट हो गया। कांग्रेस के रणीनीतिकार तो सोनिया की चुप्पी पर उनकी बीमारी का बहाना बनाकर अपनी खाल बचा सकते हैं। अब देखना यह है कि खुद सोनिया अण्णा और बम विस्फोट प्रकरण को किस नजरिए से देखती हैं। साथ ही साथ क्या वे अपनी बीमारी को जनता में उजागर करेंगी या फिर लोगों को इसके लिए भी ‘विकीलीक्स‘ केबल का इंतजार होगा!

चिदम्बरम का गैर जिम्मेदाराना बयान!

आतंक की काली स्याह छाया देश पर पसरी हुई है। उंचे दर्जे की सुरक्षा में देश के जनसेवक खुद को महफूज ही पा रहे हैं। गरीबी रियाया अपना खून बहाने पर मजबूर है। दस साल पहले दुनिया के चौधरी अमेरिका पर हमला हुआ इसके बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा इतनी चाक चौबंद कर ली कि वहां के नागरिक दस साल से अपने आप को सुरक्षित पा रहे हैं। दूसरी ओर भारत गणराज्य की सरकार बापू के उस सिद्धांत पर अमल करती नजर आ रही है कि अगर कोई आपके एक गाल पर मारे तो दूसरा आगे कर दो। दिल्ली में हाल ही में हुए बम विस्फोट के बाद देश के गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम का बयान आया कि इस मामले में वे कुछ नहीं कर सकते हैं, यह राज्य सरकार का मामला है। चिदम्बरम जी आप देश के गृह मंत्री हैं, आपके मुंह से इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान शोभा नहीं देते। अगर यह राज्य सरकार का मसला है तो फिर मुंबई हमलों के बाद शिवराज पाटिल को क्यों चलता कर दिया गया था?

मोदी हो सकते हैं राजग के पीएम इन वेटिंग

गुजरात में विकास की नई इबारत लिखने वाले नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ दिनों दिन उपर आता जा रहा है। नरेंद्र मोदी की पायदान चढ़ते रहने का सबसे ज्यादा खतरा राजग के वर्तमान पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी और पीएम की कुर्सी पर नजर गड़ाने वाली सुषमा स्वराज को ही दिख रहा है। सियासी गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार सुषमा स्वराज जानतीं हैं कि ढलती उमर के चलते 2014 में आड़वाणी को शायद ही पार्टी द्वारा आगे किया जाए। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा अगर मीरा कुमार को आगे किया जाता है तो सुषमा को उनकी काट के रूप में आगे करना भाजपा की मजबूरी होगा। नरेंद्र मोदी के आगे आते ही नए सियासी समीकरण तैयार होने लगे हैं। मोदी की छवि का लाभ लेने संघ भी आतुर ही दिख रहा है। कहा जा रहा है कि जल्द ही मोदी को राजग का पीएम इन वेटिंग घोषित कर दिया जाएगा।

सवा तीन अरब के पंच!

देश की सबसे बड़ी पंचायत के पंच यानी संसद सदस्य हमेशा ही सांसद निधि को बढ़ाने की मांग करते हैं। जब यह बढ़ जाती है तो इन्हें यह सुहूर नहीं होता है कि इसको खर्च कैसे किया जाए। संसद में जब तब इस बात पर शोर शराबा होता है कि सांसदों का वेतन उनके भत्ते और सांसद निधि को बढ़ाया जाए। एक दूसरे के खिलाफ तलवार पजाने वाले राजनैतिक दल एक मामले में एक राय ही नजर आते हैं। अपनी तनख्वाह खुद ही तय कर मेजें थपथपाकर इसका स्वागत करते हैं। निस्वार्थ सेवा का मुआवजा हर सांसद को कितना मिलता है इस बात का अंदाजा लगाने मात्र से ही रूह कांप जाती है। आज जानते हैं कि वर्ष 2010 में खुद ही अपने वेतन भत्ते बढ़ाने वाले संसद सदस्यों में लोकसभा के प्रत्येक सदस्य पर जनता के गाढ़े पसीने की कमाई का साठ लाख पंचानवे हजार रूपए का सालाना खर्च है। इस लिहाज से 543 लोकसभा सदस्यों पर तीन अरब 25 करोड़, 47 लाख और तीस हजार रूपए खर्च होते हैं। इतना ही खर्च राज्य सभा के सांसदों पर होता है। अब अंदाजा लगाईए गरीब गुरबों के भारत देश के जनसेवकों के मनोविचार का!

यह है एयरपोर्ट सुरक्षा का हाल सखे

देश पर आतंकी हमलों का साया मण्डरा रहा है। बाहर से आने और जाने के हर रास्ते पर सुरक्षा तगड़ी कर दी गई है। हिन्दुस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को देश की आन बान और शान की ज्यादा चिंता है, इसलिए देश मे आने वालों की सुरक्षा जांच तो बखूबी की जाती है किन्तु अगर कोई देश से बाहर जा रहा हो तो उसमें ढिलाई बरती जाती है। हो सकता है एजेंसियां यह सोचती हों कि चलो एक बला तो टली। हाल ही में गुलाबी शहर जयपुर के सांगानेर हवाई अड्डे से एक बंग्लादेशी नागरिक फर्जी पासपोर्ट के सहारे समुद्र पार गया और फिर वह साउदी अरब में दम्माम में पकड़ा गया। मूलतः बंग्लादेश का रहने वाला 21 वर्षीय हबीबुल्लाह जिसने डोलक राज के नाम से पासपोर्ट बनवाया था ने एयर अरेबिया के माध्यम से शरजाह तक की यात्रा की। शरजाह से जब हबीबुल्लाह दम्माम में पकड़ा गया। हद तो तब हो गई जब इसे वापस जयपुर उतारा गया तो सुरक्षा एजेंसियों ने इसे आम यात्रियों के साथ चुपचाप ही बाहर निकाल दिया। बाद में मामला पुलिस को सौंपा गया।

जेल जाने को आतुर आड़वाणी

इमरजेंसी के उपरांत प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी को तिहाड़ जेल में बंद किया गया था इसके बाद से तिहाड़ जेल लोगों की नजरों में आई। वर्ष 2011 में तिहाड़ की पूछ परख एकदम बढ़ गई। अनेक व्हीव्हीआईपीज को शरण दे रखी है तिहाड़ जेल ने। अब तो लगता है कि तिहाड़ के अंदर एक अलग जेल ही बना दी जाए जिसे ‘पॉलीटिशियन्स प्रिजन‘ का नाम दे दिया जाए। अब तो लगता है कि भ्रष्टाचार करना और पकड़े जाने पर जेल जाना राजनेताओं का प्रिय शगल बनकर रह गया है। एक के बाद एक नेताओं का विकेट गिरता जा रहा है और वे पवेलियन (तिहाड़ जेल) जाकर विश्राम कर रहे हैं। इसी बीच अमर सिंह सहित फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा को भी जेल भेज दिया गया है। अभी तक राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी ने इन दोनों के जेल जाने का विरोध करते हुए कह डाला कि उन्हें भी जेल भेज दिया जाए। कहा जा रहा है कि आड़वाणी को भी डर सताने लगा है कि कहीं उनकी भी कोई फाईल भी न खुल जाए और उन्हें भी . . .।

आखिर क्या बला है हाई अलर्ट!

दिल्ली सहित चारों महानगर हाई अलर्ट पर हैं। यह संदेश जब तब मीडिया के माध्यम से जनता के बीच पहुंच जाता है। सवाल यह उठता है कि हाई अलर्ट आखिर बला क्या है? दरअसल देश में जब भी असमान्य परिस्थितियां निर्मित होती हैं तब तब पुलिस को हाई अलर्ट किया जाता है। पुलिस जब अत्याधिक तौर पर सक्रिय हो जाती है तब माना जाता है हाई अलर्ट। षणयंत्र और साजिश रचने वालों के मन में भय पैदा करने के लिए पुलिस बल अधिक तादाद में जनता के बीच नजर आने लगता है हाई अलर्ट में। पुलिस का हाई अलर्ट आदेश कभी वापस नहीं होता, समय के साथ ही हाई अलर्ट अपने आप ही डाल्यूट हो जाता है। मजे की बात तो यह है कि केद्र के गृह विभाग से लेकर अनेक सूबाई पुलिस में भी हाई अलर्ट नाम का कोई शब्द है ही नहीं। पुलिस मैनुअल में इस शब्द का समावेश न होने के बाद भी हाई अलर्ट तो हाई अलर्ट ही है।

आखिर सूचना केंद्र से क्यों दूरी बना रहे पत्रकार!

दिल्ली में मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग का सूचना केंद्र कनाट सर्कस में मंहगे व्यवसायिक इलाके की एम्पोरिया बिल्डिंग में काम कर रहा है। एक समय था जब दिल्ली में मध्य प्रदेश बीट कव्हर करने वाले पत्रकारों का जमावड़ा सदा ही लगा रहता था इस कार्यालय में। सारे दिन पत्रकारों के मिलन का अड्डा बनकर उभर चुका मध्य प्रदेश सूचना केंद्र इन दिनों वीरान ही पड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार के इस कार्यालय में मनहूसियत ही पसरी दिखाई पड़ती है। जब भी कोई पत्रकार सूचना या खबर लेने के उद्देश्य से यहां आता है तो तीसरी मंजिल का यह कार्यालय सूना ही दिखता है। अधिकांश समय इस कार्यालय में कोई भी जवाबदार अधिकारी कर्मचारी ही उपस्थित नहीं रहता है। पत्रकारों को मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से मिलने वाली डायरी कलेंडर की रेवड़ी भी चीन्ह चीन्ह कर ही बांटी जाती है। कुछ पत्रकारों का आरोप है कि चुनिंदा पत्रकारों को रबड़ी बाकी सब को गर्मी के दिनों में भी गर्म पानी ही पिलाया जाता है। पत्रकार जब ठण्डे पानी की मांग किया करते थे तब अधिकारी बजट का रोना रोकर फ्रिज खराब होने का बहाना जड़ दिया करते थे।

असरदार से दूरी बनाते सरदार

कांग्रेस ने भले ही सिख्ख समुदाय के 1984 के रिसते घावों पर मरहम लगाने के लिए पूर्व में ज्ञानी जेल सिंह को देश का पहला नागरिक बनाया हो फिर डॉ.मनमोहन सिंह को वजीरे आजम बना दिया हो, पर कांग्रेस के इस कदम से सिख्ख कौम कांग्रेस के पास आती कतई नहीं दिख रही है। डॉ.मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुए घपले घोटालों से सिख्ख बाहुल्य पंजाब की कांग्रेस बुरी तरह खौफजदा है। कांग्रेस के आला नेताओं ने मन बना लिया है कि इस बार के विधानसभा चुनावों में सूबाई कांग्रेस प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से पर्याप्त दूरी बनाकर रखेगी। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्रियों और मुद्दों के बिना पंजाब में कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव की वैतरणी पार करने का प्रयास करेगी।

युवराज अनफिट, कौन होगा अगला बादशाह!

सनसनीखेज खुलासों के लिए मशहूर विकीलीक्स के अहम खुलासे कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी आज की भारतीय राजनीति के हिसाब से पूरी तरह से अनफिट हैं, के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है। विकीलीक्स के अनुसार राहुल न केवल अनफिट हैं वरन अनुपयोगी भी हैं। कांग्रेस के आला नेता अब सर जोड़कर बैठे हैं कि अगर दुनिया भर पर नजर रखने वाले दुनिया के चौधरी अमेरिका के तत्कालीन राजदूत डेविड मलफोर्ड द्वारा भेजे गए इस केबल में सच्चाई है तो फिर भ्रष्टों के ईमानदार संरक्षक डॉ.मनमोहन ंिसह के बाद देश का बादशाह किसे बनाया जाएगा। इसके लिए जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें ए.के.अंटोनी का नाम सबसे उपर है। इसके बाद मीरा कुमार पर कांग्रेस दांव लगा सकती है। उधर राजनीति के चतुर सुजान राजा दिग्विजय सिंह के सधे और खामोश कदमों ने सभी की नींद उड़ा रखी है।

बताओ कहां खर्ची हमारी इमदाद

केंद्र सरकार ने अब शिवराज सिंह चौहान की मश्कें कसना आरंभ कर दिया है। यह किसके इशारे पर हो रहा है यह बात अभी भविष्य के गर्भ में है किन्तु आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड़़ में भाजपा सांसद तरूण विजय का नाम आने फिर इसकी सीबीआई जांच के बाद अब केंद्र सरकार ने शिवराज से गैस पीड़ितों को दिए पौने तीन सौ करोड़ रूपयों का लेखा जोखा मांगना साधारण बात नहीं मानी जा रही है। केंद्रीय रसायन मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि वह 1984 के गैस पीड़ितों के पुर्नवास की मद में जारी 272 करोड़ रूपयों का लेखा जोखा केंद्र को भेजे। यह राशि किस मद में खर्च हो गई है इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार का वित्त विभाग भी जानकारी जुटा ही रहा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अब हर केंद्रीय मदद और केंद्र पोषित योजनाओं के बारे में बारीकी से जांच पड़ताल करने वाला है।

पुच्छल तारा

देश में सत्तर फीसदी लोगों की रोजाना की आय बीस रूपए से कम है। देश में आज होटल में एक आदमी का खाना कम से कम पच्चीस रूपए में मिल पाता है। मध्य प्रदेश से अभिषेक दुबे ‘रिंकू‘ ने ई मेल भेजकर कहा है कि क्या आपको पता है देश में एक स्थान एसा भी है जहां सब कुछ सस्ता है? जानना चाहेंगे वह जगह कौन सी है। वह है देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद की कैंटीन। इस कैंटीन में मिलने वाली खाद्य सामग्री का दाम जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। आम आदमी के हितों का संरक्षण करने वाली संसद में आम आदमी को आसानी से प्रवेश नहीं मिल पता है। यह उस जगह के रेट हैं जहां के पंचों को अस्सी हजार रूपए मासिक पगार मिलती है। बहरहाल रिंकू ने यहां की प्राईज लिस्ट के बारे में विस्तार से भेजा है।

चाय एक रूपए

सूप साढ़े पांच रूपए

दाल डेढ़ रूपए

खाना दो रूपए

रोटी एक रूपए

दोशा चार रूपए

वेज बिरयानी आठ रूपए

चिकन साढ़े चौबीस रूपए

मछली तेरह रूपए 

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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