आध्यात्मिक गुरूओ के राजनीतिक बयानो से देश को खतरा!

शादाब जफर ‘‘शादाब’’

“सरकार को शिक्षा का निजीकरण कर के सरकारी विद्यालयो को बंद कर देना चाहिये क्योकि वे नक्सलवाद को जन्म देते है। सरकार को कोई स्कूल नही चलाना चाहिये।“मंगलवार को अमंगल करते हुए देश के सब से गरम राज्य राजस्थान में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी ने जयपुर के झालना स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित करीब 50 छात्रो उनके अभिभावको व स्कूल में उपस्थित अन्य लोगो के बीच यह ब्यान देकर, देश में गरमा गरम बहस छेड लोगो कि आलोचना,गुस्से और विरोध का शिकार बन गये। जिस देश में लोग ऋषि मुनियो,सन्त फकीरो पर कानून से ज्यादा आस्था और विश्वास रखते हो वहा इस छोटे मगर गम्भीर मुद्दे पर वबाल मचना सम्भव है। श्री श्री रवि शंकर जी के इस बयान ने एक ओर जहां भारतीय राजनीति और समाज में उबाल पैदा कर दिया वही देश के शिक्षाविदों और मंत्रियो ने आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी की इस टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने टिप्पणी पर हैरानी जताते हुए इस बात पर ही प्रश्नचिह्ं खडा किया कि क्या सरकारी स्कूलो से पढकर जीवन के हर क्षेत्र में उच्च पदो पर आसीन होने वाले लोग नक्सली है। बात एकदम सही है तर्क भी सही दिया गया है फिर देश के इतने बडे आध्यात्मिक गुरू को आखिर क्या सूझी की उन्होने बेमतलब,तर्कहीन,बेवज़ह ऐसा बयान देकर लोगो की आस्था के पात्र अपने आप एक ही पल में लोगो की आलोचना के शिकार बन गये।

हमारे देश में समय समय पर राजनीति के गलियारो और अक्सर चुनावी मौको पर धार्मिक गुरूओं की आवाजे सुनाई देती है पर आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी का ये बयान जिस वक्त आया है न तो चुनाव का मौसम है और न किसी राजनीतिक पार्टी के हक में ये बयान है। हा अगर इस बयान से किसी को लाभ मिल सकता है तो वो है देश के वो प्राईवेट स्कूल जो आज फाईव स्टार होटलो से कम नही,जिन प्राईवेट स्कूलो में हर रोज कत्ल होते,जहा शिक्षा के नाम पर खिलवाड किया जाता है। पर अभिभावक क्या करे चो खुद लुटने को मजबूर है। आज हर मां बाप अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देना चाहता है,और हमारे देश के सरकारी स्कूलो में इस समय बुनियादी शिक्षा काफी कमजोर हो चली है जिस का हाल यें है की देश के अधिकतर सरकारी स्कूलो के भवन जर्जर और टूटे फूटे,बच्चे के बैठने के लिये टाट पट्टिया नदारद,स्कूल परिसरो में गंदगी के अम्बार,बरसात में टपकती छते,आज अधिकतर इन सरकारी स्कूलो में बुनियादी सुविधाये आधी अधूरी या कही कही लगभग खत्म है। अध्यापक ना की बराबर आज भी उत्तर प्रदेश में 17000 गॉव ऐसे है जहॉ एक किलोमीटर के दायरे में कोई स्कूल नही है उत्तर प्रदेश में एक शिक्षक पर औसतन 51 बच्चे है जब की यही आकंडा राष्ट्रीय स्तर पर एक शिक्षक पर 31 छात्र का है। पर इस सब के बावजूद सलाम करना होगा इन सरकारी स्कूलो और इन के अध्यापको को जिन से पढने के लिये बच्चे आज भी पांच पांच छः छः मील दूर से पैदल चलकर बरसात में ऊफान लेती नदिया पार के आते है। एक देश का डीएम अपने बच्चो का एड़मीशन हाईफाई किसी प्राईवेट स्कूल में नही इन्ही सरकारी स्कूलो में से एक स्कूल में कराता है। आर वेंकट रमन,एपीजे अबुल कलाम जैसे लोग इन्ही सरकारी स्कूलो में शिक्षा पाकर देश के राष्ट्रपति बनते है,देश में हजारो आईएस पीसीएस इंजीनियर,डाक्टर इन्ही स्कूलो से निकलते है। आज के प्राईवेट स्कूलो में क्या हो रहा है शायद आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी को नही पता में बताता हॅू चेन्नई के एक निजी स्कूल में अभी कुछ दिन पहले एक दिल दहला देने वाली घटना ने देश के तमाम माता और पिताओ को हिला कर रख दिया। वजह थी कक्षा 9 के एक छात्र द्वारा अपनी टीचर की क्लास रूम में ही चाकू से गोद कर हत्या, 9 फरवरी 2010 को कानपुर के चकेरी के स्कूल के0 आर0 एजुकेशन सेंटर के कक्षा 11 के छात्र अमन सिॅह और उस के सहपाठी विवेक में किसी बात को लेकर मामूली विवाद हो गया। मामला स्कूल के प्रिंसीपल तक पहुॅचा और उन्होने दोनो बच्चो को डाट कर समझा दिया किन्तु अगले दिन अमन सिॅह अपने चाचा की रिवाल्वर बस्ते में छुपाकर स्कूल ले आया और उसने क्लास में ही अपने सहपाठी विवेक को गोली मार दी। स्कूल या कालेज में इस प्रकार की घटना का ये पहला मामला नही हैं। 18 सितम्बर 2008 को दिल्ली के लाडो सराये में एक छात्र द्वारा एक छात्रा की हत्या गोली मार कर कर दी गई थी, 18 सितम्बर 2008 को ही मध्य प्रदेश के सतपाडा में एक छात्रा को उस की ही सहपाठिनीयो ने जिन्दा जला दिया था, 16 फरवरी 2008 को गाजियाबाद के मनतौरा स्थित कालेज में एक छात्र ने अपने सहपाठी को गोली मार दी थी,11 फरवरी 2008 को दिल्ली ही के कैंट स्थित सेंट्रल स्कूल में एक छात्र द्वारा अपने सीनियर को मामूली कहासुनी पर चाकू मार दिया था। नवंबर 2009 में जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में आठवी क्लास की मासूम छात्रा के साथ लगभग 18 साल की उम्र के आसपास के 7 स्कूली बच्चो ने रेप किया ये सब के सब आरोपी युवा बिगडे रईसजादे थे। इन में से एक भी आरोपी सरकारी स्कूल का छात्र या किसी सरकारी स्कूल का केस नही है।

क्या आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी इस हकीकत से वाकिफ है वो ये जानते है कि आज प्राईवेट स्कूलो में डोनेशन,बिल्डिग फन्ड व फीस की आड में अभिभावको से करोडो का धंधा हो रहा है यूनिफार्म और किताबे इन प्राईवेट स्कूलो के लिये मोटी कमाई का धंधा बनते चले जा रहे है अधिकतर प्राईवेट पब्लिक स्कूलो ने स्कूलो में ही नर्सरी से लेकर आठवी नवी क्लास तक के कोर्स बेचने शुरू कर दिये है इन शिक्षा के माफिया लोगो ने मोटी कमाई करने के लिये किताबो कापियो पर पुस्तक मूल्य अधिक से अधिक अंकित करा रखे है यानि दस रूपये मूल्य की किताब का दाम पचास से साठ रूपये वसूला जा रहा है इस के अतिरिक्त डायरी,टाई,बेल्ट,आई कार्ड आदि बाजार मूल्य से तीन गुना बढे हुए रेट में बच्चो को दिये जाते है। कुछ स्कूलो ने दुकानदारो से प्रति कोर्स पर कमीशन तय कर रखा है कुछ स्कूलो ने बाकायदा दुकानदारे से स्लिप ले रखी है किताबो कापियो के नाम पर खूब लूट मचाई हो रही है। आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर जी ने ये बयान उस राजस्थान की जमीन पर दिया जिस धरती ने भारत माता के कदमो पर,भारत माता की रक्षा करते हुए हजारो लाल शहीद कर दिये। जिस जमीन का दूर दूर तक भी नक्सलवाद से कोई संबंध नही हो वहा से अगर ये सवाल उठता है तो फिर ये सवाल भी उठता है कि आखिर आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षा देने वाले देश के एक जिम्मेदार आध्यात्मिक गुरू ने ऐसा बयान क्यो दिया। क्या वास्तव में ऐसा है क्या नक्सल प्रभावित इलाको के सरकारी स्कूलो में आतंकवाद की शिक्षा दी जा रही है? क्या इन इलाको में सरकारी स्कूलो का इस्तेमाल नक्सली कर रहे है?इन स्कूलो को सरकारी मदद के रूप में सरकार द्वारा भेजा जा रह पैसा क्या नक्सलियो के काम आ रहा है?क्या वास्तव में इन इलाको के सरकारी स्कूल इन नक्सलियो की नर्सरी है?

आज हमारे देश की राजनीति और राजनेता जिस मुकाम पर खडे है और इन्होने जिस मोड़ पर देश को लाकर खडा कर दिया है वहा आज कुछ भी असंभव नही है,लेकिन धर्म-अध्यात्म में डूबे देश व विदेशों में करोड़ो लोगो की श्रद्धा पर अब तक खरे उतरे श्री श्री रवि शंकर जी के बयान पर चिंतन होना चाहिये राजनीति नही। मेरे ख्याल से ऐसे व्यक्ति के बयान को भटकाव या राजनीति नही कहा जा सकता है,हा में इतना जरूर कहना चाहॅूगा कि ऐसे बयानो से हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक गुरूओ को बचना चाहिये,वो इस लिये कि हम जिस व्यक्ति के प्रति द्धा रखते है उसे अगर हमारे सामने कोई बुरा कहता है उस का पुतला फूंकता तो मन आहत होता है ऐसे में भक्त के साथ साथ देश का कितना बडा नुकसान कब कहा किस वक्त हो जाये कहना मुश्किल है। श्री श्री रवि शंकर जी के इस बयान पर देश की एक अदालत में मुक्कदमा भी दर्ज हुआ उस की सुनवाई भी होगी। अब देखना ये है कि सच क्य है और झूठ क्या।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here