प्रेम का अमर आनंद ख़ामोशी के सफ़र पर चला

सिद्धार्थ शंकर गौतम

“ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय, कभी ये हंसाए कभी ये रुलाए” आनंद फिल्म का यह गीत राजेश खन्ना की निजी जिंदगी से सामंजस्य बिठाता प्रतीत होता है| अपने सिने करियर के शीर्ष से लेकर अवसाद में घिरने तक यह आनंद हँसते हुए लोगों की आँखें नम करता रहा है| १९६६ में पहली फिल्म आखिरी ख़त से शुरू हुआ सफ़र १९८३ में आई अवतार तक जिस बुलंदी से चला उसे यथार्थ के धरातल में उतारना वर्तमान में संभव ही नहीं है| हाँ; इसके बाद के दो दशकों में नई पीढ़ी में राजेश खन्ना अपनी अदाओं का वो जादू नहीं जगा पाए जिसकी एक झलक पाने के लिए सैकड़ों लडकियां जान छिड़कती थीं या लड़के पैंट के बाहर निकली पूरे बांह की रंग-बिरंगी बुस्शर्ट पहन इठलाया करते थे| उनकी संवाद अदायगी से लेकर उनका बालों को झटका देना, सब इतना मशहूर हुआ कि हर प्रेमी खुद को राजेश खन्ना समझने लगा और हर प्रेमिका अपने प्रेमी में राजेश खन्ना को ढूँढने लगी| “दिल को देखो चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा” मगर किसी ने उनके दिल का राज समझने की जहमत नहीं उठाई| सभी उन्हें उसी रूप में देखना पसंद करते थे; अल्हड, आवारा, प्रेमी| राजेश खन्ना के बारे में कहा जाता है कि उन्हें सुपरस्टार कहलाने का रोग लग गया था लेकिन पकती उम्र में जिस तरह उनकी फिल्में धडाम हो रही थीं उससे वे अवसादग्रस्त जीवन जीने लगे थे| यहाँ तक कि उनकी पत्नी डिम्पल ने भी उनकी आदतों की वजह से उनका साथ छोड़ दिया था| ये अलग बात है कि उम्र के आखिरी ख़त पर हस्ताक्षर करने डिम्पल ही उनके साथ मौजूद थीं| हो सकता है नकारात्मक बातें जानबूझ कर फैलाई गई हों क्योंकि राजेश खन्ना ने सार्वजनिक दुनिया से काफी पहले ही नाता तोड़ खुद को घर की चारदीवारी में कैद कर लिया था| राजेश खन्ना को करीब से जानने वाले निर्माता-निर्देशक संजय छैल यादों की परत हटाते हुए कहते हैं कि राजेश खन्ना के बारे में कोई कुछ भी कहे पर मैंने उनकी सहृदयता को अनुभव किया है| वे अपने ड्राइवर को भी घर के सदस्य की भांति स्नेह देते थे और उसकी हर छोटी-बड़ी जरुरत का उन्हें पूर्वानुमान हो जाता था| वैसे राजेश खन्ना को अपने घर आशीर्वाद से बहुत लगाव था| यह भी संयोग ही है कि इसी आशीर्वाद में दिलीप कुमार ने शिखर छुआ, राजेंद्र कुमार अर्श से फर्श तक आए और राजेश खन्ना ने भी सुपरस्टार से लेकर एकाकी जीवन जिया|

परदे पर अपनी अल्हड़ता के लिए प्रसिद्ध राजेश खन्ना ने आनंद के रूप में मौत को जिस स्वाभाविक रूप में जिया, उसने मौत की कथित भयावयता को भी डरा दिया था| हृषिकेश मुखर्जी ने आनंद का किरदार राज कपूर के लिए लिखा था किन्तु राज को परदे पर दम तोड़ता देखना उन्हें गवारा न हुआ| उन्होंने राज कपूर से आनंद का अंत बदलने की बात की| राजकपूर ने उनसे कहा कि यदि आनंद का अंत बदला गया तो फिल्म की आत्मा मर जाएगी| हृषिकेश अपनी जगह अड़े थे और राज अपनी जगह| आखिर में तय हुआ कि यह भूमिका राजेश खन्ना निभायेंगे| हृषिकेश ने भारी मन से राजेश खन्ना को फिल्म में ले तो लिया मगर वे कहीं न कहीं आशंकित भी थे| खैर, राजेश खन्ना ने आनंद साईन की और बाकी का इतिहास सिनेमा की दुनिया में अमर हो गया| “जिंदगी का सफ़र हैं ये कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं; कोई जाना नहीं” ने राजेश खन्ना को जीवन की वास्तविकताओं से परिचित करवा दिया था तभी अपने आखिरी वक्त में वे फ़िल्मी चमक-दमक से ऐसे ओझल हुए कि अपनी मौत की कथित अफवाह को झूठा साबित करने के लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से दुनिया के सामने आना पड़ा| वफ़ा में अभिनेत्री लैला के साथ निभाये किरदार पर उन्हें उन्हीं के संगी-साथियों ने बुरा-भला कहा जो कभी उनके हमराही हुआ करते थे| परदे के पीछे की इसी दुनिया से आजिज होकर उन्होंने इसे अलविदा कहा था जो आज उनके अवसान पर आंसू बहा रही होगी| “वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है; वो कल भी आसपास थी; वो आज भी करीब है” राजेश खन्ना ने सिनेमा की दुनिया में जिस उंचाई को छुआ और जो लोकप्रियता पाई उससे आने वाली कई नस्लें उनकी अदाकारी देख मोहित होती रहेंगी| जो जादू व सम्मोहन काका ने पैदा किया था उसे जीवंत करने का हौसला भी उनमें था और माद्दा भी| राजेश खन्ना के रूप में आज बॉलीवुड का एक युग समाप्त हुआ है|

Previous articleनीतीश बनाम भाजपा और भावी राजनीति का खेल
Next articleकहानी राजेश खन्ना की
सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here