छोटे-से देश उत्तर कोरिया ने सारी दुनिया को हिला दिया है। उसने हाइड्रोजन परमाणु बम के विस्फोट का दावा किया है। यदि दावा सही है तो यह बम, परमाणु बम के मुकाबले 1000 गुना ज्यादा विनाशकारी होता है। उत्तर कोरिया में तानाशाही का राज है। 30-32 साल के लड़के किम जोंग को अपने दिवंगत पिता की गद्दी सेंत-मेंत में मिल गई। वह अपनी छवि सुदृढ़ करने के लिए परमाणु दंड पेल रहा है। अपने जन्म-दिन (8 जनवरी) के दो दिन पहले यह विस्फोट करके उसने खुद को ही एक तोहफा दे दिया है। उत्तर कोरिया अब अपने ‘महान’ नेता का जन्म-दिन काफी जोर-शोर से मना रहा है। किम जोंग को उत्तर कोरिया के लोग ऐसा शक्तिशाली शासक बता रहे हैं, जो अमेरिका, चीन और रुस से भी नहीं डरता। उसने अपने शत्रु-देशों, दक्षिण कोरिया और जापान को कंपकंपी चढ़ा दी है। उसने न तो संयुक्तराष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की कोई परवाह की है और न ही उस छहराष्ट्रीय वार्ता की, जिसने उत्तर कोरिया से वादा लिया था कि वह खुद पर अब परमाणु संयम रखेगा। उ. कोरिया पहले भी तीन परमाणु-विस्फोट कर चुका है। इसमें ज़रा भी शक नहीं है कि इतने वर्षों से वह चीन की शै पर ही उछलता रहता था लेकिन अब उसने चीन को धता बता दी है। असलियत तो यह है कि वह अमेरिका, भारत और दक्षिण कोरिया की बढ़ती हुई घनिष्टता से भी चिढ़ता है। उसने जो ये परमाणु चौके-छक्के लगाए हैं, इसके पीछे चीन और पाकिस्तान की खुली मदद है। पाकिस्तान के परमाणु-वैज्ञानिक ए क्यू खान का योगदान जग-जाहिर है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हाल ही में कई नए तनाव पैदा हुए हैं। उनके बीच यह एक नया बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है। यह असंभव नहीं कि सुरक्षा परिषद उ. कोरिया के विरुद्ध कड़ा रवैया अपनाए। यदि सुरक्षा परिषद ने उ. कोरिया पर नए प्रतिबंधों की घोषणा कर दी तो वहां के गरीब, दुखी और डरे हुए लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा। तानाशाही बूटों के नीचे सिसकते उ. कोरिया को कुछ समय पहले अमेरिका ने लाखों टन अनाज भेजा था ताकि वह अंतरराष्ट्रीय समाज का कुछ लिहाज करे और परमाणु—संयम रखे। लेकिन विलासिता और अहमन्यता के लिए कुख्यात यह किम जोंग परिवार अपने हठ पर अड़ा हुआ है। युवा किम जोंग ने उ. कोरिया के प्रभावशाली नेता और अपने चाचा ह्योन योंग चोल तथा अन्य नेताओं की हत्या भी करवा दी। उ. कोरिया बिल्कुल बेलगाम हो गया है। उसने अप्रसार संधि (एनपीटी) रद्द कर दी है और सीटीबीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। उसका कहना है कि वह एक संप्रभु राष्ट्र है। वह अपने अंदर या बाहर, जो चाहेगा, वह करेगा। उसे कोई रोक नहीं सकता।
छोटे से देश उत्तर कोरिया ने शक्ति राष्ट्रों की लगाम में रहना अस्वीकार कर दिया, अतः शक्ति केन्द्रो की कुदृष्टि का निशाना बने हुआ है। लेकिन उत्तर कोरिया में ताज्जुब का आत्मबल है। शक्ति राष्ट्र उसकी तरफ आँख उठा कर देखने की हिम्मत नही करते।