संघ को घेरने की चर्च की साजिश

डॉ कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

जिन दिनों भारत सरकार और सानिया कांग्रेस मिलकर विश्व में हिन्दु आतंकवाद अथवा भगवा आतंकवाद की अवधारणा का नाम करण प्रचारित-प्रसारित करने के प्रारम्भिक प्रयास कर रही थी। उन्हीं दिनों अभिनव भारत नाम की संस्था के प्रमुख सूत्रधारों की गोपनिय बातचीत के कुछ अंश दिल्ली से प्रकाशित तहलका पत्रिका ने प्रकाशित किये थे। इसी अभिनव भारत को आगे करके एक समूह हिन्दु आतंकवाद की अवधारणां को लोगों के गले उतराने में जुटा हुआ है। अब लगभग यह माना जाने लगा है कि अभिनव भारत भी सोनिया कांग्रेस की उसी प्रकार की नई कृति है, जिस प्रकार की एक और कृति भिंडरा वाले के नाम से पंजाब में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्थापित की थी। यद्यपि सोनिया कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से परम्परा और विरास्त के लिहाज से कुछ लेना देना नहीं है। सोनिया कांग्रेस सोनिया माईनो के नेतृत्व में स्थापित एक नया राजनैतिक दल है जिसने अत्यन्त चतुराई से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ढांचे पर कब्जा कर लिया है ताकि भारत के लोग धोखे में आ सके। इसी षडयंत्र और चतुराई से सोनिया कांग्रेस को हिन्दुस्तान में ही हिन्दु आतंकवाद की अवधारणां को प्रचारित करने की जरूरत थी। इससे सोनिया माईनो के नेतृत्व में काम कर रही शक्तियों के गुप्त एजेंडे की पूर्ति हो सकती थी। इस पृष्ठ भूमि में अभिनव भारत के सूत्रधारों की वह गोपनीय बातचीत अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि अभिनव भारत सोनिया कांग्रेस के एक बड़े एजेंडे के लिए शतरंज का एक मोहरा भर है। बातचीत से मुख्य मुद्दे और संकेत उभर कर सामने आते हैं वह सोनियां कांग्रेस की भविष्य की राजनीति का संकेत देते है। बातचीत के अनुसार –

1 राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ हिन्दु विरोधी संगठन है और वह हिन्दुओं के हितों की रक्षा करने में असफल हुआ है।

2 संघ मुसलमानों के तुष्टीकरण में लगा है और इसमें पाकिस्तान की आई0एस0आई0 के भी लोग हैं।

3 इसलिए जरूरी है कि संघ के प्रमुख लोगों यथा मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार की हत्या की जाये

4 अभिनव भारत की इस योजना में कुछ सम विचारी इसाई और इसाई संस्थाए भी शामिल हैं।

 

जिन दिनों अभिनव भारत के सूत्रधारों की यह बातचीत प्रकाशित हुई थी उन दिनों ऐसी इसाई संस्थाओं की शिनाख्त को लेकर बहुत हो हल्ला हुआ था। परन्तु सोनियां कांग्रेस ने बहतु चतुराई और खुबसूरती से मीडिया के उस वर्ग की सहायता से, जिस पर विदेशी कम्पनियां का कब्जा है, इस मुद्दे को मीडिया से बिल्कुल ब्लेक आउट कर दिया। अलबत्ता भारत सरकार की जांच ऐजसियों ने सोनिया कांग्रेस के इशारे पर हिन्दु आतंकवाद को प्रचारित करने की अपनी गुप्त योजना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी आरोप लगाने शुरू कर दिये। सोनिया कांग्रेस के लिए अभिनव भारत तो लांचिग पैड था अन्तत: उस संघ को ही आतंकवादी घोषित करना था। लेकिन इसमें इसाई संस्थाओं की भूमिका को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ था।

 

अब उस रहस्य की परते धीरे धीरे उठने लगी हैं। इसका पहला संकेत तब मिला जब सरकार ने समाझौता एक्सप्रैस इत्यादि बम विसफोटों में गुजरात के स्वामी असीमानंद का नाम घसीटना शुरू किया गुजरात के जन जातिय क्षेत्रों में कार्य कर रहे असीमानंद एक लम्बे अर्से से चर्च की आखं की किरकीरी बने हुए थे । जहां तक कि वटिकन में भी असीमानंद के कार्यकलापों को लेकर चितां जताई जा रही थी। विदेशी पैसे के बल पर चर्च गुजरात के जनजातिय क्षेंत्रों में लम्बे अर्से से मतांतरण आंदोलन चला रहा है। असीमानंद के सांस्कृतिक जनजागरण अभियान के कारण उस आंदोलन की गति मंद पड़ गई थी। इसलिए चर्च किसी भी प्रकार से असीमांनद को मार्ग से हटाने के रास्ते ढूंड रहा था। जब अचानक सरकार की जांच एजेसियों असीमानंद को आतंकवाद से जोड़ने लगी तो भारत के लोगों को तभी लगने लगा था कि शायद चर्च की योजना को पूरा करने के लिए असीमानंद की बली दे रही है।

 

लेकिन हाल के संकेतों से यह बिल्कुल ही स्पष्ट होने लगा है कि इस मामले में चर्च और सरकार केवल मिले हुए ही नही है बल्कि एक सांझी रणनीति के तहत कार्य भी कर रहे हैं । इसके कुछ पुष्ट प्रमाण पिछले दिनों मिले। जान दयाल नाम के एक सज्जन ने अखिल भारतीय इसाई परिषद के नाम से एक संस्था चला रखी है यह संस्था इधर उधर से काफी पैसा भी इक्टठा करती रहती है । जान दयाल की गतिविधियां सदा ही संदेहास्पद रही हैं और उनकी जांच करवाने की मांग होती रहती है। इसी प्रकार की एक दूसरी संस्था गोलबल इसाई परिषद के नाम से किसी जार्ज नाम के व्यक्ति ने चला रखी है। उसकी संस्था के धन सत्रों लेकर भी उगलियां उठती रहती हैं। जॉन दयाल और जार्ज में विरोधी भाव भी विद्यमान रहता है। इसका कारण जर जमीन कुछ भी हो सकता है। जॉन दयाल भारत में हिन्दुओं के खिलाफ इधर उधर चिट्ठियां लिखते रहते हैं और जार्ज भी यही धंधा करते हैं। चर्च द्वारा पोशित मीडिया का एक वर्ग इन दोनों को खूब उछालता रहता है। पिछले दिनों जॉन दयाल ने भारत की राष्ट्र्पति को एक पत्र लिखकर कहा कि उड़ीसा में 2008 में हुई स्वामी लक्ष्माणनंद सरस्वती की हत्या के बाद हुए दंगों को भड़काने में इन्द्रेश कुमार का हाथ था। उसके कुछ दिनों बाद ग्लोबल इसाई परिषद के जार्ज भुवनेश्वर में एक धरने पर ही बैठ गये और उन्होंने भी राष्ट्र्पति को चिट्ठी लिख मारी की इन दंगों में स्वामी असीमांनद और इन्द्रेश कुमार दोनों का ही हाथ था। स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की उड़ीसा के कंधमाल जिला में हत्या 2008 में हुई थी और उसके तुरन्त बाद वहां इसाईयों और हिन्दुओं में झड़पें हुई थीं जिसमें अनेक लोग मारे गये थे। उड़ीसा सरकार ने दंगों की जांच के लिए जस्टिस महापात्र आयोग स्थापित किया है। दंगों के तीन साल बाद अचानक कुछ इसाई संस्थाएं इसमें इन्द्रेश कुमार को लपटने में क्यों और कैसे सक्रिय हो गई, यह महत्वपूर्ण प्रश्न है ।यह ध्यान रहे कि स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या चर्च ने माओवादियों की सहायता से करवा दी थी। सरस्वती भी उड़ीसा के जनजातिय क्षेत्रों में चर्च के मतांतरण आंदोलन का उसी प्रकार विरोध कर रहे थे जिस प्रकार गुजरात में स्वामी असीमांनद कर रहे थे। सरस्वती के हत्या करवाये जाने पर जनजातिय क्षेत्र अत्यन्त क्रोधित थे लकिन चर्च की योजना का दूसरा चरण शायद दंगे भड़काकर वहाँ से हिन्दुओं को निर्वासित करना या डरा कर खामोश करना था। इसी जॉन दयाल और इसके एक और साथी राधा कांत नायक जो मतांतरण करके इसाई हो चुके हैं, जिन्होनें अपनी नौकरी के दौरान चर्च के मतांतरण आंदोलन को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग दिया और बाद में जिनको सोनियां कांग्रेस ने राज्य सभा का सदस्य बना दिया ताकि वे मतांतरण आंदोलन को और भी शक्ति से चला सके, ने सरस्वती की हत्या के बाद क्षेत्र का व्यापक दौरा किया और उसके तुरंत बाद वहां दंगे भड़क उठे। लेकिन इन दंगों में हिन्दु ओं को बदनाम करने के लिए जॉन दयाल एंड कम्पनी ने यह आरोप भी लगाया कि हिन्दुओं ने एक नन के साथ सामूहिक बालातकार किया। यह अलग बात है कि जब यह कैस कचहरी में चला गया तो उसी नन ने इसको लटकाने के लिए न जाने के लिए कितने प्रयास किये। सरकार की मिली भगत से कंध जन जाति के न जाने कितने हिन्दु अभी भी इन दंगों के नाम पर जेलों में सड़ रहे हैं। लेकिन सोनियां कांग्रेस की रणनीति हिन्दु आतंकवाद को केवल मुस्लिम समुदाये से जोड़ कर पूरी नही हो जाती, उसको इसे चर्च से जोड़ना हैं, ताकि हिन्दु आतंकवाद के भूत को पूरे यूरोप और अमेरिका में घुमाया जा सके। जॉन दयाल और जार्ज द्वारा इकट्ठे होकर इन्द्रेश कुमार का इन दंगों में नाम लेना इस बात की और संकेत भी करता है कि किसी तीसरी शक्ति ने, जो इन इसाई संस्थाओं को धन मुहैया करवाती है, इन दोनों को आपसी मतभेद भुला कर संघ के खिलाफ मिलकर मोर्चा खोलने के लिए कहा होगा ताकि सोनिया कांग्रेस के गुप्त एजेंडे में असानी से रंग भरे जा सके। अभिनव भारत के सूत्रधार अपनी गोपनीय बातचीत में अपनी पूरी योजना में जिन इसाई संस्थाओं की भागीदारी की बात की है, जॉन दयाल और जार्ज की गतिविधियों से उसका रहस्य कुछ सीमा तक खुलता नजर आ रहा है। मोआवादी भी चर्च की इसी योजना का एक हिस्सा हैं, वैसे तो यह स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या से ही स्पष्ट हो गया था, किन पिछले दिनों उड़ीसा के गजपति में प्रमुख माओवादी महिला नेत्री आरती ने एक प्रैस कांफे्रस में माओवादी आंदोलन से अपने मोहभंग का जिक्र करते हुए कहा कि माओवादी भी चर्च की सहायता से हिन्दुओं का मतांतरण कर रहे हैं और उन्हें वैचारिक आधार पर गौ मांस खाने के लिए विवश किया जा रहा है। जाहिर है सोनिया कांग्रेस – चर्च-माओवादी आंदोलन का सांझा गुप्त एजेंडा भारत में राष्ट्र्वादी शक्तियों को बदनाम करना है। हिन्दु आतंकवाद की अवधारणां उसी गुप्त एजेंडा की आईटम है और इसके लिए चर्च की सहायता से इसको विश्व व्यापी भी बनाया जा सकता है। और कल को विदेशी शक्तियों द्वारा भारत में हस्तक्षेप का बहाना भी।

4 COMMENTS

  1. अग्निहोत्री जी धन्यवाद
    इस ज्वलंत मुद्दे पर आलेख लिखने के लिए .

    आज हिन्दुओ के जाग्रत होने का समय आ गया है .अपने धन की चोरो से रक्षा के लिए व्यक्ति क्या नही करता .
    परन्तु अफ़सोस
    आज हमारे धन के साथ साथ धर्म पर भी डाका डाला जा रहा है .
    फिर भी हम चुप है
    क्योकि हम सहनशीलता के नाम पर अपनी कायरता को छुपा रहे है कोई जूतों की माला भी प्यार से डाले तो हमें गुलाब का हार लगता है.
    आज ये जूतों का हार हर गले में पड़ा हुआ है.

    वो भी १ विदेशी महिला की शै पर

    धनी है भारत के वीर सपूत जो १२-१४ घंटे काम करते है लेकिन कमाई का १ बड़ा हिस्सा इस विदेशी महिला के खातो में जमा हो जाता है .
    वाह रे तरक्की क्या टेक्निक विकसित की है

    हर्र लगे ना फिटकरी ,रंग भी आये चोखा .

    जी हा आभी भी समय इंतजार कर रहा है सचेत हो जाओ इस देश के वाशियों हिन्दू मुश्लमन दोनों नही तो वो हश्र होगा की आँखों से आंसू नही खून निकलेगा और उस खून को भी पीने के लिए ये मक्कार विदेशी कटोरी ग्लास ले के खड़े मिलेगे .

  2. anil gupta : धन्यवाद, आपके राजीव मल्होत्रा जी की पुस्तक ” ब्रेकिंग इंडिया:वेस्टर्न इंतर्वेंशन इन द्रविडियन एंड दलित फॉल्ट-लाईन्स” का संदर्भ देने के लिए। और दीर्घ टिप्पणी डालकर विषय वस्तु उजागर करने के लिए।
    इस पुस्तक को मैं पढना चाहता हूं।
    आप ऐसे टिप्पणी ना देते, तो यह बात पता भी ना चलती। धन्यवाद।

  3. कृपया इस विषय में सद्यप्रकाशित पुस्तक ” ब्रेकिंग इंडिया:वेस्टर्न इंतर्वेंशन इन द्रविडियन एंड दलित फॉल्ट-लाईन्स” लेखक राजीव मल्होत्रा एंड अरविन्दन नील्कंदन बहुत ही महत्व पूर्ण है. इस पुस्तक में अनेकों स्थानों पर जोन दयाल के हिन्दू विरोधी व देश विरोधी कारनामों का उल्लेख किया गया है. साथ ही देश के अन्दर चल रहे हिन्दू विरोधी, देशविरोधी एवं इसाईयत का प्रचार, प्रसार कर रहे तत्वों का भंडाफोड़ किया गया है. साथ ही उन्हें समर्थन व सहयोग व आर्थिक मदद दे रहे विदेशी एजेंसियों का भी खुलासा है. ऐसा नहीं है की यह खुलासा पहली बार हो रहा हो लेकिन सुव्यवस्थित ढंग से इस पुस्तक में वर्षों की शोध के बाद यह पुस्तक एक सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में पढ़ी जा सकती है. पचास के दशक में मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेसी सर्कार के द्वारा गठित डॉ. एम् बी नियोगी कमीशन की रिपोर्ट कितने हिन्दुत्ववादियों ने पढ़ी है? उसमे भी इन सब देश तोड़क गतिविधियों का पूरा ब्यौरा दिया गया था. खेद है की हम अपने विचारों की ताकत से इतने अभिभूत हो जाते हैं की इन देश द्रोहियों की साजिशों का उन्ही की भाषा में सशक्त प्रतिकार नहीं करते हैं. अस्सी के दशक में एक ईसाई पादरी द्वारा लिबरेशन थिओलोजी के तहत अपना पादरी का चोगा उतर कर ( जिसे ईसाई भाषा में डिफ्रोकिंग कहते हैं) महारष्ट्र के बनवासी छेत्रों में छद्म नाम प्रभु रखकर उन्हें बरगलाने का काम शुरू कर दिया तथा बाद में बनवासियों के नाम से एक संस्था कड़ी करके उसके नाम से सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर दी. मैंने जब इस सम्बन्ध में पाञ्चजन्य में पढ़ा और याचिका की खबर इन्डियन एक्सप्रेस में पढ़ी तो दोनों की कटिंग सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश महोदय को भेज दी.उसके बाद उस याचिका का क्या हुआ कोई खबर नहीं आयी. दुनिया के सभी इसाई देश उनकी पीठ पर हैं लेकिन दुर्भाग्यवश देश में जिन लोगों के हाथ में शाशन की बागडोर है उन्हें इस खतरे की कोई परवाह नहीं है. उलटे वो इसाईयत के प्रसार में लिप्त एड्विगे अन्तोनिया सोनिया मायिनो गाँधी के तलुवे चाट रहे हैं. उसके आसपास सभी ऐसे लोगों का जमघट है जिनका नाम तो हिन्दुओं जैसा है लेकिन जो वास्तव में मतांतरित ईसाई ही हैं. इन सब को आधुनिक शब्दावली में मिडिया तथा सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थान मिल जाता है क्योंकि शिक्षा क्षेत्र में जे. एन. यु. तथा ऐसे ही विश्वविद्यालय भी इसी काम में लगे हैं. हिन्दुत्ववादियों की सरकारें कर्नाटक,मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ में हैं लेकिन आज तक एक भी विश्वविद्यालय राष्वादी बुद्धिजीवी तैयार करने वाला नहीं खुला जिससे देश के बौद्धिक हलकों में अपनी बात उन्हें समझ में आने वाली आधुनिक शब्दावली में राखी जा सके. संघर्ष बहुत विकट है. आर एस एस के अलावा कोई इस दिशा में न तो सोच रहा है और नहीं आसन्न खतरे को पहचान रहा है.

  4. श्री अग्निहोत्रीजी का आलेख सामायिक है तथा सभी जागरूक हिन्दुओं को इसे पढ़ना चाहिए.चर्च द्वारा भारत को तोड़ने व इसाईयत का प्रचार, प्रसार व हिन्दुओं का मतपरिवर्तन का कार्य पूरे जोरों पर है और सोनिया के नेतृत्व में यह कार्य पूरी गति से चल रहा है.सद्यप्रकाशित पुस्तक “ब्रेकिंग इंडिया:वेस्टर्न इंतर्वेंशन इन द्रविडियन एंड दलित फॉल्ट-लाइन्स”

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