आज इस देश में चारों तरफ 5 स्टार मॉल, होटल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन इत्यादि बनाने के लिए सैकड़ों व हजारों करोड़ निवेश किये जा रहे हैं, हर तरफ 5 स्टार सुविधाओं की चमक-धमक को जोर-शोर के साथ प्रचारित और उसको अपनाने को प्रेरित किया जा रहा है। यहां यह बता देना आवश्यक है कि 5 स्टार प्रमाणपत्र उन्नत किस्म के बेहतर सुविधा के लिए दिया जाने वाला प्रमाणपत्र है |
अगर ईमानदारी से इस सवाल का जवाब तलाश करें तो पायेंगे कि 5 स्टार सुविधा तब फायदेमंद है, जब पूरे देश में 5 स्टार सरकारी काम-काज की व्यवस्था हो, नागरिक 5 स्टार के कर्तव्य निर्वाह के लिए आतुर व प्रेरित हों, सरकारी कर्मचारी, मंत्री, सांसद तथा विधायक जनहित व देशहित में 5 स्टार चरित्र का पालन करते हों। पूरी सरकारी व्यवस्था तय समय में नागरिकों के मूलभूत जरूरतों जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, न्याय इत्यादि को पूरा करने में 5 स्टार रूप में तत्पर हो | लेकिन हमारे देश में 5 स्टार सुविधा के लिए सरकार और निजी क्षेत्र जिस प्रकार से दिल खोलकर निवेश कर रही है, उतना ही मानवीय जीवन के लिए मूलभूत साधन की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है | इसकी वजह अगर ढूंढ़ें तो दिमाग पर जोड़ डालने के बाद एक बात जो सबसे पहले आती है, वह है हमारे शीर्ष राजनेताओं का चारित्रिक पतन जिसकी वजह से पूरी व्यवस्था 5 स्टार स्तर की बदबूदार हो चुकी है | सत्य-निष्ठा से जिनका कोई सरोकार नहीं है वैसे लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे सत्य व न्याय की रक्षा के लिए सृजित पदों पर पहुंच चुके हैं | किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई भी काम बिना रिश्वत या सिफारिश के नहीं होता है, देश के विभिन्न सेवा आयोगों में योग्यता के आधार पर नियुक्ति ना होकर पैसों के बल पर पदों को बेचा जा रहा है, राज्य सभा में त्याग और जनहित की भावना की जगह पूंजीपति और दागी चरित्र के लोग विभिन्न पार्टियों को पैसा देकर सांसद बन रहें हैं। देश की संसद जिसके ऊपर हर एक नागरिक के हितों और जीवन की रक्षा का दायित्व है वो सिर्फ धनपशुओं की रक्षा और देश को लूटने वाले गद्दारों को बचाने का कानून बनाती है | इसका सबूत है कि 65 वर्षों में लगभग 90 प्रतिशत मंत्री शर्मनाक स्तर के भ्रष्टाचार में लिप्त रहे होंगे लेकिन एक को भी अब तक सजा नहीं हुई है | पहले मंत्री लूटते थे लेकिन अब उनके रिश्तेदार भी देश व समाज को लूट रहे हैं |
देश के राष्ट्रपति के पद के लिए भी इस देश के राजनेताओं को एक व्यक्ति ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता जिसे पूरा देश अंतरात्मा से सम्मान दे सके, पूर्व में मुख्य सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्ति को सर्वोच्च न्यायलय को अवैध ठहराना पड़ा था, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी, वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी और मनमोहन सिंह जी की प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति की सूक्ष्म व्यवहारिक विवेचना का अधिकार भी अगर सर्वोच्च न्यायालय को होता तो शायद ये दोनों नियुक्तियां भी अवैध घोषित होने योग्य ही होती ?