मोदी, कांग्रेस और अहमद की तिकड़ी का गुजरात

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गौतम चौधरी

हिन्दी के दैनिक अखबार में गुजरात के यशस्वी मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई दामोदरभाई मोदी से संबघित एक खबर पढी। इस बार गुजरात कांग्रेस ने मोदी के बारे में प्रशंसा का विज्ञापन छपवाया है। खबर का कुल लब्बोलुआब, अखबार के खबरची यह साबित करने पर तुले हैं कि प्रशंसा वाला यह विज्ञपन प्रदेश कांग्रेस की किसी भूल का प्रतिफल है। सो गुजरात कांग्रेस से गलती हो गयी है। पता नहीं इस खबरची की व्याख्या में कितनी सत्यता है लेकिन अगर गुजरात कांग्रेस ने मोदी के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल की सराहना की है, मोदी के द्वारा किये गये विकास को अपनी स्वीकृति दी है तो इसके लिए गुजरात कांग्रेस धन्यवाद का पात्र है। वाकई पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर विकास में योगदान की सराहना तो होनी ही चाहिए। खबरची की खबर और उसकी मीमांसा पर बहस करने से कुछ मिलने वाला नहीं है। सवाल यह है कि गुजरात कांग्रेस ने पहली बार मोदी की स्वीकार्यता को सार्वजनिक किया है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि पहले प्रदेश कांग्रेस की कमान सिद्धार्थ भाई पटेल के जिम्मे था और अब गुजरात कांग्रेस के प्रधान सोनिया कांग्रेस के महामात्य अहमदभाई पटेल के घोषित शिष्य अर्जुन भाई मोढवाडिया हैं।

ऐसे गुजरात कांग्रेस में अन्दरखने मोदी की जबरदस्त स्वीकार्यता है। गुजरात कांग्रेस या फिर सोनिया कांग्रेस के लिए नरेन्द्र भाई कभी अस्वीकार्य नहीं रहे। नरेन्द्र भाई मोदी और शिवराज सिंह चौहान की सरकार आज भी कांग्रेस के रहमोकरम पर टिकी है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान वास्तविक मुख्यमंत्री नहीं है वहां का असली मुख्यमंत्री सोनिया कांग्रेस के सिपहसालार दिग्विजय सिंह ही हैं जबकि गुजरात की सरकार का असली सूत्रघार सोनिया कांग्रेस के महामात्य अहमद भाई पटेल हैं। अगर ऐसा नहीं है तो प्रदेश में मोदी को छोडकर तमाम गुजरात और हिन्दुत्व समर्थक नेताओं की या तो हत्या करा दी गयी या फिर उन्हें अहमदाबाद के केन्द्रीय कारागार में डाल दिया गया है। इस प्रकरण से मोदी और अहमद दोनों खुश हैं। मोदी के बारे में आम चर्चा होती है कि उन्होंने गुजरात में जबरदस्त विकास किया है। विकास का मॉडल अगर गुजरात को मान लिया जाये तो इस देश का प्रत्येक राज्य गुजरात से ज्यादा विकसित है। विकास का मतलब आम व्यक्ति के आमदनी है। गुजरात में जितनी महगाई है उतनी महगाई पूरे देश में कही नहीं है। पंजाब की तरह गुजरात की खेते को विदेशी बीज कंपनियों का गुलाम बनाया जा रहा है। देश में सबसे महगी बिजली गुजरात के किसानों को उपलब्ध है जबकि उद्योग जगत को करोडों रूपये का टक्स माफ किया जाता रहा है। बाहर के लोग केवल अखबर पढकर और दूरदर्शन वाहिनियों को देखकर मनतव्य बनाते हैं जो मोदी के द्वारा दिये विज्ञापनों के कारण उनकी छवि को ठीक करने में लगी है। यह बात कम ही लोगों को पता होगा कि मोदी अपनी छवि को ठीक करने के लिए एक अमेरिकी पीआर कंपनी को हायर कर रखे हैं जिसका नाम है। सरकारी महकमों में विगत 10 सालों से बहाली बंद है। ठेके और संविदा पर युवाओं को रखा जा रहा है जिसका वेतन निहायत कम है। कच्छ, हो या दहेज, मुन्दरा हो या फिर अलंग। बडे बडे कारखाने तो लग रहे हैं लेकिन वहां भी परप्रांतियों को कम वेतन पर रोजगार मिल रहा है। आम गुजराती बेरोजगार भटकने को विवश है। पंचमह, गोधरा, साबरकांठा, बनासकाठा, पाटन, नर्मदा आदि जिले के आदिवासी दिहारी मजदूरी करने के लिए विवस हैं। उन आदिवासियों को नियोजित करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। बावजूद मोदी गुजरात और भाजपा के लिए अपरिहार्य हैं। मोदी को इस देश के तमाम कॉरपोरेट समूह का समर्थन प्राप्त है यह इसलिए नही कि मोदी गुजरात का विकास कर रहे है यह इसलिए कि मोदी ने गुतरात को व्यापारियों का गुलाम बना दिया है। मोदी का राष्ट्रवाद कॉरपॉरेट राष्ट्रवाद है न कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद। मोदी वही कर रहे हैं जो कांग्रेस चाहती है तो फिर कांग्रेस का खुश होना स्वाभाविक है। मोदी ने कांग्रेस के सिद्धार्थ पटेल से लेकर नरहरी भाई अमीन तक के लिए अपना दरबार खोल रखा है। अंदरखाने तो यह भी चर्चा है कि मोदी अहमद भाई पटेल के माध्यम से सोनिया गांधी तक को उपकृत करते हैं। मोदी के राज में जिन हिन्दुवादी नेताओं का पतन हुआ है या यों कहें कि योजनाबद्ध तरीके से उन्हे निवटाया गया उसमें राजकोट के काका प्रवीण भाई मणियार, सूरत के काशिराम राणा, पूव मुख्यमंत्री केसूभाई पटेल, पूर्व गृहराज्य मंत्री गोवधन भाई झडफिया, भाजपा और संघ के समन्वयक भास्कर राव दामले, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी आदि प्रमुख हैं। संजय जोषी की सीटी फेंक है। जिसने सीडी बनाई उसके भाई की कंपनी को गुजरात सरकार के आई टी विभाग से जबरदस्त ठेका दिया गया। आज सीडी कांड का मास्टर माईड अमेरिका में है। जांच में सीडी बनाने वाला, सीडी मुम्बई के भाजपा अधिवेशन में पहुंचाने वाला और वहां सीडी बांटने वाला सब लोकेट हो चुका है। मोदी मंत्रीमंडल के दो गृहराज्य मंत्रियों की तो भयानक दुर्गति हुई है। हरेन पण्ड्या की तो हत्या ही कर दी गई और अमित भाई षाह गुजरात छोड कर दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। यह योजना मोदी की कम सोनिया कांग्रेस के महामात्य अहमद भाई की ज्यादा है। नरेन्द्र भाई दामोदर भाई मेदी ने स्वामी असीमानंद को भी ठिकाने लगाया है। तिस्ता सेतलवार हो या फिर फादर सेंडिक प्रकाश या मुकुल सिन्हा, हर किसी का मोर्चा मोदी को फायदा पहुंचा रहा है। विगत एक साल से तिस्ता की गिरफ्तारी टाली जा रही है। मोदी को बस अपनी चिंता है इसलिए मोदी तिस्ता को निवटाना नहीं चाहते। उसकी गिरफ्तारी के बाद मोदी को जनता के सामने रखने के लिए कोई विषय कहां बचेगा? सो मोदी को गुजरात की जनता के लिए तिस्ता को बचाये रखना जरूरी जान पड़ता है। मोदी के खिलाफ जो भी सामाजिक और राजनीतिक विरोध होता है उसका सीधा फायदा मोदी को पहुचता है। इस बात की जानकारी कम ही लोगो को होगी कि अमित भाई शाह को भी नरेन्द्र भाई मोदी ने ही निवटाया क्योंकि मोदी अनंनदी बेन पटेल के समकक्ष अन्य किसी नेता को खडा होते देखना नहीं चाहते हैं। मोदी के वर्तमान मंत्रिमंडल में बजू भाई वाला के आलावा और कई नेता वरिष्ट हैं लेकिन मोदी की अनुपस्थिति में मंत्रिमंडल की बैठक अनंदी बेन ही लेती है। मोदी ऐसा करके यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके बाद अनंदी बेन ही प्रदेश की कमान सम्भालेगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में मोदी अनंदी बेन को आगे बढाने के लिए कई वरिष्ट मंत्रियों का टिकट काटने वाले हैं जिसमें वजु भाई वाला और जयनारायण भाई व्यास का नाम पहली सूचि में है। मोदी दिल्ली प्रस्थान से पहले गुजरात कैबिनेट की कमान अनंनदी बेन को सौपेगे यह मोदी का राजनीतिक रोड मैप है । इस राजनीतिक को सफल बनाने के लिए मोदी को अमित भाई से पीछा छुडाना जरूरी था। यह काम आसान नहीं था। पहले तो विगत विधानसभा में अमित भाई का टिकट काटने की योजना बनाई गयी लेकिन बडे परिप्रेक्ष्य में स्वीकार्यता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निकटता के कारण मोदी ने ऐन मौके पर अपना पैर पीछे कर लिया और अमित भाई विधायक बन गये। फिर मंत्री पद भी उन्हें दिया गया लेकिन मोदी को तो उन्हें निवटाना था सो शाह के खिलाफ एक षडयंत्र किया गया और वे समाप्त हो गये। अमित भाई खंटी गुजराती हैं। जैन और वैष्णव दोनों में उनकी जवरदस्त पकड है। यही नही शाह लॉ प्रोफाईल के नेता हैं। हालांकि पहले षाह की संध के निकट नहीं थी लेकिन वे अब संध के करीब माने जाते हैं। गुजरात प्रशासन में भी शाह की अच्छी पकड हो गयी थी। अनंदी बेन में ये सारे गुण नहीं है जिसके कारण वह शाह से पिछडने लगी। मोदी और कांग्रेस दोनों मिलकर साहराबुद्दीन मामले में शाह को बली बा बकडा बनाया और उसकी कुर्बानी दे दी गयी।

जब केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सोहराबुद्दीन एवं उसकी पत्नी की हत्या की जांच का जिम्मा सौंपा गया तो वह जांच केवल शाह तक ही सीमित रहा आगे नहीं बढ पाया। जांच के लिए ब्यूरो के दो प्रभावशाली अधिकारियों को दिल्ली से अहमदाबाद भेजा गया था। ब्यूरो के अधिकारी कडा स्वामी और अमिताभ ठाकुर मामले की परत दर परत खोल रहे थे मामला अभी शाह तक ही पहुंचा था कि कंडा स्वामी दिल्ली बुला लिये गये और ठाकुर को कही प्रशिक्षण के लिए विदेश भेज दिया गया। प्रेक्षक मानते हैं कि ऐसा मोदी के परम मित्र अहमद पटेल के इशारे पर किया गया। शाह निवट गये। अब अनंदी बेन के लिए रास्ता साफ हो गया। शाह को निपटाने के बाद सीबीआई जांच की हवा निकल गई। गुजरात के प्रत्येक सप्ताह के मंगलवार को मंत्रीमंडल की बैठक होती है। बुधवार के दिन सरकारी गाडी अहमदाबाद से पत्रकारों को गांधीनगर ले जाती है। सचिवालय की छठी मंजिल पर पत्रकारों का कक्ष बना है जिसमें एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी सभी संवाददाताओं को विज्ञप्ति दे देता है और गोटा-भजिया तो कभी दाल-बडा के साथ चाय पिला कर विदा कर देता है। कभी कोई मंत्री या सरकार का अधिकारी कैबिनेट ब्रीफ नहीं करता। लेकिन मंत्रिमंडल की बैठक किसने ली यह तो जानकारी हो ही जाती है। गुजरात शासन के एक अवकाश प्राप्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने तो यहां तक बताया कि अब प्रशासन और कार्मिक विभाग में भी अनंदी बेन का हस्ताक्षेप होने लगा है। हलांकि शाह के जेलगमन के बाद मोदी ने गृहराज्य मंत्रालय की जिम्मेबारी प्रफुल्ल पटेल को सौंप दिया लेकिन पटेल केवल अनंदी बेन के निर्णयों की घोषणा मात्र करते हैं। पटेल के बारे में तो यहां तक चर्चा है कि वे अनंदी बेन के सबऑडीनेट बनकर रह गये हैं।

दूसरी ओर मोदी ने राष्‍ट्रीय स्वंयसेवक संघ ही नही उसके तमाम अनुषांगिक जन संगठनों को ठिकाने लगाया है। गुजरात के विकास में और भाजपा को सत्ता दिलाने में दो व्यवस्था की बडी भूमिका रही है। पहला गुजरात का सहकारी आन्दोलन और दूसरा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संध के द्वारा खडा किया गया जन संगठन। मोदी जी और उनके कारॅपोरेटी नौकरशाह लॉबी ने दोनो तंत्र को लगभग समाप्त कर दिया है। गुजरात में अब न तो विश्‍व हिन्दू परिषद् कहीं दिखता है और न ही भारतीय किसान संघ। मोदी ने राजकोट नागरिक सहकारी बैंक को निवाटाने का भी भरसक प्रयास किया लेकिन वे सफल नही हो पायें। उसी प्रकार सौराष्ट्र में पानी पर काम करने वाली संस्था को मोदी सरकार ने समाप्त कर दिया क्योंकि मोदी सरकार के बोरा बंद धोटाले को उस संस्था ने उजागर किया था। गुजरात में मोदी के कार्यकाल में सुतलाम सुफलाम योजना चलाया गया। कैग की रिपोर्ट में इस योजना में हजारों करोड रूपये का धोटाला दिखाया गया है। विष्व बैंक के पैसे से गुजरात की सडकें बनाई गयी है। इससे गुजरात की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा है लेकिन अभी तक वह कर्ज नहीं उतारा जा सका है। यही नही प्रदेश में मीलो की संख्‍या तो बढ रही है लेकिन रोजगार का प्रतिशत लगातार घट रहा है। निवेशक सम्मेलनों का प्रभाव नकारात्मक रहा है। हां इन दिनों कांग्रेस और भाजपा दोनों दल के नेताओं की जबरदस्त अर्थिक प्रगति हुई है। इसका प्रमाण नेताओं के संपत्तियों में हो रहे बढोतरी से लगाया जा सकता है। एक बात और कांग्रेस भी गुजरात प्रदेश में मोदी के इषारे पर कमजोर और डम्मी को नेतृत्व देती रेही है पहले सिद्धार्थ भाई अध्यक्ष थे तो आजकल अर्जुन भाई मोढवाडिया हैं। मोढवाडिया अहमद भाई के घोषित शिष्यों में से हैं। प्रदेश की कमान युवा नेता शक्ति सिंह गोहिल पर होती तो मोदी परेशान होते क्योंकि गोहिल की छवि साफ सुथरी है और वाणी में दम भी है। गोहिल युवा भी हैं।

कुल मिलाकर गुजरात में कांग्रेस और मोदी की भाजपा तोरा बियाह में हम नटुआ, आ हमरा विआह में तू नटुआ के कहावत को चरितार्थ कर रही है। गुजरात में सोनिया कांग्रेस का सहयोग मोदी को मिलता रहा है। क्योंकि मोदी कांग्रेस का काम ही कर रहे हैं। संघ को निबटा रहे हैं। भाजपा के सिद्धांतनिष्‍ठ और प्रभावशाली नेता को ठिकाने लगा रहे हैं। लूट को छुट दे रहे हैं। कॉरपोरेट को प्रदेश की जनता के शर्तों पर संरक्षण दे रहे हैं। हिन्दुवादी नेताओं को जेल भेजा जा रहा है। हरेन भाग के घरवाले लगातार मोदी पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में सीबीआई अपने ही जांच पर फिर से सवाल खडा नहीं करना चाहती है लेकिन पांडया की हत्या के लिए प्रयुक्त हथियार वही व्यक्ति उपलब्ध कराया था जिसने सोहराबुद्दीन की हत्या के लिए हथियार उपलब्ध कराया। अब तो एक और हत्या की जांच की जिम्मेबारी सीबीआई के पास है जिसके बदौलत राज्य में मोदी और अहमदभाई मोदियाना कनसेप्ट को एक इनिंग और खेलने का मौका देने वाले हैं। अखबार जो साबित करना चाहती है वह साबित करे लेकिन गुजरात कांग्रेस सदा से मोदी भाजपा की बी टीम बनकर प्रदेश में काम की है। हां इसमें नया यह है कि अबकी बार गुजरात कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर मोदी को स्वीकार लिया है।

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  1. ये कहना अतिशयोक्ति है की “मोदी के काल में गुजरात का विकास नहीं हुआ है”. निश्चित तौर पे मंदी के काल में गुजरात का सर्वाधिक विकास हुआ है.

    कांग्रेस ने गुजरात दंगे का जिन्न मोदी के पीछे लगा रक्खा है, इस जिन्न से बचने के लिए मोदी ने अहमद पटेल को पटा रक्खा है. ऐसा भी नहीं है की कांग्रेस की पसंद मोदी हैं, यदि ऐसा है तो एक-के-बाद एक मोदी पे इतने केस नहीं चलाये जाते. अपने देश में एक से बढ़कर एक दंगे हुए हैं पर दंगे का डंडा मोदी पे ही चलाया जाता है.

    हाँ इन बातों में सच्चाई अवश्य दिखती है की मोदी के काल में कोर्पोरेट जगत मालामाल है, आम जनता को इसका पूरा फायदा नहीं मिला है.

    और मोदी के काल में संघ और विश्व हिन्दू परिषद् को भी काफी नुकसान हुआ है.

    सच कहें तो मोदी एक तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं. संघ या विश्व हिन्दू परिषद् ने जहाँ कहीं मोदी का विरोध किया उनको मोदी ने ठिकाने लगा दिया.

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