उफ्फ  ये स्मॉग !

                        डॉ० घनश्याम बादल

महानगरों में इन दिनों भारी स्मॉग और कहर बरप रहे हैं. केवल दिल्ली ही नहीं अपितु देश के लगभग हर बड़े नगर के लोग हर साल दिसंबर जनवरी के महीने कोहरे व स्मॉग के शिकार होते ही हैं ।

    जितना बड़ा शहर, उतना ही ज्यादा कोहरा और उससे ज्यादा कोहरे से उपजा संकट । इन दिनों कोहरे के चलते दिन का तापमान लगातार गिर रहा है , रातें ठंडी और मारक हो रही हैं । उत्तर भारत में खास तौर पर कोहरे का प्रकोप गज़ब ढाता है । कोहरे की वजह से सड़क दुघर्टनाओं में न जाने कितनी जानें जाती हैं । रोज ही लाखों यात्री समय से अपने गंतव्य पर नहीं पंहुच पाते हैं । देश भर में यातायात प्रभावित होता है । प्रतिदिन कितनी ही ट्रेन व बसें तथा हवाई जहाजों की उड़ाने भी लेट होती हैं या फिर रद्द की जाती हैं । कोहरे के प्रकोप का तोड़ ढूंढ पाने हर प्रयास नाकाम सिद्ध हो रहा है ।

 वर्तमान परिस्थितियों में सबसे खतरनाक हो रहे ‘स्मॉग’ से परिचित होना भी जरूरी है जब कोहरे का धुएं के साथ मिश्रण होता है तो उसे ‘स्मॉग’ कहते हैं यानी स्मॉक एंड फॉग दोनों को मिलाकर नया शब्द बना है स्मॉग । स्मॉग ज्यादातर औद्योगिक शहरी क्षेत्रो में जल कणों का कार्बन कणों तथा अन्य सूक्ष्म कणों के मिश्रण से अधिक तीव्रता से बनता है और ज्यादा देर तक बना रहता है इसमें विभिन्न रसायनों के वाष्पकण मिल जाने से इसकी प्रकृति अम्लीय भी हो जाती है जो अधिक हानिकारक है ।

बेशक, कोहरा धुंध या ओस अथवा पाला प्राकृतिक  प्रक्रियाएं हैं और इन्हें रोका नहीं जा सकता है  पर , यदि थोड़ा ध्यान रखा जाए तो इनके हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है ।

ओस का बहुत अधिक हानिकारक प्रभाव नहीं देखा गया बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से ओस से भीगी घास पर चलना अच्छा माना जाता है । पाले से बचने के लिए फसलों पर इसके हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए खेतों में सिंचाई कर देने से इसका प्रभाव कम हो जाता है ।

    सबसे बड़ी समस्या हैं कोहरा और धुंध क्योंकि इनके पड़ने से दृश्यता कम होने से यातायात तो लगभग ठप्प ही हो जाता है । अतः सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर हो कि वाहन कम गति से ही चलाएं । ‘एंटीफोग’ लाइट का इस्तेमाल करें व प्रदूषण के स्तर को कम से कम स्तर पर लेकर आया जाए क्योंकि प्रदूषण कम होगा तो वातावरण में धूल के कण लटके नहीं रह पाएंगें और उन पर जल वाष्प नहीं जम पाएगी और इससे कोहरे का संघनन कम होगा ।

   साथ ही साथ ही बढ़ते हुए ग्रीनहाउस हाउस इफेक्ट व ग्लोबल वार्मिंग पर भी ध्यान देना होगा ताकि कोहरे का कोहराम कम हो सके और सर्दियों में जीवन खुशगवार बना रह सके ।

यदि स्मॉग की समस्या से बचना है तो लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करना बेहद ज़रूरी है चाहे वह अंधाधुंध बढ़ रहे वाहनों से हो या उद्योगों से, इस पर लगाम कसनी ही पड़ेगी । बेहतर हो कि सार्वजनिक परिवहन की हालत सुधारी जाए इससे लोगों को अनावश्यक रूप से अपने वाहन लेकर नहीं चलना पड़ेगा । व्यक्तिगत रूप से भी पूल सिस्टम अपनाना भी एक कारगर कदम हो सकता है । ईवन ओड सिस्टम तो दिल्ली में पहले ही असफल रह चुका है । इन सब उपायों के अलावा वाहनों व उद्योगों से निकलने वाले धुंए के स्तर को रोकने के लिए भी सख़्त नियम लागू करने पड़ेंगे ।

     कुदरत से छेड़छाड़ की प्रवृत्ति सबसे बड़ी वजह है स्मॉग के कहर की । हमें हर हाल में प्रकृति को संरक्षित करना होगा और राजनीति तथा निजी स्वार्थ को छोड़ते हुए ऐसी हर चीज पर सभी दलों एवं सरकारों को एक साथ प्रहार करना होगा जो प्रकृति एवं मानव जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं । इनमें चाहे पराली का जलाना हो या उद्योगों से निकलने वाला धुआं हो अथवा फैक्ट्रीज और वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसे हों या फिर राजनीति से निकलने वाले खतरनाक बयान और बयानवीर हों, इन सबको काबू में किए बगैर स्मॉग की समस्या से निपटना लगभग असंभव है।

     यदि सचमुच ही दिल्ली एवं दूसरे शहरों के लोगों को स्मॉग की मार से बचाना है तो हमें दलीय राजनीति एवं क्षुद्र स्वार्थ सबसे पहले छोड़ने होंगें अन्यथा कोहरे व स्मॉग का कहर हर साल बरपता ही रहेगा ।

    आज यह समय की मांग है कि चीन की तर्ज पर हमें स्मॉग से पीड़ित शहरों एवं लोगों को राहत दिलाने के लिए कृत्रिम बारिश का भी सहारा लेना होगा लेकिन इन सबसे जरूरी है उन कारणों को दूर करना जिनकी वजह से स्मॉग की समस्या उत्पन्न होती है कुल मिलाकर यदि इस स्मॉग के दैत्य से बचाना है तो प्रदूषण पर नियंत्रण करना अनिवार्य है।

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