ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे 

युवराज के लिए अब इटैलियन बहू!

कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री और युवराज राहुल गांधी की उम्र ढलती जा रही है। ज्योतिषियों का कहना है कि वे अभी सात साल और विवाह नहीं कर पाएंगे। राजमाता श्रीमती सोनिया गांधी की पेशानी पर पसीने की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। पहले राहुल के लिए उत्तर प्रदेश के एक सांसद की बहन का प्रस्ताव रखा गया था, जो परवान नहीं चढ़ सका। विक्कीलीक्स ने एक खुलासा करते हुए कहा है कि राहुल के लिए अब सोनिया अपने पीहर ‘इटली‘ से ही बहू लाने की तैयारी कर रही हैं। नताशा नाम की बाला इटली के एक बड़े व्यवसाई की पुत्री हैं, नताशा के दादा हिन्दुस्तान में रहा करते थे। खुलासे में यह भी कहा गया है कि अमेरिका के एक राजनयिक ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सोनिया ने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी है। राहुल की नताश से मुलाकात 1994 में कैम्ब्रिज की ‘ट्रिनीटी यूनिवर्सिटी‘ में एम.फिल. की पढ़ाई के दौरान हुई थी। खुलासे में आगे कहा गया है कि सोनिया को मशविरा दिया गया है कि राहुल का विवाह इटली में किया जाकर 2014 के चुनावों के बाद आधिकारिक घोषणा की जाए।

कुछ काम न आया अरूण के

कांग्रेस के वरिष्ठ और मध्य प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री नेता सुभाष यादव के पुत्र अरूण यादव को मंत्रीमण्डल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। पिछली बार सुभाष यादव का हटाकर सुरेश पचौरी को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था, तब सुभाष यादव ने खासा तांडव किया था एआईसीसी में। ऑफ द रिकार्ड न जाने क्या क्या कह डाला था। कहते हैं कि इसी के बाद बारगेनिंग के चलते अरूण यादव को मंत्री बनाया गया। अरूण ने अपने बंग्ले पर जब तब भोज का आयोजन कर लोगों से मेलजोल बढ़ाया गया, उधर हाशिए पर गए सुभाष यादव की पकड़ एआईसीसी में कमजोर पड़ती गई। गौरतलब है कि सुभाष यादव ने एक बार मालवा में रैली कर दिग्गी राजा को भी आईना दिखाया था। अब बारी दिग्गी राजा और सुरेश पचौरी की थी। नतीजा सामने है अरूण यादव एआईसीसी में तो हैं पर बैगर लाल बत्ती के।

अब दुरूस्त हैं एमपी के राजमार्ग!

मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे की दशा कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्री पद से हटते ही ठीक हो गई। नए निजाम सी.पी.जोशी ने अचानक एसा क्या कर दिया कि रातों रात दशा ही सुधर गई। अरे जनाब! हालत तो पहले से बदतर हैं, बस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रोना इस मामले में शांत हो गया है। कमल नाथ ने ढेरों सौगातें दीं मध्य प्रदेश को पर शिवराज सदा ही सौतेले व्यवहार का रोना रोते रहे। अब जोशी ने कमल नाथ द्वारा दी गई सौगातों को एक के बाद एक निरस्त करना आरंभ कर दिया, फंड में कटौती कर दी, पर शिवराज सिंह चौहान इससे खुश ही प्रतीत हो रहे हैं। कमल नाथ के हटते ही एमपी की सड़कें ‘हेमा मालिनी के गाल‘ के मानिंद बन गईं हैं। अगर एसा नहीं है तो भला फिर शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र का सड़कों का रोना क्यों नहीं रो रहे हैं?

लालू का 22 लाख का हाथी!

इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के लटके झटके, तौर तरीके अपने आप में अनोखे रहे हैं। उनके मंत्री रहते हुए उनकी इच्छा पर रेल विभाग ने लालू यादव के लिए 22 लाख रूपए खर्च कर एक बुलेट प्रूफ एंबेसेडर कार खरीदी थी। लालू यादव की रूखसती के बाद उनसे जुड़ी हर चीज को अपशकुनी माना जा रहा है। यही कारण है कि उनके बाद ममता बनर्जी ने तो उस कार की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा। अब नए मंत्री को भी उस कार से परहेज ही नजर आ रहा है, लिहाजा 27 माह बाद भी रेल विभाग के पास लालू यादव के उपयोग में आने वाला 27 लाख का हाथी बंधा हुआ है। दरअसल इसका उपयोग ‘जेड प्लस‘ श्रेणी का व्यक्ति ही कर सकता है। रेल विभाग ने गृह विभाग से मिन्नत की है कि इस हाथी को उठाए और इसके बदले चार साधारण एम्बेसेडर कार रेल विभाग को दे दे।

दिग्गी सक्रिय, कांग्रेस सक्रिय!

2003 में कांग्रेस सत्ता से क्या उतरी उसके बाद सुस्सुप्तावस्था में ही चली गई। इसके बाद कांग्रेस का नामलेवा भी मध्य प्रदेश में नहीं बचा। तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह ने 2003 में कौल लिया था कि अगर वे दुबारा कांग्रेस को सत्ता में न ला पाए तो वे दस साल का राजनैतिक वनवास भोगेंगे। राजा के दस साल 2013 में पूरे होने वाले हैं। 2011 के मध्य में राजा ने अपना रंग दिखाना आरंभ किया है। उनकी पसंद के कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष पद पर अजय सिंह काबिज हैं। एकाएक कांग्रेस के अंदर सुगबुगाहट नजर आने लगी है। कांग्रेसी अब सक्रिय होते दिख रहे हैं। कांग्रेस के मध्य प्रदेश कोटे के क्षत्रप कमल नाथ, सुरेश पचौरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस को जिला नहीं इसके इतने सालों में। राजा ने अपनी तय रणनीति के अनुसार अंत के सालों में खुद को सक्रिय किया और नतीजा सबके सामने हैं कांग्रेस सुस्सुप्तावस्था से बाहर निकलकर सक्रिय होती दिख रही है।

यूपी, बिहार को मात देता हृदय प्रदेश

कहा जाता है कि भ्रष्टाचार अगर देखना है तो उत्तर प्रदेश और बिहार चले जाईए। इन दोनों ही सूबों में भ्रष्टाचार की आकंठ गंगा बह रही है। यहां के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों ने जनता के पैसों को लूटने के तरह तरह के हथकंडे इजाद कर रखे हैं। नए सर्वे में मध्य प्रदेश ने यूपी बिहार को पीछे छोड़ दिया है। भाजपा के शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में जमकर मची है लूट। कहा जा रहा है कि कलेक्टरी की ही बोली लगने लगी है। आईएएस में सूबे के मुख्य सचिव रहे आदित्य विजय सिंह, चमड़ा निगम के एमडी एम.एस.मूर्ति, एकेवीएन के एमडी सुधीर रंजन मोहंती, कलेक्टर पन्ना एम.के.सिंह, आईडीए के सीईओ आर.के. गुप्ता, पीएस आवास पर्यावरण उमा कांत सामल, नगर ग्राम निवेश के आयुक्त डी.पी.तिवारी, बंदोबस्त आयुक्त मुक्तेष वार्ष्णेय, कलेक्टर सिवनी पिरकीपण्डला नरहरि के अलावा आईपीएस राजेंद्र चतुर्वेदी और आईएफएस ए.एस.तिवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच सालों से लंबित हैं।

इस तरह हटे भारद्वाज रास्ते से

पिछले एक साल में दो राज्यों के हवाई जहाज बहुत जल्दी जल्दी दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं एक है एमपी का तो दूसरा कर्नाटक का। दोनों ही इसलिए क्योंकि इसमें सवार महामहिम राज्यपाल अपनी अपनी गोटियां बिठाने में लगे हुए हैं। एमपी के रामेश्वर ठाकुर अपनी सेवावृद्धि तो कर्नाटक के महामहिम राज्यपाल हंसराज भारद्वाज मुख्यधारा में वापस आना चाह रहे थे। भारद्वाज की नजर कानून मंत्रालय पर थी, प्रधानमंत्री का समर्थन उन्हें था। वीरप्पा मोईली खासे परेशान थे क्योंकि उनकी कुर्सी के पाए हिलने वाले थे। भारद्वाज को कानून मंत्री बनने दस जनपथ ने भी हरी झंडी दे दी थी। इसी बीच भारद्वाज विरोधियों ने सोनिया गांधी के कान भर दिए कि बोफोर्स कांड की क्लोजर रिपोर्ट भारद्वाज ने ही लीक की, क्योंकि यह उनके कानून मंत्री रहते ही तैयार की गई थी। फिर क्या था हो गईं 10, जनपथ की नजरें तिरछीं सलमान खुर्शीद बन गए ला मिनिस्टर और भारद्वाज बन गए ‘लॉ मिनिस्टर इन वेटिंग‘।

15 हजार रूपए प्लेट है पोहा!

मध्य भारत विशेषकर मालवा में ‘पोहा‘ नामक व्यंजन बड़े ही चाव के साथ खाया जाता है। पोहा बनाना इतना आसान है कि हर घर में चुटकियों में ही पोहा बनाकर परोस दिया जाता है। मध्य प्रदेश में पोहे की बात ही कुछ ओर है। इंदौर और भोपाल के बीच सोनकच्छ के ढाबे पर मिलने वाला पोहा एक समय बेहद प्रसिद्ध था। दिल्ली में भी इंदौर के एक युवक ने यमुना पार लक्ष्मी नगर में पोहे की दुकान खोली है, जो खासी चल पड़ी है। अमूमन एक प्लेट पोहा पांच से आठ रूपए के बीच ही मिल जाता है, पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंदौर में एक प्लेट पोहे की कीमत पंद्रह हजार रूपए चुकानी पड़ी। जी हां! सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान इंदौर में कालानीनगर में पोहे वाले अरविंद यादव के ठेले पर गए और एक प्लेट पोहा खाया। बाद में शिवराज ने अपने स्वेच्छानुदान मद से अरविंद को पंद्रह हजार रूपए की इमदाद मुहैया करवाई। अरविंद अंदर से शिवराज सिंह को दुआ अवश्य ही दे रहा होगा।

शीला की मश्कें कसीं मनमोहन ने

दिल्ली की निजाम शीला दीक्षित हवा में उड़ रहीं हैं, क्या यह सच है? जी हां! उनकी लगाम कस रहे हैं मनमोहन, जी हां मनमोहन पर ये वजीरे आजम नहीं दिल्ली के लोकायुक्त मनमोहन सरीन हैं। एक फरियाद की सुनवाई के दौरान लोकायुक्त ने शीला पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए महामहिम राष्ट्रपति से सिफारिश की है कि वे शीला दीक्षित को आगाह करें कि भविष्य में शीला दीक्षित चुनावों में वोट बटोरने के लिए लुभावने और झूटे वायदों का प्रयोग न करें। दरअसल 2008 के विधानसभा चुनावों में शीला दीक्षित द्वारा दिल्ली के गरीब गुरबों को लुभाने के लिए कहा था कि दिल्ली सरकार के पास साठ हजार मकान ‘राजीव रत्न आवास योजना‘ के तहत बनकर तैयार हैं, जो चुनावों के बाद आवंटित कर दिए जाएंगे। चुनाव हुए दो साल आठ माह का समय बीत चुका है फिर भी आवास बांटे नहीं गए। लोकायुक्त के समक्ष याचिका कर्ता ने आरोप लगया है कि मकान बनना तो दूर अभी इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम भी आरंभ नहीं हो सका है।

अहमद भी शामिल हैं ‘नोट फॉर वोट‘ में

नोट के बदले वोट का मामला अब जोर पकड़ने लगा है। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई और उसने पकड़ा धकड़ी तेज कर दी है। इस मामले में पुलिस पूछताछ को ले जाए जा रहे सुहैल हिन्दुस्तानी ने जो तथ्य उजागर किए हैं, वे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने के लिए पर्याप्त माने जा रहे हैं। सुहैल ने इस मामले में कांग्रेस की सबसे ताकतवर महिला सोनिया गांधी के राजनैतिक सिपाहसलार अहमद पटेल, अमर सिंह और सांसद रेवती रमण सिंह का नाम लिया है। अमर सिंह का तो शनि भारी चल रहा है, पर साफ सुथरी कालर वाले अहमद पटेल की मुश्किल बढ़ सकती हैं। वे गुजरात से राज्य सभा चुनाव लड़ने वाले हैं। सोनिया के करीबी अहमद का पत्ता अब महासचिव दिग्विजय सिंह के हाथ नजर आ रहा है। दिग्गी राजा चाहेंगे तो इसी दांव में अहमद पटेल चारों खाने चित्त हो जाएंगे। वैसे देखना यह भी है कि क्या दिल्ली पुलिस अमर सिंह की कालर तक अपना हाथ पहुंचाने की हिमाकत कर पाएगी?

प्रणव के आदेश पर धूल डालते जनसेवक!

केंद्र में सबसे ताकतवर मंत्री प्रणव मुखर्जी के आदेशों का उनके ही मातहत सरे राह माखौल उड़ाते नजर आ रहे हैं। अभी जनलोकपाल का जिन्न बोतल के अंदर ही नजर आ रहा है, इसलिए सभी चुप्पी साधे बैठे हैं। अगस्त के माह में जैसे ही यह जिन्न बाहर आएगा वैसे ही जनसेवकों के साथ ही साथ लोकसेवक भी इसकी सुध लेंगे। गौरतलब है कि प्रणव मुखर्जी ने कहाथा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) लोगों से इस मामले में राय ले, उसका विश्लेषण करे, परीक्षण करे, जैसा कि वह संसद की स्थायी समिति के हर विधेयक के लिए करती है। विडम्बना यह है कि डीओपीटी ने इस बारे में मौन ही साध रखा है। अब जबकि अण्णा हजारे ने 16 अगस्त से अनशन की बात कह ही दी है, तब अगस्त के पहले सप्ताह में इस मामले में गर्मा गर्मी दिख सकती है। संप्रग सरकार के तारण हार प्रणव मुखर्जी को ही डीओपीटी विभाग के आला अधिकारियों ने हल्के में लेना आरंभ कर दिया है तो बाकी की कौन कहे!

पुच्छल तारा

देश में लूट मची है। लूटने वाले बाहर से आए आक्रांता नहीं हैं। हमारे अपने ही लोग हैं। इसी बात को समझाने के लिए मध्य प्रदेश से राकेश बैस ‘कक्कू‘ ने एक बेहतरीन एसएमएस भेजा है। कक्कू लिखते हैं -‘‘नई फिल्म ‘लूट ले इंडिया‘। निर्माता – मनमोहन सिंह। निर्देशक – सोनिया गांधी। हीरो – राहुल गांधी। विलेन – अदिमत्थू राजा। स्क्रिप्ट राईटर – करूणानिधि। कामेडी – लालू यादव, शरद पवार। गेस्ट एपीयरेंसे – बाबा रामदेव, अण्णा हजारे। सपोर्टिंग एक्टर – सुरेश कलमाड़ी, शीला दीक्षित, दयानिधि मारन। संगीत – नीरा राडिया। कोरस – भारतीय जनता पार्टी नीत राजग। पीआरओ – राजा दिग्विजय सिंह। वितरक – बड़े मीडिया घराने। दर्शक – 121 करोड़ भारतवासी।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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  1. सही फ़रमाया लिम्टी भाई आप ने ………………..ज की तारीख में सिर्फ दिग्गी और दिग्गी चल रहे हैं …………राहुल और और अरुण पर आप के कमेंट्स का मई समर्थन करता हूँ ………………..पसंद आया आप की प्रस्तुई

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